चीन से उत्पन्न हुआ नोवेल कोरोना वायरस रोग कोविड -19 तेजी से दरिया और पहाड़ के लहरों को पार करते हुए पूरी दुनिया में लोगों को बुरी तरह से प्रभावित किया था । पूरी दुनिया में इसके तीन - चार लहरों या आवेगों में भारी संख्या में लोगों के अमूल्य जीवन को नुकसान पहुंचाया है।
पहली लहर:- देश में कोरोना का पहला केस 30 जनवरी 2020 को केरल में सामने आया था।इसका पीक 17 सितंबर 2020 को आया था। उस दिन करीब 98 हजार केस सामने आए थे। 10 फरवरी 2021 से पहली लहर कमजोर हुई और मामले कम होने लगे। पहली लहर करीब 377 दिन तक चली थी। इस दौरान 1.08 करोड़ मामले सामने आए थे और 1.55 लाख मौतें हुई थीं। हर दिन औसतन 412 मौतें हुईं थीं।
दूसरी लहर: मार्च 2021 से ही संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने लगे थे। अप्रैल और मई में दूसरी लहर अपने चरम पर थी। 1 अप्रैल से 31 मई यानी 61 दिन तक कोरोना की दूसरी लहर ने जमकर तबाही मचाई थीं । इस दौरान 1.60 करोड़ नए मरीज मिले थे । इसमें लगभग 1.69 लाख लोगों की मौत हुई थी ।यानी हर दिन औसतन 2,769 मरीजों की मौत हुई थीं।
तीसरी लहर : ओमिक्रॉन की वजह से देश में 27 दिसंबर 2021 से तीसरी लहर शुरू हुई थीं ।इस दौरान 50.05 लाख नए मरीज मिल चुके थे। जबकि, 10 हजार 465 लोगों की मौत हुई है थीं । तीसरी लहर में मृत्यु दर 0.2% रही है।
उत्तर प्रदेश का बस्ती जिला अछूता नहीं :-
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की दूसरी लहर में स्थिति पहले की अपेक्षा बिल्कुल उल्टी रही। मार्च अप्रैल 2021 में तीन मरीजों के जिले में प्रवेश किया और बाद में यह बढ़ता गया। दूसरी लहर में पचास पार उम्र वालों पर संक्रमण का खतरा अधिक रहा है। एक अप्रैल से अब तक 995 से ज्यादा लोग संक्रमित हुए। इसमें सर्वाधिक पाजिटिव पाए गए लोग 50 -55 आयु वर्ग के रहे हैं। कोरोना से जो मौतें हुई हैं,उसमें अधिकतर युवा वर्ग के लोग शामिल रहे हैं। 20 से 50 साल की उम्र वाले लोग कोरोना से कुछ ज्यादा ही संक्रमित हुए थे।
रोकथाम के व्यापक प्रयास भी हुए :-
कोरोना का प्रभाव रोकने के लिए जिले में जांच का दायरा बढ़ाया गया था। शहर से लेकर गांव तक में जांच टीमें निरंतर भ्रमण कर रही थी। उन दिनों 1300 से अधिक एंटीजन व 1200 से अधिक आरटीपीसीआर जांच कराई गई थी। शहर में दो से तीन सौ एंटीजन व आरटीपीसीआर व गांव में एक हजार से दो हजार के बीच एंटीजन व आरटीपीसीआर जांच की जा गई थी। ग्रामीण क्षेत्र में एक से 18 अप्रैल तक 14 हजार 400 जबकि शहरी क्षेत्र में 3600 जांच की गई थी।
शहर की अपेक्षा गांव में मिले अधिक संक्रमित :-
शहर की अपेक्षा गांव में संक्रमित अधिक मिले हैं। एक अप्रैल से अब तक ग्रामीण क्षेत्र में 14 हजार 400 जांच हुई है, जिसमें 650 से अधिक संक्रमित मिले थे। वहीं शहर में 3600 जांच हुई थी जिसमें 345 लोग संक्रमित मिले थे । कुल मिलाकर शहर में संक्रमण कम है तो ग्रामीण क्षेत्र में अधिक रहा हैं। बस्ती जिले में 14 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के अलावा 37 पीएचसी, 369 हेल्थ वेलनेस सेंटर संचालित हैं। पीएचसी व हेल्थ वेलनेस सेंटर ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराती है जबकि सीएचसी पर जांच, इलाज से लेकर भर्ती करने तक की व्यवस्था रहती है। कोरोना की दूसरी लहर में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते तमाम लोगों ने जान गवां दी थी। इस झटके के बाद सरकार सक्रिय हुई और आक्सीजन की उपलब्धता स्थानीय स्तर पर ही बनाए रखने के लिए आक्सीजन उत्पादन इकाई स्थापित करने को मंजूरी दी गई थी। इस क्रम में जिले में छह आक्सीजन जनरेटर प्लांट स्थापित किए गए । इसमें से पांच प्लांट सक्रिय हो चुके हैं। अब कोरोना के संक्रमितों को उनके घर के निकट ही इलाज की सुविधा मुहैया कराई गई। गांव तक कोरोना इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित कराने के इसके अलावा अस्पताल में सौ बेड सामान्य मरीजों के लिए भी तैयार हुए । बच्चों के लिए भी सौ बेड का पीआईसीयू स्थापित किया गया । सभी संसाधनों से सुसज्जित कोरोना वार्ड तैयार किया गया था। इन सबसे बस्ती मंडल और जिले में कोरोना काफ़ी कुछ नियंत्रण में आ गया है। जिले के मेडिकल कॉलेज में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रान को देखते हुए तैयारी शुरू हो गई है। लेबल-2 के इस अस्पताल में संसाधनों को सक्रिय कर दिया गया है। यहां 240 बेड कोरोना के मरीजों के लिए सुरक्षित कर दिया गया है। वहीं सौ बेड पीआईसीयू में भी तैयार किया गया है। कोरोना संक्रमण तेज होने के दौरान ही मेडिकल कॉलेज से संबद्ध ओपेक चिकित्सालय कैली को लेबल-टू का अस्पताल घोषित कर दिया गया था। अब ओमिक्रान के नए वैरिएंट को देखते हुए फिर से तैयारी तेज कर दी गई । लेबल टू के इस कोरोना अस्पताल में 240 बेड इसी के लिए ही सुरक्षित किए गए । 125 बेड पर वेंटिलेटर हैं तो सभी पर पाइप लाइन से ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था भी करा दी गई है। इसका कनेक्शन ऑक्सीजन जेनरेटर प्लांट से कराया गया है।
बस्ती जिले का कोरॉना बैरियर :
आर्थोपेडिक सर्जन डा. सौरभ द्विवेदी
बस्ती जिले के मूल निवासी तथा केंद्रीय विद्यालय बस्ती और आगरा से अपनी शिक्षा शुरू करने वाले रिम्स सैफई से एमबीबीएस और एस एन मेडिकल कॉलेज आगरा से आर्थोपेडिक विषय में एमएस चिकित्सा में गोल्ड मेडिलिस्ट युवा आर्थोपेडिक सर्जन, अब अपने गृहनगर बस्ती के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए सेवा दे रहे हैं। बड़े शहरों की सुवधाओं और चकाचौध को दर- किनारे लगाते हुए अपनी चलती- चलाती प्राइवेट प्रैक्टिस को छोड़कर 10अप्रैल 2021 को बस्ती के महर्षि वशिष्ठ स्वशाषी चिकित्सा महाविद्यालय में सीनियर रेजिडेंट के पद पर अपनी सेवा अपनी मातृ भूमि को यह समझ कर शुरू किया था की अस्थि और जोड़ से संबंधित रोग का निदान आम जनता को अपने शहर में उपलब्ध हो सके और लोगों को गोरखपुर वा लखनऊ का रुख ना करना पड़े। उस समय तक बस्ती के आस पास में अस्थि रोग से संबंधित अच्छी चिकित्सा की सुविधाओं का अभाव था । कोविड 19 के अपने आगरा के सेवा दौरान डा सौरभ द्विवेदी दो बार तथा बस्ती में सेवा के दौरान तीन बार संक्रमित भी हुए। उन्होंने दिन- रात एक कर सैकड़ों मरीजों को प्रत्यक्ष या टेली कंसलटेंट द्वारा उपचारित किया है। अपनी मां श्रीमती कमला द्विवेदी और मामी श्रीमती अंशु उपाध्याय को अपने घर के अलग अलग कमरों में क्वार्टीन करके कैरोना से बचाया था।
अध्ययन स्थिति
जिले में कोरोना का अंतिम मामला 11 अगस्त 2023 को मिला था। केजीएमसी के आरटीपीसीआर जांच में कोरोना
वायरस की पुष्टि के बाद जिले में एलर्ट किया गया था। उस समय तक जिले में कोरोना से संबंधित केसों की संख्या 13533 रही। 11 अगस्त 2023 को एक केश बढ़ोतरी से यह संख्या 13534 हो गई। इसमें 341 की मृत्यु हो चुकी है। सवा तीन महीने बाद एक 29 नवम्बर तक बस्ती जिले के एक मरीज में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। यह रुधौली क्षेत्र के मिश्रौलिया इमिलिया गांव के 32 वर्षीय युवक है।
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