ब्रह्मालीन
तपसी दास महाराज का आश्रम गुलरिहा
घाट , मनोरमा तट, निकट भदावल पेट्रोल पम्प ,हरैया ,जिला बस्ती उत्तर प्रदेश पर स्थित है
जो एक सिद्ध संत
के साथ
भगवान हनुमान के अवतार भी
कहे जाते है। मयार्दा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के महान भक्त
महाबली हनुमान जी का कलयुग
में अवतरण एक रोचक घटना
है। परम कृपालु महाबली हनुमान जी ने एक
महायोगी का अवतार धारण
किया और भक्तों पर
कृपा कर उन्हें सत्य
का मार्ग दिखाने के लिए भारतवर्ष
में उत्तर प्रदेश राज्य के बस्ती जिले
में मनोरमा तट, निकट भदावल पेट्रोल पम्प ,हरैया में 8 दिसम्बर
2005 दिन गुरूवार की मंगलमय सुबह
में समय 10 बजे हरैया गाँव में कलकल बहती मनोरमा नामक पौराणिक नदी के पावन तट
पर प्रगट हुए थे। उनके व्यक्तित्व का तेज देखकर
लोगों ने उन्हें कोई
महान तपस्वी समझा और उन्हें तपसी
सरकार (तपस्वी सरकार) नाम से जानने लगे।
वे तपस्या की साक्षात् मूर्ति
ही दीख पड़ते थे। वे ज्यादातर साधना-ध्यान में ही लीन रहते
थे। वे लोगों के
लिए भगवान थे। उनकी उपस्थिति मात्र से सब तरफ
सुख-शांति और समृद्धि छा
गयी थी। लोग उन्हें आदरवश सरकार कहकर सम्बोधित करते थे। वास्तव में वे कौन थे?
यह सामान्य मनुष्यों के लिए जानना
आसान नहीं था। वे मनोरमा के
पावन तट पर घास
की एक छोटी-सी
गुफानुमा कुटिया में रहते थे। पौराणिक दृष्टि से देखा जाय
तो पवित्र धर्मनगरी एवं प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या
की धरती को अपने शीतल
व पवित्र जल से पावन
करती सरयू नदी की ही एक
धारा निकल कर बस्ती जिले
में हरैया के आस पास
से होकर गुजरती है जिसे मनोरमा
नदी के नाम से
जाना जाता है। प्रभु श्रीराम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण
के साथ अपने चैदह वर्ष के वनवास काल
में मनोरमा के पुण्य क्षेत्र
से गुजरे थे और अपने
श्रीचरणों से स्पर्श कर
उस स्थान को इतिहास में
अमर कर दिया। वह
स्थान हरि रहिया के नाम से
जाना जाने लगा। हरि रहिया अवधी भाषा का शब्द है
जिसका अर्थ है हरि का
रास्ता अर्थात प्रभु का मार्ग। कालांतर
में उस स्थान का
नाम हरैया पड़ा। हरैया अब एक बड़ी
तहसील है जो कि
बस्ती जिला (उ.प्र.) में
पड़ती है।
सरकार
जी के अवतरण का
मुख्य उद्देश्य एक ऐसा महामानव
विकसित करना था जो संसार
के विषम-जाल में फँसे लोगों को अपने तप
और ज्ञान से शाश्वत सत्य
की अनुभूति करा सके। सरकार जी की हर
एक लीला अपने आप में एक
रहस्य थी। वे कब क्या
करने वाले हैं? क्यों करने वाले हैं? उनकी लीला वही जानें। लोग उनके चमत्कारों से आश्चर्यचकित हो
जाते थे। इसलिए लोग उन्हें महायोगी मानते थे। लोग क्या जानें कि वे तो
स्वयं अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों
के दाता हनुमान जी के अवतार
हैं और उनके कष्टों
को दूर करने के लिए ही
वहाँ अवतरित हुए हैं। परम कृपालु महाबली हनुमान जी ने एक
महायोगी का अवतार धारण
किया और भक्तों पर
कृपा कर उन्हें सत्य
का मार्ग दिखाने के लिए भारतवर्ष
में उत्तर प्रदेश राज्य के बस्ती जिले
(गोरखपुर के पास) को
चुना। प्रभु श्रीराम, माँ सीता और अनुज लक्ष्मण
के पुण्यदायी चरण जिस स्थान पर पड़े हों
और सरयू की अपनी एक
धारा अयोध्या से चलकर जहाँ
प्रभु के चरण पखार
रही हो तो ये
कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उस स्थान
का सेवन बड़े-बड़े ऋषियों-मुनियों ने अवश्य किया
होगा, और प्रभु श्रीराम
के अनन्य भक्त वीर हनुमानजी द्वारा वह पवित्र स्थान
के कैसे अछूता रह सकता है?
इस प्रकार हनुमत अवतार महायोगी तपसी सरकार जी का आगमन
अपने आप में एक
ऐतिहासिक घटना थी और वे
लोग कितने भाग्यशाली रहे होंगे जो इस घटना
के साक्षी बने। उनके जीवन से सम्बंधित अनेक
घटनाओं का जिक्र उनके
भक्त व अनुयायी ही
कर सकते हैं जिन पर उनकी कृपा
व दिव्य दृष्टि रही। 16/ 17 अप्रैल समय ००-०5 बजे गुरु
जी के साथ रात्रि
में घटित बस वाली घटना
एवं सरकार जी की महासमाधि
का समय एक ही था,
इधर मनोरमा तट पर सभी
लोग सरकार जी की महासमाधि
की तैयारियाँ पूर्ण कर चुके थे
और उधर गुरु जी के साथ
बस वाली घटना घटी थी, जब ऑटोरिक्शा रात में गुरु जी समीप रुका
तो उस समय ठीक
12बजकर 05 मिनट
हुआ था जो कि
16/17 अप्रैल 2009 की मध्य रात्रि
थी। सरकार जी ने अपने
योगबल से जीवित समाधि
ली थी।
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