हर साल कार्तिक पूर्णिमा और चैत्र पूर्णिमा (कार्तिक और चैत्र मास की पूर्णिमा) पर मेला लगता है, जिसमें दूर-दूर से लाखों लोग आते हैं। अस्थायी दुकानें 5 किलोमीटर के दायरे में फैली होती हैं।
हर साल दुनिया के हर हिस्से से तीर्थयात्री इस स्थान पर आते हैं, जहां बुनियादी सुविधाएं जैसे उचित सड़क और रेल संपर्क, संचार के साधन, हेलीपैड, पानी और जल निकासी कनेक्शन, आवास और भोजन की सुविधा आदि उपलब्ध हैं।
छपिया का मुख्य मंदिर
मंदिर 20 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है और इसमें किसी भी समय 25,000 तीर्थयात्रियों के लिए व्यवस्था है। तीन शिखर वाला यह मुख्य मंदिर की छवि निराली है। दूर से आने पर प्रवेश भाग का यह मुख्य आकर्षण है।तीन मंडप में दस छवियां प्रदर्शित होती हैं। बाएं मंडप में भगवान कुंज बिहारी और बासुदेव नारायण विराजमान हैं। मध्य भाग के मंडप में भक्ति माता,धर्म पिता, श्री घन श्याम महाराज और आदि आचार्य श्री अयोध्या प्रसाद जी महाराज विराजमान हैं। तीसरे सबसे दाएं तरफ़ के मंडप में रेवती बलदेव जी और हरिकृष्ण जी महाराज की सुन्दर झांकी अलंकृत होती है। सभी छवियों के शीर्ष पर इनके नाम हिंदी और गुजराती भाषा में विद्युत रोशनी द्वारा फ्लैस होते रहते है। लोग स्वयं दर्शन कर अपने को धन्य करते हैं।ना कोई पुजारी इन छवियों का स्पष्ट पहचान बताता है और ना ही किसी प्रकार के चढ़ावे को प्रेरित करता है।भक्त अपनी इच्छा से दानपात्र में भेट अर्पित करने को स्वतंत्र है।
आचार्य डा. राधे श्याम द्विवेदी
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