Saturday, August 26, 2023

भगवान शिव का जीता जागता अक्षय स्वरूप मृत संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र

मेरी पत्नी की स्वास्थ्य अस्थिर रहता है। विगत एक पखवारे से वायरल बुखार , रक्त शर्करा, अस्थमा - खांसी और स्वास - प्रस्वास की दशा बिगड़ने से वह परेशान रही है। मेरे पुत्र डा. सौरभ द्विवेदी ने कई बार उसे अपने देखरेख में अपने अस्पताल से निरोग किया है।इस बार उसे अन्य चिकत्सक और अस्पताल में भर्ती करा कर निरोग कराया है । मां के सानिध्य के लिए उसने अपने कुछ शुभ चिंतकों से विस्तृत ग्रह दशा का अध्ययन कराया तो मार्केश की दशा का संकेत मिला है। स्वास्थ्य सुधार को स्थाई करने के लिए काशी के सप्त सदस्यीय विद्वत मण्डली से महामृत्युंजय जप और पूजा का सप्त दिवसीय आयोजन बस्ती शहर स्थित कमला सदन नामक मेरे आवास पर विगत तीन दिन से चल रहा है। जिसका पूर्णाहुति दिनाक 31 अगस्त 2023 को सम्पन्न होगा। हमारे नोवा हॉस्पिटल और एपेक्स डायग्नोस्टिक्स के स्टाफ का सहयोग भी सराहनीय रहा है।
          भगवान शिव की आराधना करने से जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है और इनके मंत्रों का जाप करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं. धार्मिक ग्रथों में भगवान शिव के कई स्वरूपों का वर्णन किया गया है. इसमें से भगवान शिव का एक स्वरूप महामृत्युंजय स्वरूप भी है. इस स्वरूप में भगवान शिव हाथों में अमृत लेकर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. ऐसे में महामृत्युंजय मंत्र के जाप से व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है.भगवान शिव के अनेक स्वरूपों में एक महामृत्युंजय स्वरूप भी है. इसलिए महादेव को मृत्युंजय भी कहा जाता है. वहीं महामृत्युंजय मंत्र में भगवान शिव के महामृत्युंजय स्वरूप से आयु की रक्षा प्रार्थना की गई है.महामृत्युंजय मंत्र कई प्रकार से जपे जाते हैं। सर्वाधिक लोकप्रिय मंत्र इस प्रकार है -
त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम पुष्टिः वर्धनम् ।
उर्वारुकम् इव बन्धनात् मृत्योः मुक्षीय मा अमृतात् ।
       इस मंत्र को जपने की कई सावधानियां और नियम बताए गए हैं. इन नियमों का पालन करके अगर महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाए तो ये ज्यादा प्रभावशाली होता है. महामृत्युंजय मंत्र का जाप सुबह और शाम दोनों समय किया जा सकता है. अगर कोई संकट की स्थिति है तो इस मंत्र का जाप कभी भी किया जा सकता है. इस मंत्र का जाप शिवलिंग के सामने या भगवान शिव की मूर्ति के सामने करना ज्यादा बेहतर होता है. महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए. ऐसा करना शुभ माना जाता है. मंत्र का जाप करने से पहले भगवान शिव को जल और बेलपत्र अर्पित करें और फिर मंत्र का जाप करें. ऐसा करना ज्यादा उत्तम होता है.
सावधानियां और नियम :-
जप से पूर्व गुरु आह्वाहन जरूर करें।
षट कर्म व घी का दीपक जलाएं।
जप घर के पूजन गृह या शिव मंदिर में ही करें।
जप के दौरान ब्रह्मचर्य पालन अनिवार्य है।
जप के दौरान स्वयं बनाया भोजन करें तो उत्तम है।
जप के बाद शांतिपाठ करके उठें।
मन्त्र उच्चारण शुद्ध हो यह ध्यान रखें।
मन्त्र होठ हिले मगर शब्द उच्चारण कोई सुन न सके ऐसा उपांशु जप करें।
जप में रुद्राक्ष की माला का ही प्रयोग करें। यदि रुद्राक्ष में हो तो तुलसी की माला का प्रयोग करें।
जप ऊनी कम्बल के आसन में पूर्व या उत्तर दिशा में करें।
शांतिपाठ अवश्य करें।
पूर्ण मृत संजीवनी मन्त्र –
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भूर्भुव: स्व: ऊँ त्र्यंबकंयजामहे ऊँ तत्सवितुर्वरेण्यं ऊँ सुगन्धिंपुष्टिवर्धनम ऊँ भर्गोदेवस्य धीमहि ऊँ उर्वारूकमिव बंधनान ऊँ धियो योन: प्रचोदयात ऊँ मृत्योर्मुक्षीय मामृतात ऊँ स्व: ऊँ भुव: ऊँ भू: ऊँ स: ऊँ जूं ऊँ हौं ऊँ।।
संक्षिप्त मृत संजीवनी मन्त्र –
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भूर्भुव: स्व:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
ॐ स्व: भुव: भू: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।


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