Wednesday, April 24, 2019

बस्ती : भाजपा बसपा एवं कांग्रेस में त्रिकोणात्मक संघर्ष डा. राधेश्याम द्विवेदी



बस्ती जनपद के बारे में कभी भारतेंदु हरिश्चंद्र ने कहा था कि ” बस्ती को बस्ती कहूंतो काको कहूं उजाड़।“ आज भी इस क्षेत्र की स्थिति ऐसी ही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक़ बस्ती की आबादी 24,64,464 है जो की कुवैत की आबादी के बराबर है बस्ती, यूपी के पुराने शहरों में से एक है, इसका नाम वशिष्ठ मुनि के नाम पर रखा गया है। जनपद पूर्व में संत कबीर नगर, पश्चिम में गोंडा और उत्तर में सिद्धार्थनगर से घिरा है। इसके दक्षिण में घाघरा नदी है जो फैजाबाद और आंबेडकर नगर को बांटती है। बस्ती कपड़ा उद्योग, चीनी मिलों के लिए भी जाना जाता है। बस्ती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तरप्रदेश की 80 सीटों में 61वें नंबर की सीट है. चुनाव आयोग की 2009 की रिपोर्ट के अनुसार यहाँ 1,570,657 मतदाता है जिनमे पुरुष मतदाताओं की संख्या 866,936 और महिला मतदाताओं की संख्या 703,721 है.बस्ती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में यूपी विधानसभा की पांच सीटें आती है-हर्रैया, बस्ती सदर, रुद्हौली, महादेवा, कप्तानगंज. इसमें महादेवा की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. देश की आजादी के बाद बस्ती संसदीय क्षेत्र में अब तक 17 बार लोक सभा का चुनाव हुआ। और तीन दशको में काग्रेस पार्टी ने अपना दबदबा बनाने में सफल रहा लेकिन जैसे जैसे समय प्ररिवर्तन हुआ वैसे वैसे काग्रेस अपनी पकड खोती चली गयी है।
2004 तक बस्ती की लोकसभा अनुसूचित जाती के लिए आरक्षित थी. 2004 में परिसीमन के बाद यह सामन्य श्रेणी में आ गयी. 1952 में हुए चुनावों के दौरान यह सीट बस्ती- गोरखपुर के नाम से जानी जाती थी. 1957 में हुए चुनावों में राम गरीब निर्दलीय जीतकर लोकसभा पहुंचे, उसी साल हुए उपचुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के केशव मालवीय ने जीत हासिल की.  1962 के आम चुनावों में केशव मालवीय दोबारा से निर्वाचित हुए. 1967 और 1971 के चुनाव जीतकर कांग्रेस ने इस सीट पर लगातार तीन बार कब्ज़ा किया. 1977 के लोकसभा चुनाव में भारतीय लोकदल ने यहाँ पहली बार जीत दर्ज की. 1980 के लोकसभा चुनाव कांग्रेस(आई), 1984 का कांग्रेस और 1989 में जानता पार्टी ने जीते.  1991 से 1999 तक भारतीय जनता पार्टी ने लगातार चार बार यहाँ जीत हासिल की.
सन 1952 में आई. एन.डी. से बंसीधर दूबें जनरल सीट से चुनाव जीत कर लोक सभा पहॅूचे थें। सन 1957 में सुरक्षित सीट आई एन डी से रामगरीब ने जीत हासिल किया था।आई एन सी 1957 से 1962 में एस सी कोटा से मालवीय केशवदेव रहे। सन 1967 में आई एन सी से एससी से शिवनरायन ने अपनी जीत दर्ज कराई,सन 1971 आई.एन.सी से अनंनत राम धूसिया एस.सी.कोटा से जीत दर्ज की, सन 1977 में बीएलडी से एससी कोटा से शिवनरायन ने एक बार फिर बाजी मारी वही सन 1980 में आईएनसी आई से कल्पनाथ सोनकर रहे,सन1984 से राम अवध ने आईएनसी से अपनी उपस्थिति दज कराई सन 1989 में जेडी से कल्पनाथ सोनकर जीत दर्ज किया।सन1991 में बीजेपी के श्यामलाल कमल ने प्रथम बार बीजेपी की जीत दर्ज कराते हुये खाता खोला, 1996 में बीजेपी ने श्रीराम चैहान को टिकट दिया और उन्होने अपनी जीत दर्ज कराते हुये लगातार तीन चुनाव जीत कर हैट्रिक लगाई, लेकिन लेकिन 2004 में बीएसपी से एस सी से लालमणि ने जीत हासिल किया और सन 2009 जनरल से अरबिन्द चैधरी बीएसपी से जीत हासिल किया।  सन 2014 से बीजेपी से हरीशचन्द्र द्विवेदी ने जीत दर्ज कर लोक सभा पहुचे  बस्ती लोकसभा सीट से इस वक्त बीजेपी नेता हरीश चन्द्र द्विवेदी सांसद हैं, भाजपा ने ये सीट सपा को 33562 वोटों के अंतर से हराकर अपने नाम की थी.
बस्ती जिले में चुनावी पारा चढ़ने लगा है। बीजेपी, कांग्रेसऔर एसपी-बीएसपी गठबंधन अपने-अपने उम्मीदवार घोषित कर पूर्वांचल की इस सीट पर अपने वजूद को स्थापित करने में जुट गई है। यहां होने वाला चुनाव इसलिए भी दिलचस्प माना जा रहा है क्योंकि एसपी-बीएसपी गठबंधन की चुनावी चाल ने इस बार कांग्रेस को फीलगुड की स्थिति में ला दिया है। बस्ती लोकसभा सीट से बीजेपी ने सांसद हरीश द्विवेदी पर दोबारा दांव खेला है। एसपी-बीएसपी का गठबंधन होने के कारण बहुजन समाज पार्टी की झोली में यह सीट जाने से पार्टी ने पूर्व मंत्री राम प्रसाद चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है। सबसे खास बात यह है कि कल तक समाजवादी पार्टी का गुणगान करने वाले अखिलेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राजकिशोर सिंह को कांग्रेस ने पार्टी में एंट्री देकर टिकट थमा दिया है। राजकिशोर के आने से पिछले कई दशकों से यहां बदतर हालत में चल रही कांग्रेस में फिर से जान आ गई है। साथ ही अब त्रिकोणीय लड़ाई की पूरी संभावना नजर आने लगी है।
(क्रमशः जारी रहेगा…)

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