इटावा का मामला क्या है :-
यादव कथावाचक वाली घटना इटावा जिले के बकेवर थाना क्षेत्र के दादरपुर गांव की है, जहां 21 जून को एक भागवत कथा का आयोजन किया गया था।
यादव कथावाचक क्या व्यासपीठ की गरिमा के योग्य था :-
कार्यक्रम में कथावाचक मुकुट मणि यादव और आचार्य संत सिंह यादव कथा वाचन कर रहे थे। इनका कथा वाचन कथा कम हास्य और फूहड़ नौटंकी ज्यादा लग रही थी।
कथावाचक हेमराज यादव को जरा उनके वीडियो में सुनिए, देखिए कैसे कथा के नाम पर व्यास पीठ की गरिमा पर बट्टा लगा रहे हैं।भगवा पहने हैं गले में रामनामी दुपट्टा लगाए हैं। जैसे कथा नहीं नौटंकी चल रही हो। इसे इस लिंक से देखा जा सकता है –
https://www.facebook.com/EkSwaymsevak/videos/1061926582103569/?mibextid=rS40aB7S9Ucbxw6v
कथा कोई भी कहे लेकिन गरिमा के साथ। बेहतर यही होगा जो व्यास पीठ पर बैठने का अधिकारी हो, जिसे शास्त्र का ज्ञान हो, जो मर्यादा में रह सके, वह कहे।
कथा के दौरान विवाद:-
भागवत कथा के दौरान जमकर विवाद हो गया था। कथावाचक मुकुट मणि यादव और उनके साथी संत कुमार यादव के साथ दुर्व्यवहार किया गया था। मारपीट के बाद संत यादव का सिर भी मुड़वा दिया गया था।
कथाकारों की जाति और आचरण अशिष्ट :-
आयोजन के दौरान कुछ ग्रामीण युवकों ने की जाति और आचरण को लेकर आपत्ति जताई। इन्होंने जाति छिपाकर कथा कही और महिला से छेड़खानी की। आचार्यों ने महिलाओं के साथ अशिष्टता भी की ।
आरोप लगाया गया कि कथावाचकों ने स्वयं को ब्राह्मण बताकर कथा का आयोजन कराया था ,जबकि वह अन्य जाति से हैं। इसी विवाद ने तूल पकड़ा और कुछ लोगों ने कथावाचकों के साथ मारपीट शुरू कर दी। इतना ही नहीं, उनकी इच्छा के विरुद्ध उनके बाल भी काट दिए गए। इस अमानवीय कृत्य का वीडियो किसी ने बना लिया, जो बाद में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
वीडियो वायरल होने पर पुलिस एक्शन
वीडियो के वायरल होने के बाद क्षेत्र में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई. स्थानीय लोगों और धार्मिक संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
पुलिस चार आरोपियो को गिरफ्तार किया:-
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। सेल ने वायरल वीडियो का संज्ञान लिया और मामले की जांच शुरू की।पीड़ित कथावाचकों की तहरीर पर संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चार आरोपियों आशीष (21 वर्ष), उत्तम (19 वर्ष), प्रथम उर्फ मनु (24 वर्ष) और निक्की (30 वर्ष) को गिरफ्तार कर लिया। इनमें निक्की पर कथावाचकों के बाल जबरन काटने का मुख्य आरोप है।
अखिलेश ने कानून व्यवस्था बिगाड़ा:-
इस मामले पर सियासत भी तेज है। अखिलेश यादव जहां इस मामले में शास्त्र सम्मत बातों को नजरंदाज करते हुए सभी ब्राह्मण समुदाय को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने अपने कथाकारों को सम्मानित करते हुए बीस बीस हजार रुपए का इनाम भी दिया है।उनके गुंडे क्षेत्र की फिजा खराब करने में लगे हैं। मजबूरी में ब्राह्मण महा सभा को भी इसके बीच में कूदना पड़ा। अब पीड़ित यादव कथाकार ना होकर क्षेत्र की ब्राह्मण जनता हो गई है। जो कानून के दायरे में गुण दोष के हिसाब से कार्यवाही का पक्षधर है। सपा पीडीए के लोग योगी सरकार पर हमले बोल रहे हैं तो वहीं बीजेपी के लोग भी अखिलेश यादव पर हमलावर है।
कथाकार भी हुए भूमिगत :-
जब यजमान की पत्नी ने अशिष्टता की शिकायत की तो कथाकारों के पास दो दो आधार कार्ड मिले,जिसे अपनी सुविधा के अनुसार बदल कर वे अपने काम को अंजाम देते थे।प्रशासन के संज्ञान में आते ही इन पर मुकदमे दर्ज हो गए और ये लोग भूमिगत होकर कानूनी कार्यवाही से बचते हुए भागते फिर रहे हैं।
व्यासपीठ का अधिकारी
ब्राह्मण ही होता है:-
गीता प्रेस, गोरखपुर से प्रकाशित श्री मदभागवत के भाग 1 के महात्म्य भागवत पुराण की महिमा के छठे भागवत सुनने की प्रक्रिया नामक अध्याय के 20 वें और 23वें श्लोक में कथाकार के गुण और चरित्र को स्पष्ट रूप लिखा गया है -
श्लोक-20
विरक्तो वैष्णवो विप्रो
वेदशास्त्रविशुद्धिकृत्।
दृष्टान्तकुशलो धीरो वक्ता कार्योऽतिनिःस्पृहः ॥
(चुना गया व्याख्याता भगवान विष्णु का उपासक ब्राह्मण होना चाहिए , जिसने संसार का त्याग कर दिया हो, तथा जो वेदों और शास्त्रों के कठिन विषयों को समझाने में सक्षम हो , (विषय को स्पष्ट करने में) उचित उदाहरण देने में निपुण हो, तथा लोभ और लालसा से पूर्णतः मुक्त बुद्धिमान वक्ता हो।)
(इटावा के कथाकार इस कसौटी पर पूर्णतः फेल रहे। वे सब कुछ जानते हुए अनाधिकार चेष्टा में लगे थे । न तो उन्हें वेद का ज्ञान था ना शास्त्र का। वे लोभी, लालची,कामी और फूहड़ नौटंकी बाज ज्यादा थे।)
श्लोक-21
अनेकधर्मविभ्रान्ताः
स्त्रैणाः पाखण्डवादिनः।
शुकशास्त्रकथोच्चारे
त्याज्यास्ते यदि पण्डिताः ॥
(जो व्यक्ति स्वयं धर्म के विभिन्न मार्गों से भ्रमित हैं, स्त्रियों में अत्यधिक आसक्त हैं, पाखण्ड को मानते हैं, वे भले ही विद्वान क्यों न हों, भागवत के पाठ के भी अयोग्य हैं।)
(इटावा के कथाकार इस कसौटी पर पूर्णतः फेल रहे। वायरल वीडियो में उनके
फिल्मी गानों की पैरोडी उनके इस गुण को लक्षित कर रहे हैं)
श्लोक-22
वक्तुः पार्श्वे सहायार्थमन्यः
स्थाप्यस्तथाविधः ।
पण्डितः संशयच्छेत्ता
लोकबोधनतत्परः ।।
( भागवत के) व्याख्याता के साथ तथा उसकी सहायता के लिए , व्याख्याता के समान योग्यता वाला एक अन्य विद्वान ब्राह्मण, जो (श्रोताओं के) संदेहों का समाधान करने में समर्थ हो तथा लोगों को ज्ञान देने में तत्पर हो, को स्थापित करना चाहिए।)
(इटावा के कथाकार इस कसौटी पर पूर्णतः फेल रहे। उनका सहयोगी भी अपने आचार्य की ही तरह योग्यता में नगण्य रहा)
श्लोक-23
वक्त्रा क्षौरं प्रकर्तव्यं
दिनादर्वाग्वताप्तये।
अरुणोदयेऽसौ निर्वर्त्य
शौचं स्नानं समाचरेत् ॥
(निर्धारित सप्ताह में भागवत का पाठ और व्याख्या करने का) पवित्र व्रत पूरा करने के लिए , (प्रस्तावित) व्याख्याता को पिछले दिन मुंडन करवाना चाहिए। भोर होने पर, उसे अपने सुबह के कामों से निपटकर स्नान करना चाहिए।
(इटावा के कथाकार इस कसौटी पर पूर्णतः फेल रहे। कथा के पूर्व उनके शिर में पूरे बाल थे। यद्यपि उन्हें अपने परीक्षित की तरह बाल एक दिन पूर्व ही मुड़ा लेना चाहिए।)
अमर किशोर प्रसाद सिंह :-
श्री अमर किशोर प्रसाद सिंह ने मेरे फेसबुक पृष्ठ पर ब्राह्मण के विद्वता पर जोर देते हुए एक बहुत ही सार्थक टिप्पणी जोड़ी है जिसे मैं यहां साभार उद्धृत कर रहा हूं -
"ब्रह्म समान जिसका आचरण एवं विचार है, बह ब्राह्मण है। जो श्रोता को संसार से मोह भंग करा कर, भगवान् के चरणों में अनुराग बढ़ा दे, बही व्यासपीठ का अधिकारी है। जो अपनी ही सूरत और जेब चमकाने में लगा है, कथा के पूर्व व्यूटीपार्लर जाना, लट बिखेरना, जो श्रोता के मनोमस्तिस्क अपनी छवि बिठा रहा, बह भगवान् की मूरत हृदय में कहाँ से बिठा पायेगा।"
कानून अपनी सही प्रक्रिया में :-
जिस तरह से प्रदेश की सरकार ने गंभीरता के साथ कदम उठाया और ऐसे शांति भंग करने वालों को गिरफ्तार किया है । अब निश्चित बात है कि जब कोई बात होती है तो दूसरा दल उसमें राजनीति ढूंढता है ताकि उनको फायदा हो सके। उनकी वोटों का ध्रुवीकरण हो सके ।
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