बस्ती जिले के कप्तानगंज जो रतास नामक एक छोटा सा गांव है , कैप्टन स्तर के एक सैन्य अधिकारी द्वारा स्थापित सैनिक कार्यालय तथा बाजार 1861-62 तक स्थापित हो चुका था । 1865 में यहां तहसील तथा मुंसफी न्यायालय स्थापित हो चुके थे। 1857 की क्रांति को जब अंग्रजों से भलीभांति संभाला तब आगे की सुव्यवस्था के लिए बस्ती तहसील मुख्यालय को 1865 में जिला मुख्यालय घोषित कर दिया गया। फलतः 1876 में कप्तानगंज को तहसील व मंुसफी समाप्त करके हर्रैया में तहसील व मुंसफी बनाई गई । कप्तानगंज तहसील के भवन में वर्तमान थाना बना हुआ है। लगभग 15 सालों तक कप्तानगंज प्रशासन का एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक इकाई के रूप में बना रहा । 109 ग्राम सभाओं/पंचायतों तथा 11 न्याय पंचायतों को समलित करते हुए 2 अक्टूबर 1956 को कप्तानगंज विकास खण्ड का मुख्यालय घोषित किया गया । 1971 ई. में इस विकास खण्ड की जनसंख्या 84,501 रही। पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद कप्तानगंज विकासखंड 1956 में ही अस्तित्व में आ गया लेकिन ब्लाक प्रमुख का चुनाव पहली बार 1965 में हुआ तो उस समय के जनप्रिय नेता पंडित सूर्य दत्त त्रिपाठी जन्म १ जुलाई १९३० पहले प्रमुख निर्वाचित हुए जो 10जनवरी 1976 तक अपनी हत्या पर्यन्त तक अपने तीन कार्यकाल में इस पद पर बने रहे। उनकी हत्या का आरोप सहकारी समिति कप्तानगज के तत्कालीन मैनेजर अयोध्या सिंह पर लगा था , जो बाद में दोषमुक्त भी हो गए थे lअपने कार्यकाल में स्व. त्रिपाठी जी ने इन्दिरा गांधी के 1971 के बांग्लादेश के विजय से प्रभावित होकर 1972 में कप्तानगंज व्लाक मुख्यालय के सामने इन्दिरा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्याालय की स्थापना की थी। इसके प्रथम प्रधानाचार्य का दायित्व स्व. त्रिपाठी जी ने उस समय के युवा विद्वान डा. हरिहर पाण्डेय को सौंपा था। डा. पाण्डेय मूल रुप से नगर बाजार थाने के अठदमा के निवासी थे। स्व. त्रिपाठी के अभिन्न मित्र मरवटिया पाण्डेय निवासी स्व. सत्य नारायण पाण्डेय थे। जिनसे अंतरंगता रिश्ता होने के कारण डा. पाण्डेय स्व. ़ित्रपाठी के सानिध्य में आये और यह गुरुतर कार्य भार को संभालने का अवसर पाये हुए थे। इस विद्याालय में 18 स्नातक ग्रेड तथा 5 स्नातकोत्र ग्रेड के कुल 23 शिक्षक नियुक्त हुए थे। 519 छात्रये तथा 540 छात्राओं वाले इस विद्यालय में कुल 1059 छात्र थे। यहां के पुस्तकालय में 1210 पुस्तके बतायी जाती है। लगभग 43 साल की सेवा के उपरान्त डा. पाण्डेय ने 30 जून 2015 को में श्री अशोक कुमार मिश्र को विद्यालय का प्रभार दिये थे। अपने अंतिम दिनों में वह अपने पैतृक गांव अठदमा में रह रहे थे। उन्होेने पिकौरा सानी गांव निकट महराजगंज में आवास भी बनवा लिया था। अंतिम समय जब वे बीमार थें तो संजय गांधी पी जी आई लखनऊ में दाखिल हुए थे। लम्बी बीमारी के बाद उनका दिनांक 6 दिसम्बर को निधन हो गया। हम उन्हे सादर श्रद्धांजलि अर्पित कंरते हैं तथा ईश्वर से प्रार्थना कंरते हैं कि उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
Friday, January 10, 2020
डॉ हरिहर पांडेय का निधन
बस्ती जिले के कप्तानगंज जो रतास नामक एक छोटा सा गांव है , कैप्टन स्तर के एक सैन्य अधिकारी द्वारा स्थापित सैनिक कार्यालय तथा बाजार 1861-62 तक स्थापित हो चुका था । 1865 में यहां तहसील तथा मुंसफी न्यायालय स्थापित हो चुके थे। 1857 की क्रांति को जब अंग्रजों से भलीभांति संभाला तब आगे की सुव्यवस्था के लिए बस्ती तहसील मुख्यालय को 1865 में जिला मुख्यालय घोषित कर दिया गया। फलतः 1876 में कप्तानगंज को तहसील व मंुसफी समाप्त करके हर्रैया में तहसील व मुंसफी बनाई गई । कप्तानगंज तहसील के भवन में वर्तमान थाना बना हुआ है। लगभग 15 सालों तक कप्तानगंज प्रशासन का एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक इकाई के रूप में बना रहा । 109 ग्राम सभाओं/पंचायतों तथा 11 न्याय पंचायतों को समलित करते हुए 2 अक्टूबर 1956 को कप्तानगंज विकास खण्ड का मुख्यालय घोषित किया गया । 1971 ई. में इस विकास खण्ड की जनसंख्या 84,501 रही। पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद कप्तानगंज विकासखंड 1956 में ही अस्तित्व में आ गया लेकिन ब्लाक प्रमुख का चुनाव पहली बार 1965 में हुआ तो उस समय के जनप्रिय नेता पंडित सूर्य दत्त त्रिपाठी जन्म १ जुलाई १९३० पहले प्रमुख निर्वाचित हुए जो 10जनवरी 1976 तक अपनी हत्या पर्यन्त तक अपने तीन कार्यकाल में इस पद पर बने रहे। उनकी हत्या का आरोप सहकारी समिति कप्तानगज के तत्कालीन मैनेजर अयोध्या सिंह पर लगा था , जो बाद में दोषमुक्त भी हो गए थे lअपने कार्यकाल में स्व. त्रिपाठी जी ने इन्दिरा गांधी के 1971 के बांग्लादेश के विजय से प्रभावित होकर 1972 में कप्तानगंज व्लाक मुख्यालय के सामने इन्दिरा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्याालय की स्थापना की थी। इसके प्रथम प्रधानाचार्य का दायित्व स्व. त्रिपाठी जी ने उस समय के युवा विद्वान डा. हरिहर पाण्डेय को सौंपा था। डा. पाण्डेय मूल रुप से नगर बाजार थाने के अठदमा के निवासी थे। स्व. त्रिपाठी के अभिन्न मित्र मरवटिया पाण्डेय निवासी स्व. सत्य नारायण पाण्डेय थे। जिनसे अंतरंगता रिश्ता होने के कारण डा. पाण्डेय स्व. ़ित्रपाठी के सानिध्य में आये और यह गुरुतर कार्य भार को संभालने का अवसर पाये हुए थे। इस विद्याालय में 18 स्नातक ग्रेड तथा 5 स्नातकोत्र ग्रेड के कुल 23 शिक्षक नियुक्त हुए थे। 519 छात्रये तथा 540 छात्राओं वाले इस विद्यालय में कुल 1059 छात्र थे। यहां के पुस्तकालय में 1210 पुस्तके बतायी जाती है। लगभग 43 साल की सेवा के उपरान्त डा. पाण्डेय ने 30 जून 2015 को में श्री अशोक कुमार मिश्र को विद्यालय का प्रभार दिये थे। अपने अंतिम दिनों में वह अपने पैतृक गांव अठदमा में रह रहे थे। उन्होेने पिकौरा सानी गांव निकट महराजगंज में आवास भी बनवा लिया था। अंतिम समय जब वे बीमार थें तो संजय गांधी पी जी आई लखनऊ में दाखिल हुए थे। लम्बी बीमारी के बाद उनका दिनांक 6 दिसम्बर को निधन हो गया। हम उन्हे सादर श्रद्धांजलि अर्पित कंरते हैं तथा ईश्वर से प्रार्थना कंरते हैं कि उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
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