Wednesday, May 17, 2023

मुगल शहर फतेहपुर सीकरी एवं वहां का संग्रहालय डा. राधेश्याम द्विवेदी

जल से ग्रहण करने वाले इस क्षेत्र में स्थित घने घने और शिकार योग्य पर्याप्त जंगली पशु-पक्षियों के कारण आदि मानव ने इस स्थल को अपने आवास के लिए उपयुक्त पाया| झील के किनारे-किनारे शैल चित्र और पाषाण युग के उपकरण भी मिले हैं गैरिक मृदभांड दलाल (लगभग 2000 ई0पू0) और चित्रित धूसर मृदभांड दलाल (लगभग 1200 से 800 इंसा पूर्व) के तथ्य भी यहा से प्राप्त हुए हैं|यह स्थित वीरछबीली टीला के उत्खनन से प्राप्त जैन सरस्वती (1010 ई0) की छवि पर अभिलेख में संकारिया स्थान का उल्लेख है जो सैक्स्य से साम्य रखता है| उत्खनन से प्राप्त दसवीं और ग्याहरवीं शताब्दी की जैन शपथपत्र से विदित होता है कि यह पूर्व ऐतिहासिक काल से निरन्तर आवादी थी| इस स्थान पर राजपूतों की जिस शाखा का शासन था वह भी सिकरवार ही कहलायी, यह नाम भी शाक्य-सेकरिया के क्रम में आता है| यह स्थल वाणिज्यिक, सांस्कृतिक और धार्मिक क्रिया-कलापों का केंद्र था, विंध्य पर्वतमाला के ऊंचे छोर पर स्थित, लाल बलुए पत्थरों से निर्मित, फतेहपुर सीकरी स्मारक समूह मूल रूप से एक विशाल प्राकृतिक झील के किनारे बसाया गया था| संस्कृत साहित्य एवं बैंकॉक में सीकरी का उल्लेख महाभारत काल है जिसमें पाण्डवों के राजसूय यज्ञ के अवसर पर सहदेव के दक्षिण विजय अभियान के सन्दर्भ में साक्य के नाम से हुआ है जिसका अर्थ जल से सिंचित प्रदेश है| इसी से निष्पादित होकर सीकरी शब्द बना होगा|विश्व विरासत स्मारक फतेहपुर सीकरी एक नगर है जो कि आगरा जिले का एक नगर वरीयता बोर्ड है| यह हिंदू और मुस्लिम वास्‍तुशिल्‍प के मिश्रण का सबसे अच्‍छा उदाहरण है| फतेहपुर सीकरी ज़िले के बारे में कहा जाता है कि यह मक्का का ज़िक्र है और इसकी रूपरेखा हिंदू और पारसी वास्तुशिल्प से लिए गए हैं| मस्जिद का प्रवेश द्वार 54 मीटर ऊंचा बुलंद दरवाजा है जिसका निर्माण 1570 ई0 में किया गया था मस्जिद के उत्तर में शेख सलीम चिश्ती की दरगाह है जहां नि: संतति महिलाएं दुआएं होती हैं| आंखें मिचौली, दीवान-ए-खास, रोशन दरवाजा, पांच महल, ख्वाबगाह, अनूप तालाब फतेहपुर सीकरी के प्रमुख स्मारक हैं|
इतिहास :- सीकरी ऊपरी विंध्य पर्वतमाला का विस्तार एक बड़ी प्राकृतिक झील है, जो अब ज्यादातर सूख गई है, के तट पर स्थित है| यह एक पूर्व ऐतिहासिक स्थल और ढेर सारी मात्रा में जल, जंगल और सितारों के मालिक के साथ है, यह आदिम मनुष्य के निवास के लिए आदर्श था| छवियों के साथ रॉक शरणों झील की सीमा पर मौजूद हैं| पाषाण युग के उपकरण इस क्षेत्र में पाए गए हैं|गेरू रंग के धब्बे (सी. 2 सहस्रब्दी ई.पू.) और रंगीन ग्रे वेयर (सी.1200-800 ईसा पूर्व) भी यहां से खोजे गए हैं| सीकरी 'साइक' के रूप में महाभारत में उल्लिखित है| शब्दकोशों में पानी से घिरा एक क्षेत्र के रूप में 'साइक' को परिभाषा| एक शिलामणि सरस्वती (दिनांक 1067 विक्रम संवत = 1010 ईस्वी) की पत्थर की मूर्ति पर 'सेक्रिक्या' पाया गया है, इसका उल्लेख इस स्थान पर किया गया है जो एक समान रूप से उत्पन्न हुआ है यह सब पता चलता है कि सीकरी लगातार प्रागैतिहासिक काल से बसा हुआ था| बाबर ईस्वी 1527 में खानवा युद्ध की पूर्व संध्या पर इस स्थान पर गया और अपने संस्मरणों में 'सीकरी' के रूप में इसका उल्लेख किया है| उन्होंने यहां एक बाग और एक जल-महल झील के पानी से घेर लिया है, और एक बावली (बावड़ी) खानवा की लड़ाई में उनकी जीत के लक्ष्य की स्थापना की गई है| मुगल बादशाह बाबर ने राणा सांगा को सीकरी नमक स्थान पर हराया था, जो कि वर्तमान आगरा से 40 कि0मि0 है| बाबर के पोते अकबर (1556-1605) ने अपने निवास और अदालत को 1585 के लिए 1572 से सीकरी आगरा से स्थानांतरित कर दिया, 13 साल की अवधि के लिए, पर एक शिक्षा में सूफी संत सलीम चिश्ती, जो यहां बसता | अकबर उन्हें बहुत ज्यादा के रूप में संत का एक बेटा है जो 1569. में सलीम का नामकरण किया गया था वह जनता के लिए उनके उपयोग के लिए दीप्तिमान छतों और घरों को उठाए हुए के साथ आशीर्वाद दिया था श्रद्धेय| इस प्रकार का विकास हुआ है, आकर्षण आकर्षण और दर्शनीय स्थलों के साथ एक बड़ा शहर है| अकबर का यह फतहाबाद का नाम दिया गया है और जो बाद के दिनों में के रूप में “फतेहसीकरी” में जाना जाने लगा| फिर अकबर ने इसे मुख्यालय बनाने का दावा यहां किला बनवाया, लेकिन पानी की कमी के कारण राजधानी को आगरा का किला में स्थानांतरित करना पडा| आगरा से 37 कि.मी. दूर फतेहपुर सीकरी का निर्माण मुगल सम्राट अकबर ने दावा किया था| एक सफल राजा होने के साथ-साथ वह कलाप्रेमी भी था| 1570 -1585 तक फतेहपुर सीकरी मुगल साम्राज्ञी की राजधानी भी रही| इस शहर का निर्माण अकबर ने अपनी निगरानी में लिया था अकबर नि: संत था| सभी संकल्प के उपाय विफल होने पर वह सूफी संत शेख सलीम चिश्ती से प्रार्थना की इसके बाद बेटे जन्मम से खुश और उत्‍साहित अकबर ने यहां अपनी राजधानी बनाने का निश्चय किया| लेकिन यहां पानी की बहुत कमी थी इसलिए केवल 15 साल बाद ही राजधानी को पुन: आगरा ले जाना पड़ा| आगरा से 22 मील दक्षिण, मुगल सम्राट अकबर के बसाए हुए भव्य नगर के दरवाजे आज भी अपने प्राचीन वैभव की झाँकी प्रस्तुत करते हैं| अकबर से पूर्व यहां फतेहपुर और सीकरी नाम के दो गांव बसे थे जो अब भी हैं इन्हें अंग्रेजी शासक पुराने विलेजेज के नाम से पुकारते थे सन 1527 ई॰ में चित्तौड़-नरेश राणा संग्रामसिंह और बाबर में यहाँ से लगभग दस मील दूर कनवाहा नामक स्थान पर भारी युद्ध हुआ था जिसकी स्मृति में बर ने इस गाँव का नाम बातेहपुर कर दिया था| उसी से यह स्थान फतेहपुर सीकरी है| कहा जाता है कि इस ग्राम के निवासी शेख शेख चिश्ती के आशीर्वाद से अकबर के घर सलीम (जहाँगीर) का जन्म हुआ था| जज़ीर की माता जोधाबाई (आमेर नरेश बिहारीमल की पुत्री) और अकबर, सलीम के कहने से यहां 6 मास तक लोडे थे जिसके प्रसादस्वरूप उन्हें पुत्र का मुख देखने का स्वर प्राप्त हुआ| फतेहपुर सीकरी की वास्तुकला एक निश्चित अखिल भारतीय चरित्र है सीकरी में एक सूफी सन्त शेख सलीम चिश्ती कर रहे थे उनका शोहरत अकबर को सुनकर, एक बेटे की दुआ लेकर उनके पास संदेश और जब अकबर को हुआ तो अकबर ने अपने बेटे का नाम सलीम रख लिया| सीकरी में जहां सलीम चिश्ती रहते थे उसी के पास अकबर ने सन 1571 में एक क़िला बनवाना जोड़ा| अकबर की कई रानियाँ और बेगम थीं, ऐसा करके उनसे किसी का भी बेटा नहीं हुआ था अकबर पीरों एवं फ़कीरों से पुत्र प्राप्ति के लिए दुआएँ माँगता फिरता था सलीम चिश्ती ने अकबर को दुआ दी| दैवयोग से अकबर की बड़ी रानी जो कछवाहा राजा बिहारीमल की पुत्री और भगवानदास की बहिन थी, प्रेक्षित हो गई थी, और उसने पुत्रों को जन्म दिया| उनके नाम के नाम पर सलीम रखा गया, जो बाद में जहांगीर के नाम से अकबर का उत्तराधिकारी हुआ अकबर से बहुत प्रभावित था| उसने अपनी राजधानी सीकरी में ही धारण का निश्चय किया| सन 1571 में राजधानी का स्थानांतरण किया गया उसी साल अकबर ने गुजरात को फ़तह किया| इस कारण नई राजधानी का नाम फतेहपुर सीकरी रखा गया|
             सन 1584 से लगभग 14 साल तक फतेहपुर सीकरी ही मुगल साम्राज्य की राजधानी रही| अकबर ने कई निर्माण कार्य कराये, जिससे वह आगरा के बड़े नगरी बन गया था फतेहपुर सीकरी पूरे देश की जंपिंग एक्टिविटीज का प्रमुख केंद्र था| सन 1584 में एक अंग्रेज़ व्यापारी अकबर की राजधानी में आया, उसने लिखा है- 'आगरा और फतेहपुर दोनों बड़े शहर हैं| उनमें से हर एक लंदन से बड़ा और अधिक जनसंकुल है सारे भारत और ईरान के व्यापारी यहां रेशमी और दूसरे कपड़े, कीमती रत्न, लाल, हीरा और पर्ल बेचने के लिए ला रहे हैं| संत सलीम शेख चिश्ती के सम्‍मान में सम्राट अकबर ने इस शहर की छाया रखी| कुछ वर्षों के अंदर सुजुबंयी नौकरी में पंजीकृत, धार्मिक और धार्मिक संस्थान आस्था में आए| इस किले के भीतर पंचमहल है जो एक पांच मंज़िला इमारत है और बौद्ध समुद्री शैली में बनी है इसकी पांचवी मंज़िल से मीलों दूर तक का व्यू दिखाता है| जामा आवासीय परिसर पहला भवन था, जो बनाया गया| लगभग 5 साल बाद बनवाया गया दरवाजा| अन्‍य महत्‍वबल पूर्ण आशंका में दी शेख चिश्‍ती की दरगाह, नौबत-उर-नक्‍कारखाना, स्टीरियोटाइप, कारज़ना, खज़ाना, हकीम का घर, ए-आम मरियम का आवास, जिसे सुनरा मकान भी कहते हैं, जोधाबाई का निवास, बीर का निवास आदि शामिल हैं|
            भक्ति में अकबर ने बिना विचार ही सीकरी को राजधानी बना दिया था इस जगह में पानी की बड़ी कमी थी, ग्लॉस पूरा करने के लिए पहाडी पर कपट बना कर एक झील बना दिया गया था उसी की जल राजधानी में आता था| अगस्त 1582 में टूट गया, जिससे काफी नुकसान हुआ| 14 साल तक सीकरी में राजधानी रखने पर अकबर ने अनुभव किया कि यह स्थान उपयुक्त नहीं है, अत: सन् 1584 में पुन: राजधानी महानगर बना दिया गया| राजधानी के हटते ही फतेहपुर सीकरी का खतरा होने लगा है कि वह एक छोटा सा कस्बा बना हुआ है|

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