Thursday, October 2, 2025

ब्रह्मयोनि मातृ योनि पहाड़ी (गया के तीर्थ 13)✍️ आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी

गया से लगभग 2 मील दूर यह पर्वत है लगभग 470 सिद्धि ऊपर ब्रह्मा जी का मंदिर है इस पर्वत पर दो गुफा के ढंग से पड़े हैं इन्हें ब्रह्म योनि और मातृ योनि कहते हैं कुछ लोग इनके नीचे सोकर आर पार निकलते हैं पर्वत शिखर से कुछ नीचे ब्रह्म कुंड नमक पक्का सरोवर है। गया की ब्रह्मयोनि पहाड़ी एक पवित्र ऐतिहासिक स्थल है, जहाँ 424 सीढ़ियाँ चढ़कर पहाड़ी की चोटी तक पहुँच सकते हैं। यह बिहार राज्य सरकार द्वारा एक संरक्षित स्मारक भी है। ब्रह्मयोनि पर्वत को आत्मज्ञान और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। रामशिला का संबंध त्रेता युग से है, जहां भगवान राम ने अपने पिता दशरथ के पिंडदान पूजा की थी। वहीं, प्रेतशिला वह स्थान है जहां पिंडदान करने से भटकती आत्माओं को शांति मिलती है। इन पहाड़ियों का उल्लेख न केवल रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों में मिलता है, बल्कि अनेक प्रसंगों में भी इनका महत्व वर्णित है।
रामायण काल में सीता माता ने दशरथ जी का पिण्ड दान गया के सीता कुण्ड में किया था। पिण्ड दान के लिए सीता माता ने फल्गु नदी, गाय, अक्षयवट वटवृक्ष , ब्रम्हयोनि पर्वत और केतकी के फूल को साक्षी बनाया था।भगवान राम को पिण्ड दान प्रमाणित करने के लिए सीता माता ने फल्गु, गाय, वटवृक्ष , ब्रम्हयोनि पर्वत और केतकी के फूल को भगवान के सम्मुख किया। भगवान के डर से सभी मुकर गए जिससे कुपित होकर सीता माता ने ब्रम्हयोनि पर्वत को बिना वृक्ष का पर्वत होने का श्राप दे दिया था।
पर्यटन की दृष्टि से भी ब्रम्हयोनि पहाड़ी गया आनेवाले पर्यटकों के बीच आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। देश विदेश से गया आनेवाले पर्यटक ब्रम्हयोनि पहाड़ी जरूर आते हैं जिसकी चोटी से गया शहर का अत्यंत मनोरम दृश्य नजर आता है।
ब्रह्माणी मूर्ति 
इस पहाड़ी पर ब्रह्मानी शक्ति दर्शाती पांच सिर वाली मूर्ति के साथ एक छोटा मंदिर है। यह स्थल बौद्ध धर्म से भी जुड़ा है, क्योंकि यहीं बुद्ध ने अग्नि उपदेश दिया था, जिससे हजार तपस्वियों को ज्ञान की प्राप्ति हुई। पहाड़ी पर ब्रह्मयोनि और मातृ योनि नामक दो प्राचीन गुफाएँ भी स्थित हैं। यह स्थान हिंदुओं और बौद्धों के लिए पवित्र है। यहां पितृपक्ष मेले के दौरान बड़ी संख्या में लोग पिंडदान करने आते हैं। माना जाता है कि गया की फल्गु नदी का सूखना सीता माता के श्राप का परिणाम है, जब ब्रह्मयोनि पर्वत ने गवाही देने से इनकार कर दिया था। बुद्ध ने यहीं एक हज़ार तपस्वियों को अपना अग्नि उपदेश दिया था, जिसके बाद सभी को ज्ञान की प्राप्ति हुई। पहाड़ी के शीर्ष से पूरे गया शहर का मनोरम दृश्य दिखाई देता है, और यह पिकनिक मनाने के लिए भी एक लोकप्रिय स्थान है। इस पहाड़ी पर औषधीय पौधों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं।
मातृ योनि गुफा
यह मंदिर गया शहर के बाईपास रोड के समीप मारणपुर में है। इस मंदिर से आधा किलोमीटर की दूरी पे स्थित है ब्रह्म योनि पर्वत जहाँ पर स्थित है मातृ योनि गुफा कहते है कि इस गुफा के परिक्रमा मात्र से ही मनुष्य 84 लाख योनियों के आवागमन से मुक्त हो जाता है।
सरस्वती कुण्ड 
यह मंदिर गया शहर के बाईपास रोड के समीप मारणपुर में है। सरस्वती और सावित्री कुंड ब्रह्म योनि पर्वत के नीचे यह दोनों पक्के कुंड हैं सावित्री कुंड का जल वर्ष के जल के सामान मटमैला है ।
सावित्री कुंड
यह मंदिर गया शहर के बाईपास रोड के समीप मारणपुर में है। सरस्वती और सावित्री कुंड ब्रह्म योनि पर्वत के नीचे यह दोनों पक्के कुंड हैं।सरस्वती कुंड का जल स्वच्छ रहता है। 
सावित्री माता मन्दिर 
यह मंदिर गया शहर के बाईपास रोड के समीप मारणपुर में है। यह दो प्रमुख अवधारणाओं से जुड़ी हैं: पहली, हिंदू पौराणिक कथाओं की देवी जो ब्रह्मा की पत्नी और ज्ञान, कला, रचनात्मकता की देवी सरस्वती का ही एक रूप मानी जाती हैं, और दूसरी, महाभारत की पौराणिक महिला जिन्होंने अपने सतीत्व और समर्पण से मृत्यु देवता यम से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस लाए थे। 

लेखक परिचय:-

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए समसामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, धर्म, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। लेखक स्वयं चारों धाम की यात्रा कर गया जी के तथ्यों से अवगत हुआ है।
वॉट्सप नं.+919412300183


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