Friday, May 24, 2019

वैश्विक नेता के रुप में मोदी जी उभरे -- डा. राधेश्याम द्विवेदी



आज के राजनैतिक हालात में मोदी अजेय है, अपराजेय हैं ! मोदी को हराना है तो मोदी बनना पड़ेगा, मोदी की तरह सोचना पड़ेगा और मोदी की तरह ही चालें चलनी पड़ेंगी। मोदी को हराने के ख्वाब देखने वालों को अपनी लकीर मोदी की खींची गई लकीर से बड़ी खींचनी होगी, मोदी की खींची हुई लकीर को छोटा कर के मोदी को नहीं हराया जा सकता।केवल जुबानी ढ़िढ़ोरा पीटने तथा उसे गाली या नीच कहने से या आर एस एस पर अनर्गल आरोप मढने से मोदी की प्रासंगिकता कभी कम नहीं हो सकती है।
नरेंद्र मोदी, भारतीय राजनीति का वो सबसे रहस्यमयी चेहरा जिसके चाहने वाले बेहिसाब हैं तो उससे नफरत करने वाले भी बेशुमार। एक तरफ जहाँ उनके विरोधियों ने अपने सारे घोड़े खोल रखे हैं वहीं दूसरी तरफ उनके समर्थक अपनी पूरी ताकत से उसके पीछे लामबंद हैं। विरोधियों का लक्ष्य है कि मोदी को दोबारा आने नहीं देना है तो मोदी के समर्थकों की जिद है कि मोदी को जाने नहीं देना है और इसी जद्दोजहद में पूरा चुनाव सिमट कर रह गया है। गलत नहीं होगा अगर कहें कि इस बार का पूरा चुनाव मोदीमय हो चुका है। या तो आप मोदी के साथ हैं या फिर मोदी के खिलाफ हैं लेकिन केंद्र में मोदी ही हैं।

कई मायनों में ये चुनाव अभूतपूर्व है। पहला तो ये कि एक खास वर्ग मोदी को हटाना तो चाहता है लेकिन मोदी नहीं तो फिर कौन का जवाब नहीं देता। भाजपा की कोई बात नहीं हो रही है बस मोदी को हटाना है, क्यों हटाना है पता नहीं लेकिन हटाना है। ये है इस व्यक्ति से कुछ लोगों की नफरत का आलम। खुद का पता नहीं लेकिन मोदी न रहें अगले प्रधानमंत्री सारी ताकत बस इसी बात में लगी हुई है।
एक हताश, निराश और लुटा पिटा विपक्ष मोदी के सामने है जिसमें न तो कोई ऊर्जा है, ना आगे के लिये कोई दिशा है और न ही मोदी से मुकाबला करने की ताकत, कम से कम चुनाव प्रचार तो अब तक यही संकेत देता है।विपक्ष की दरिद्रता का आलम ये है मोदी विरोध की बड़ी बड़ी बातें करने वाले ये तमाम स्वनामधन्य नेता मोदी के खिलाफ कोई मजबूत प्रत्याशी तक नहीं दे पाए बनारस में। ये उत्तर प्रदेश में ही नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने की ताकत तक नहीं रखते। विपक्ष का कोई विश्वसनीय स्वरूप जनता के सामने उभर नहीं पा रहा है. न तो विपक्षी दलों में एकता है, न विपक्षी दलों के पास ललचाऊ नेता और नीति है.आज देश में जैसा माहौल है, उसमें कोई पार्टी केवल घोषणापत्र के सहारे चुनाव नहीं जीत सकती. फिर भी कांग्रेस ने प्रयास किया था एक ललचाऊ घोषणापत्र पेश करने का, लेकिन देशद्रोह कानून, धारा 370, AFSPA आदि पर देश के मानस से बिल्कुल 180 डिग्री उल्टी बात करके उसने अपने ही "हाथ" से अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली.
कांग्रेस को आज नहीं तो कल नेहरू-गांधी परिवार से बाहर अपना भविष्य तलाशना ही पड़ेगा. अगर वह जबरन देश की जनता पर इस खानदान के अयोग्य और अलोकप्रिय युवक-युवतियों को थोपना चाहेगी, तो उसे जल्दी ही महसूस हो जाएगा कि 70 साल के विकासक्रम में जनता का मानस अब राजतंत्र को छोड़कर लोकतंत्र को अपनाने के लिए तैयार होता जा रहा है.कई संकेतों से ऐसा भी लगता है कि कांग्रेस मन ही मन 2019 की लड़ाई हार चुकी है और वह 2024 के लिए तैयारी कर रही है, लेकिन 2024 की लड़ाई भी वह राहुल और प्रियंका के नेतृत्व में नहीं जीत सकती, इसलिए बेहतर होगा कि पार्टी, देश और लोकतंत्र के हित में 2019 का चुनाव निपटने के बाद वह यथाशीघ्र अपना नेतृत्व बदल डाले और पार्टी संभालने के लिए कुछ बेहतर नेताओं को गढ़ना शुरू कर दे.कांग्रेस के अलावा अन्य सभी विपक्षी दल भी या तो क्षेत्र विशेष में सीमित हैं या फिर अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं. लोकतंत्र में अगाध आस्था रखने के कारण मैं हमेशा से देश में एक मज़बूत विपक्ष देखना चाहता हूं, लेकिन दुर्भाग्य कि अभी लोकतंत्र के इतने अच्छे दिन आए नहीं हैं. भाजपा और मोदी फिलहाल अदम्य और अपराजेय लगते हैं.
वैश्विक नेता के रुप में:- चुनाव परिणाम सकारात्मक आ ही सकता है, कुछ भी हो लेकिन लोहा तो विश्व की अनेक हस्तियां भी मोदी से नहीं ले पा रही हैं । दूसरे शब्दों में हम यहां तक कह सकते हैं जो कल तक मोदी को बीजा देने से कतराते थें आज वे कुछ पल मोदी के साथ गुजारने को तरसने लगे है। आज मोदी के बिना विश्व का कोई महान नीति व काम नातो बन सकता है और ना हो सकता है। पीएम मोदी द्वारा उठाए गए राष्ट्र हित के कदमों ने देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में उनको एक लोकप्रिय और ताक़तवर नेता के रूप में पहचान दिलाई है।
1.चैंपियंस ऑफ अर्थ अवार्ड (2018) संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पर्यावरण के क्षेत्र में प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया है। पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को 'चैंपियंस ऑफ अर्थ' के पुरस्कार के लिए चुना गया है। संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण विभाग ने घोषणा की है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को नीति नेतृत्व के वर्ग में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के क्षेत्र में उनके प्रयासों को देखते हुए दिया गया है। यह सम्मान उन्हें पॉलिसी लीडरशिप कैटेगरी में दिया गया है। यह सम्मान पर्यावरण के कार्यों में सहयोग के नए क्षेत्रों को बढावा देने के प्रयासों को मान्यता देता है। इनमें पीएम मोदी के 2022 तक प्लास्टिक के सभी एकल प्रयोग खत्म करने की अभूतपूर्व प्रतिबद्धता शामिल है।
2. द ग्रैंड कालर ऑफ स्टेट ऑफ फिलिस्तीन (2018) इस साल फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिलिस्तीन की यात्रा पर गए थे। फिलिस्तीन के यात्रा करने वाले नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं। इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री को फिलिस्तीन ने 'The Grand Collar of the state of Palestine' के अवार्ड से सम्मानित किया गया।'The Grand Collar of the state of Palestine' फिलिस्तीन सरकार द्वारा किसी भी विदेशी को दिया जाने वाला सबसे बड़ा अवार्ड है। फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने पीएम मोदी को इस अवार्ड से सम्मानित किया। पीएम मोदी को भारत और फिलिस्तीन के बीच बेहतर सम्बन्ध बनाने के लिए इस अवार्ड से सम्मानित किया गया।
3. ‘ किंग अब्दुल्ला अजीज साश' अवार्ड (2016) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2016 में सऊदी अरब के दौरे पर सबसे बड़े नागरिक सम्मान से नवाज़ा गया। सऊदी अरब में किंग अब्दुल अज़ीज़ साश अवार्ड से सम्मानित किया गया। सऊदी अरब के किंग अब्दुल अजीज शाह ने प्रधानमंत्री मोदी को इस अवार्ड से सम्मानित किया था। सऊदी अरब का सबसेबड़ा नागरिक पुरस्कार आधुनिक सऊदी राज्य के संस्थापक अब्दुल्ला अजीज अल सौद के नाम पर दिया जाता है। पीएम मोदी से पहले दुनिया भर के कुछ चुनिंदा राष्ट्राध्यक्षो को सऊदी अरब ने इस अवार्ड से सम्मानित किया है। इसमें अमेरिका के (तत्कालीन ) राष्ट्रपति ओबामा, ब्रिटेन के (तत्कालीन) प्रधानमंत्री डेविड कैमरुन, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नाम शामिल हैं।
4. आमिर अमानुल्लाह खान अवार्ड (2016) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अफगानिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, आमिर अमानुल्लाह खान अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। 2016 में पीएम मोदी की अफगानिस्तान की यात्रा के दौरान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने मोदी को इस अवार्ड से नवाज़ा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व में ताकतवर नेता के रूप में उभरे हैं। पीएम मोदी को 2014, 2015 और 2017 में टाइम्स मैगज़ीन ने विश्व के 100 सबसे ताकतवर लोगों में उनका नाम शामिल किया गया था। 2014 में नरेंद्र मोदी को टाइम्स मैगजीन रीडर्स पोल में 'पर्सन ऑफ ईयर' चुना गया था। विश्व की प्रतिष्ठित मैगजीन फोर्ब्स ने 2018 में दुनिया में नौवां सबसे ताक़तवर नेता बताया था। 2016 में लंदन के प्रसिद्ध मैडम तुसाद म्यूजियम में पीएम मोदी की मूर्ति विश्व के ताक़तवर और प्रसिद्ध नेताओं के बीच लगायी गयी।
             मोदी विश्व का एक उभरता सितारा बन गया है। मोदी जी को विश्व के नेताओं की ढ़ेर सारी बधाइयां मिल रही है। इन्दिरागांधी के बाद भारत में अन्य कोई प्रधानमंत्री इतना पापुलर नहीं हुआ था। वह दिन दूर नहीं मोदी विश्व में अपना विशिष्ट स्थान बनाने में कामयाब हो जाएगा।आज यदि भारत की राजनीति में मोदी ना भी रहे तो वह अध्यात्म की दुनिया में विश्व में अपना स्थान बना ही डाले हैं । वह समय बहुत दूर नहीं कि लोग राम कृष्ण बुद्ध गांधी व अम्बेडकर की तरह मोदी की शक्सियत को भी उच्च स्थान देने ही लगेगे।

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