2021 का जन्म दिन
तुम हमें बधाई देते हो ,वो हम पर निगाहें डाले हैं।
एक साल और हमसे छीना, वो अपने पास बुलाते हैं।।
यह काया भी ना निरोगी, व्याधि इसमे घर कर डाला।
जितने सुरक्षित करते हैं, उतने ये असुरक्षित हो जाला।।
दुनिया के झंझावातों ने, हम सबको झकझोर दिया।
करोना का कठिन दौर, डर- डर करके गुजर गया।।
आहुति-प्रसाद निकाल करके, कम या बेसी लौटा दिया।।
अगली पीढ़ी की जिम्मेदारी, वे जैसा चाहें वैसा करें।
उसमें नौरत्न या इक्यासी ,या जीरो पर वरण करें।।
मानो तो स्मारक की तरह, समाज देश की धरोहर हैं ।।
इसकी रक्षा व देखभाल, वर्तमान सभी का धर्म भी है ।
चर-अचर मानव प्राणीका, सबसे पहला ये कर्म भी है।।
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