प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम में कहा गया है कि केंद्र सरकार की लिखित अनुमति के बिना किसी संरक्षित स्मारक में बैठकें, स्वागत, दावत, मनोरंजन या सम्मेलन आयोजित नहीं किए जा सकते। मार्तंड सूर्य मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित स्मारक है।
जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा अनंतनाग के मट्टन में आठवीं शताब्दी के मार्तंड सूर्य मंदिर के खंडहरों में प्रार्थना में भाग लेने के एक दिन बाद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने "जिला प्रशासन के प्रति चिंता व्यक्त की"।
अपनी गलती मानने और भविष्य में नियमों का परिपालन करने का आश्वासन देने के बजाय जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने स्पष्ट किया कि केंद्र शासित प्रदेश के अनंतनाग जिले स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए उप राज्यपाल को किसी अनुमति की जरूरत नहीं है। अनंतनाग जिले के उपायुक्त डॉ. पीयूष सिंघला ने कहा कि कार्यक्रम को प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल व अवशेष अधिनियम-1959 के नियम 7(2) के तहत इजाजत थी।
नियम का उलंघन हुआ
नियम 7 (2 )अनुमति तभी देता है जब वहां परम्परा के अनुसार पहले से पूजा होती चली आ रही हो। अन्यथा सक्षम अधिकारी की लिखित अनुमति आवश्यक है।इस मामले में महामहिम को ना तो अनुमति थी और ना विशेषाधिकार। प्रशासन प्रदेश से केन्द्र तक उनके लिए सुगम था। केन्द्र का प्रतिनिधि प्रदेश में ही सुलभ था । केवल औपचारिकता की पूर्ति होनी थी, जो अपनाई नही गई।
उल्लेखनीय है कि श्री मनोज सिन्हा ने प्राचीन मंदिर परिसर में ‘नवग्रह अष्टमंगलम पूजा’ में हिस्सा लिया था जिसके लिए केंद्र शासित प्रदेश के बाहर से पुजारियों को बुलाया गया था। इसके एक दिन बाद एएसआई के अधिकारियों ने कहा कि इस स्मारक को संरक्षण करने वाले संगठन से इस पूजा की अनुमति नहीं ली गई थी। एएसआई अधिकारियों ने अपनी नाराजगी दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग जिले के प्रशासन के समक्ष व्यक्त की है और मुद्दे पर चिंता जताई है जिनमें नियम 7(1) का उल्लंघन शामिल है। इसके तहत कोई भी बैठक, रिसेप्शन, पार्टी या सम्मेलन संरक्षित स्मारक में बिना केंद्र सरकार की लिखित अनुमति के नहीं हो सकता।
क्या है संरक्षित जगहों पर कार्यक्रम को लेकर नियम
प्राचीन संस्मारक और पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम 1959 के नियम 7 (1) के मुताबिक किसी संरक्षित स्मारक में केंद्र सरकार की लिखित अनुमति के बिना कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकता है। इसी वजह से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा उस मंदिर में पूजा करने पर विवाद हो गया है। प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1959 के नियम 7 (1) में कहा गया है कि केंद्र सरकार की लिखित अनुमति के बिना किसी संरक्षित स्मारक में बैठकें, स्वागत, दावत, मनोरंजन या सम्मेलन आयोजित नहीं किए जा सकते।
नियम 7 (2) कहता है कि यह "किसी मान्यता प्राप्त धार्मिक प्रथा या प्रथा के अनुसरण में" आयोजित होने वाले किसी भी कार्यक्रम पर लागू नहीं होना चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि नियमों के अनुसार, यदि कोई स्थल संरक्षण निकाय के अधिकार क्षेत्र में आने के समय पूजा-अर्चना का एक कार्यात्मक स्थान था, तो वह पूजा स्थल बना रहेगा।
एएसआई द्वारा संरक्षित हैं ये स्थल
ऐसे संरक्षित स्थल जो एएसआई के कार्यभार संभालने के समय पूजा स्थल थे, उनमें जामिया मस्जिद, श्रीनगर और फतेहपुर सीकरी मस्जिद शामिल हैं। आठवीं शताब्दी का मार्तंड मंदिर भारत के सबसे पुराने सूर्य मंदिरों में से एक है और अमूल्य प्राचीन आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है। 8 अप्रैल 2022 को श्री सिन्हा पूजा में शामिल हुए थे जो संतों, कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों और स्थानीय निवासियों की उपस्थिति में आयोजित की गई थी। उपराज्यपाल ने इस आयोजन को एक ‘‘दिव्य अनुभव’’ करार दिया था। इस अवसर पर, सिन्हा ने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के प्राचीन स्थलों की रक्षा एवं विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। बाद में सिन्हा ने मंदिर में विभिन्न सुविधाओं की समीक्षा की। इस दौरान क्षेत्र की पर्यटन क्षमता के दोहन पर भी चर्चा हुई।
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