Thursday, August 16, 2018

अटल विहारी वाजपेयी के निधन से स्वस्थ राजनीति के युग का अवसान डा. राधेश्याम द्विवेदी


                                     Atal Bihari Vajpayee Medical Bulletin LIVE updates: Next medical bulletin may out at 11:30 am AIIMS

माननीय अटल विहारी वाजपेयी (जन्म 25 दिसम्बर 1924, ग्वालियर ) भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे। उन दिनों सत्ता नेहरू परिवार की उत्तराधिकारिणी श्रीमती इन्दिरा गांधी के हाथों में थी। इसी समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय में समाजवादी नेता राजनरायण ने एक याचिका  श्रीमती इन्दिरा गांधी के विरूद्ध दायर कर रखी थी।ं इस वाद में श्री मती गांधी 18 मार्च 1975 को पराजित हो गई थीं। अति उत्साह एवं बदले की भावना से 1975 में श्रीमती गांधी ने देश में आपातकाल लागू करवा दिया तथा सारे विपक्ष के नेताओं को रातोरात जेल में डलवा दिया। बाद में जे.पी आन्दोलन ने देश में नयी चेतना डाली थी। 1977 में गांधीवादी नेता श्री मोरारजी देसाई के नेतृत्व में सम्पूर्ण विपक्ष एक पार्टी एक निशान तथा एक कार्यक्रम के तहत ’’जनता पार्टी’’के बैनर के नीचे देश  चुनाव में भाग लिया और भारी मतों से सत्तासीन हुआ था। भारतीय जनसंध भी इसी में विलीन हो गया थां। उस समय श्री अटल विहारी वाजपेयी विदेश मंत्री बने थे। उन्होने संयुक्त राष्ट्र संध में हिन्दी में ंपहला भाषण भी दिया था। चूंकि यह सत्ता एक सिद्धान्त पर आधारित नहीं था इसलिए 1980 में इसमें विखराव आ गया। 06 अप्रैल 1980 को श्री अटल विहारी वाजपेयी के अध्यक्षता में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ। श्री लालकृष्ण अडवानी ने राम मन्दिर के लिए रथ यात्रा करके पार्टी मे मजबूती प्रदान की थी। अटल और अडवानी ने इस पार्टी को बहुत आगे तक पहुंचाया था। वे संघर्ष के साथ एक लम्बी संसदीय परम्परा में सारी चुनौतियों का सामना करते हुए आगे चलकर देेश को एक कुशल नेतृत्व प्रदान किया था। इस समय कांगे्रस के बाद भाजपा दूसरी विशाल पार्टी के रूपमें स्थापित हुई थी। प्रारम्भ में इसके केवल 2 सदस्य थे। 1991 में 120  तथा 1996 में 161 सदस्यो की संख्या हो गई थी। माननीय अटल जी को सरकार चलाने का अवसर भी प्राप्त हुआ था। भारतीय जनता पार्टी के नेता श्री अटल विहारी वाजपेयी ( 16.05.1996 से 01.06.1996. तक ) पहले 13 दिन के लिए सरकार बनाये । उनके पास आवश्यक बहुमत नहीं था और उन्होने जोड़ तोड़ नहीं किया और एक आदर्श परम्परा शुरू करते हुए अपनी सरकार का त्यागपत्र सौंप दिया। अब काग्रेस ने बाहर से समर्थन देते हुए कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री जनता दल के नेता श्री देवगौड़ा तथा श्री इन्द्रकुमार गुजराल को अपनी बैसाखियों के सहारे थोडे-थोड़े समय तक सत्तासीन किया और पुनः समर्थन वापस लेकर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस बीच अटल व अडवानी की युगल जोडी को पुनःस्थापित होने में आठ साल का लम्बा समय लग गया। नया चुनाव होने पर 182 सीटें पाकर भाजपा के श्री अटल विहारी बाजपेयी ने 19.03.1998 से एक बार फिर 13 माह के लिए प्रधानमंत्री बने परन्मु एडीएमके के जय ललिता द्वारा समर्थन वापस ले लेने तथा उड़ीसा के कांगेंसी मुख्यमंत्री  श्री गिरधर गोमांग जो सांसद भी थे ,के मतदान में विपक्ष को मत देने के कारण उनकी सरकार चली गई। पुनः देश को 1999 में मध्यावधि चुनाव का सामना करना पडा। इस बार पुनः 182 साटें पाने के साथ उनका गठबंधन 306 सीटें अर्जित कर स्पष्ट बहुमत जुटा लिया था। उन्होंने 22 छोटे बडे़ दलों को साथ लेकर 22.05. 2004 तक पंाच साल के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के अधीन कुशल शासन का संचालन किया। कांग्रेस के लिए यह अवधि बहुत कष्टकारी रही परन्तु अटलजी के व्यक्तित्व के आगे किसी की एक ना चली। स्वच्छ छवि लम्बा संसदीय अनुभव तथा सभी पक्ष विपक्ष को संतुष्ट करने की क्षमता ने उन्हें एक युगपुरूष के रूप में स्थापित करने का पूर्ण अवसर प्रदान किया था। उन्हें भारत रत्न के अलावा पद्म विभूषण पुरस्कार भी मिल चुका है। उनकी अपनी पार्टी से ज्यादा विपक्षी उनके विचारों तथा आचरणा के मुरीद थे। 2004 मंे स्वयं तो वह जीत गये थे परन्तु जनता का विश्वास पार्टी पर से उठ गया था। उन्हें पुनः सेवा का अवसर नहंी प्राप्त हुआ। उनका स्वास्थ्य खराब रहने लगा था । दिसम्बर 2005 में उन्होने राजनीति सन्यास ले लिया था । काल से विकराल रुप में लड़ते हुए अपने आखिरी दिनों में उनका स्वास्थ्य बराबर खराब रहने लगा था। माननीय अटल जी के 16 अगस्त 2018 को शाम 5 05 बजे हमेशा हमेशा के लिए सो गये और भारतीय राजनीति में स्वस्थ परम्परा के एक युग का अवसान होगया। हम आज अश्रुपूरित नेत्रों से उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते है।  आपात्काल में लिखी उनकी कैदी जीवन की एक कविता प्रस्तुत है-
अनुशासन के नाम पर अनुशासन का खून
भंग कर दिया संघ को कैसा चढ़ा जुनून
कैसा चढ़ा जुनून,मातृ-पूजा प्रतिबंधित
कुलटा करती केशव-कुल की कीर्ति कलंकित
कह कैदी कविराय, तोड़ कानूनी कारा
गूंजेगा भारत माता की जय का नारा।

No comments:

Post a Comment