13 सितंबर 2025 की यात्रा
12सितंबर 2025 को वाराणसी आगमन, गंगा स्नान, पिशाच मोचन का पिंडदान उत्तर प्रदेश में किया था। फिर दोपहर को बिहार के पुन पुन गया में प्रथम पिण्ड दान सम्पन्न हुआ था।इसी दिन गया में प्रवेश कर राजा मैरिज हाल में ठहरने का काम पूरा हुआ था।
फल्गु नदी
13 तारीख की सुबह फल्गु नदी में पिंड पारने के लिए नदी जल से पूरी भरी पड़ी थी । सुखी फल्गु होने का सीता जी के शाप बिहार सरकार के रबर डैम ने झुठला दिया था। फल्गु नदी पर घाट पक्के बने थे। बहुत ही दिव्य नजारा था। दिव्यता की अनुभूति भी हो रही थी।
बिहार और पैरा मिलिट्री पुलिस की अच्छी व्यवस्था थी। बारी-बारी से एक-एक टोली को हमारे पुरोहित मनोज और चतुर्भुजी पंडा पिण्ड दान का कार्यक्रम संपन्न कराये।
बिहार और पैरा मिलिट्री पुलिस की अच्छी व्यवस्था थी। बारी-बारी से एक-एक टोली को हमारे पुरोहित मनोज और चतुर्भुजी पंडा पिण्ड दान का कार्यक्रम संपन्न कराये।
वहां से आकर “राजा मैरिज हाल” पर दोपहर से आराम किया गया। पास के भूसुंडी बाजार एक होटल में भोजन किया।
गया का डांड
शाम को गया के तीर्थ पंडा स्व. श्री लखन लाल महथा उर्फ राम लखन महथा जज के वंशज श्री केदार नाथ पहाड़ी जज ने अपने पुत्र अभिषेक और अनिकेत के सहयोग से एक बैठक आहूत की। वहां ठहराने की व्यवस्था उन्हीं की थी। एक बारात घर “राजा मैरिज हाल”मानपुर रोड गया जी, जो वातानुकूलित था,का चयन किया गया था। वहां कई बसों के तीर्थ यात्री ठहराए गए थे। इन महथा जज के अधीन उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, देवरिया, संत कबीर नगर,बस्ती, कानपुर और बांदा इत्यादि जिले आते हैं । इनका पता मोहल्ला कृष्णद्वारिका (महथा भवन) पोस्ट चांद चौरा,जिला गया (बिहार) है। इनके विजिटिंग कार्ड में लिखा है :”गया स्टेशन पर वो रास्ते में दलालों से सावधान!” पर मेरे समझ में कोई गयापाल किसी से किसी मायने में कम नहीं है।
हमारे बस के लोगों की लिस्ट तीन पुश्त के विवरण के साथ तैयार किया गया। शाम को एक बैठक और दान कर एवं डांड के लिए नीयत की गई। प्रारंभ में पितरों के पिंड तर्पण पर कुछ शास्त्रीय विधान बताए गए फिर अपना खर्चा और साल भर की कमाई के लिए कुछ शास्त्रीय विधान और कुछ लौकिक विधान बताए गए।
यहां स्वेच्छया दान का कोई विधान नहीं रखा गया और धर्म प्रेत नरक आदि का भय दिखाकर जिस यात्री से जैसा बन पाया वैसा संकल्प जबरन कराया गया। मुझे मेरे स्थानीय पंडे ने आगे बैठवाकर अपना उल्लू सीधा कराया और अनमनस्क रूप से इक्यावन हजार रुपए का जबरन संकल्प कराया गया। वैसे उनके द्वारा कई श्रेणी भी बनाए गए थे उनमें से इकतीस हजार का चयन मै दबे मन से कर रहा था। परन्तु उनका वसूल कुछ और ही था। मेरे पास उस समय इक्कीस हजार उपलब्ध था। जिसे मैने तत्काल जमा कराया। शेष राशि 16 सितंबर 2025 अक्षय वट पर सज्जा दान का नाटक दिखाकर लेने का दबाव डाला गया। इस नाटकीय कार्यक्रम में मै पण्डो की चाल समझ कर यकीन नहीं कर पा रहा है और अक्षय वट परिसर से बाहर निकल भी गया था। लेकिन हमारे स्थानीय पंडा श्री चतुर्भुजी पांडे के बार बार आग्रह पर पुनः बट वृक्ष की वेदी पर शैय्या दान का कार्यक्रम संपन्न कराया। गया तीर्थ के गयापाल के प्रतिनिधि अपने बकाया राशि जमा कराने पर दबाव डाला। मैने बाद में बैंक के खाते में अकाउंट नम्बर और ifsc कोड के जरिए शेष राशि डालना चाहा जिसे वे स्वीकार नहीं किए और पूरा नगद देने के लिए बाध्य किए। तीर्थ पुरोहित के प्रतिनिधि ने कहा कि आप संकल्प कर चुके हैं। इसे आपको देना होगा। मैने कहा था कि जो मैं स्वेच्छा से संकल्प किया था वह राशि मैने दे दिया है। जो राशि दबाव देकर संकल्पित है वह में घर जाकर एकाउंट में डाल दूंगा। मेरे पंडे की इसमें मिली भगत भी रही। वह मेरा कुछ राशि अपने पास से देकर दाता और ग्रहीता दोनों के नजरों में शुभ बनने और दिखने का नाटक भी किया। जो बाद में वापसी के रास्ते में एटीम द्वारा मैने पूरा भुगतान किया। श्राद्ध दान पूजन अर्चन आदि सत्कर्म की शब्दावली बौनी हो रही थी। अपकर्म सब पर हावी दीख रहा था।
यहां स्वेच्छया दान का कोई विधान नहीं रखा गया और धर्म प्रेत नरक आदि का भय दिखाकर जिस यात्री से जैसा बन पाया वैसा संकल्प जबरन कराया गया। मुझे मेरे स्थानीय पंडे ने आगे बैठवाकर अपना उल्लू सीधा कराया और अनमनस्क रूप से इक्यावन हजार रुपए का जबरन संकल्प कराया गया। वैसे उनके द्वारा कई श्रेणी भी बनाए गए थे उनमें से इकतीस हजार का चयन मै दबे मन से कर रहा था। परन्तु उनका वसूल कुछ और ही था। मेरे पास उस समय इक्कीस हजार उपलब्ध था। जिसे मैने तत्काल जमा कराया। शेष राशि 16 सितंबर 2025 अक्षय वट पर सज्जा दान का नाटक दिखाकर लेने का दबाव डाला गया। इस नाटकीय कार्यक्रम में मै पण्डो की चाल समझ कर यकीन नहीं कर पा रहा है और अक्षय वट परिसर से बाहर निकल भी गया था। लेकिन हमारे स्थानीय पंडा श्री चतुर्भुजी पांडे के बार बार आग्रह पर पुनः बट वृक्ष की वेदी पर शैय्या दान का कार्यक्रम संपन्न कराया। गया तीर्थ के गयापाल के प्रतिनिधि अपने बकाया राशि जमा कराने पर दबाव डाला। मैने बाद में बैंक के खाते में अकाउंट नम्बर और ifsc कोड के जरिए शेष राशि डालना चाहा जिसे वे स्वीकार नहीं किए और पूरा नगद देने के लिए बाध्य किए। तीर्थ पुरोहित के प्रतिनिधि ने कहा कि आप संकल्प कर चुके हैं। इसे आपको देना होगा। मैने कहा था कि जो मैं स्वेच्छा से संकल्प किया था वह राशि मैने दे दिया है। जो राशि दबाव देकर संकल्पित है वह में घर जाकर एकाउंट में डाल दूंगा। मेरे पंडे की इसमें मिली भगत भी रही। वह मेरा कुछ राशि अपने पास से देकर दाता और ग्रहीता दोनों के नजरों में शुभ बनने और दिखने का नाटक भी किया। जो बाद में वापसी के रास्ते में एटीम द्वारा मैने पूरा भुगतान किया। श्राद्ध दान पूजन अर्चन आदि सत्कर्म की शब्दावली बौनी हो रही थी। अपकर्म सब पर हावी दीख रहा था।
13 सितंबर 2025 को राजा मैरिज हाल में तीर्थ पुरोहित का दरबार लगा था। तीर्थ यात्री स्थित को भांप कर शिर नीचे किए हुए बैठे थे। मान्यवर के प्रतिनिधि हर हाल में दाता पर दबाव डाल कर अपनी बात मनवाने को बाध्य कर रहे थे।चाहकर या बिना चाहे उन तीर्थ पण्डो के कृत्य से यात्री मानसिक यंत्रणा के शिकार हो रहे थे और उनका पिण्ड तर्पण कार्यक्रम भी प्रभावित हो रहा था। मेरे बाद काफी देर तक डांड का कार्यक्रम अवरुद्ध सा हो गया था। सभा में सन्नाटा छा गया था। तीर्थ पंडे को अपना रेट भी गिराना पड़ा और लोगों से पैसा वसूलने के और भी हथकंडे अपनाने पड़े। अब दान के बजाय सौदेबाजी भी होने लगी थी। उनके कुछ व्यक्ति अपना दबदबा बनाने के लिए सभा में मंडराने लगे थे। फोन पर बुलाए जाने का बार बार नाटक किया जाने लगा। खैर किसी तरह से यह अप्रत्याशित नाटक सम्पन्न हुआ। मेरे बस्ती के पंडा रात्रि को मेरे ही हाल में विश्राम करते थे।आज अपराध बोध या व्यस्तता के कारण कही अन्यत्र विश्राम किया था।
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