मनोरमा प्रकटोत्सव के अवसर पर सादर और भाव सहित
-डा. राधेश्याम द्विवेदी:
उतारे तेरी आरती ,जै जै मनोरमा मैया।
हम गावैं तेरी आरती, जै जै मनोरमा मैया।
इटिया थोक के टिकरी बन में है तिर्रे तालाई
उद्दालक आवाहन कर तुम्हें धरती पर लाई।
सरस्वती का आवाहन तुमको प्रकट करैया।
उतारे तेरी आरती ,जै जै मनोरमा मैया।1!!
दशरथ के पुत्रेष्टि यज्ञ से राम का जन्म कराई।
सरस्वती की सातवीं धारा भी तुमही कहलाईं।
मन मांगा वर तुम देती हो मनवर नाम धरैया ।
उतारे तेरी आरती ,जै जै मनोरमा मैया।2!!
तुम्हरी धारा रामरेखा बन सरयू में मिल जाई।
मनोरमा नाम कहाकर जन मन मंे रम जाई ।
नाम पतितपावन है तुम्हारा भव से पार लगैया।।
उतारें तेरी आरती ,जै जै मनोरमा मैया।3!!
हरि की रहिया को तुम सीचें कांकर पाथर गलाई।
राम जानकी मारग संग चल तुम आगे बढ़ि जाई।
लालगंज में छटा समेटी कुवानों में मिलि जइया।
उतारे तेरी आरती ,जै जै मनोरमा मैया।4!!
जो जन मनोरमा का दर्शन पावै, जल में दूध चढावै।
धूप दीप मिष्ठान चढ़ाकर, मनोरमा आरति गावै।
राधेश्याम की भवसागर से, पार लगेगी नैया।।
उतारें तेरी आरती ,जै जै मनोरमा मैया।5!!
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