Tuesday, November 28, 2017

उच्चतम न्यायालय तक अपने हक की लड़ाई लड़ने वाले डा. सौरभ

                                                    स्व. डा. मुनिलाल उपाध्याय सरस
राष्ट्रपति शिक्षा पुरस्कार प्राप्त बस्ती जनपद के महान साहित्यकार व जनता इन्टर मीडिएट कालेज नगर बाजार के प्राचार्य स्व. डा. मुनिलाल उपाध्याय सरस के दौहित्र (पुत्री का पुत्र) का सौभाग्य प्राप्त करते हुए डा. सौरभ द्विवेदी सरस साहित्य कुटीर नगर बाजार बस्ती स्थित अपने ननिहाल में 1990 में जन्म लिया था । डा. सौरभ द्विवेदी की शिक्षा केन्द्रीय विद्यालय बस्ती से शुरु हुई थी। इनके पालन पोषण में मां कमला द्विवेदी ने कोई कोर कसर ना छोड़ा था। वह अपने पति डा. राधेश्याम द्विवेदी वड़े बेटे डा. अभिषेक द्विवेदी को आगरा में छोड़कर अकेले 6 माह तक बस्ती में निवास की थी, जहां डा. सौरभ के मां और बाप दोनो की जिम्मेदारी निभायी। फिर स्थानान्तरण करवाकर केन्द्रीय विद्यालय 2 आगरा में 10 तक तथा जान मिल्टन विद्यालय आगरा में 12वीं तक शिक्षा पूरा कराया। बड़े भइया डा. अभिषेक द्विवेदी के चिकित्सीय शिक्षा में प्रवेश लेने की प्रेरणा को ग्रहण करते हुए डा. सौरभ ने भी मेडिकल लाइन को चुना। कोटा की कोचिंग लेकर 2010 में रुरल इन्स्टीच्यूट आफ मेंडिकल साइंस सैफई से एम बी बी एस की शिक्षा में प्रवेश लिया। जो  शैक्षिक रुप में मार्च 2015 तथा इन्टरन शिप के साथ मार्च 2016 में  पूरी हुई थी। फिर डा. सौरभ ने पीजी की तैयारी कर 25 मई 2017 को माप अप राउण्ड से एम एस आर्थोपैडिक की सीट प्राप्त किया। 26 मई 2017 को सैफई कालेज से वेरीफिकेसन कराकर 27मई 2017 को आगरा एस. एन. मेडिकल कालेज में आर्थोपैडिक विभाग एम एस जूनियर रेजिडेन्ट के रुप में कार्य करना शुरु कर दिया था । तीन दिन की काम कर पाये थे कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 29 मई के एक आदेश ने सारी भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया। फलतः 30 मई 2017 को माननीय उच्चतम न्यायालय का शरण लेकर ना केवल अपना हक प्राप्त किया अपितु सौकड़ो पीजी छात्रों का भविष्य विगड़ने से बचा लिया।
माननीय उच्चतम न्यायालय ने पी जी काउंसिलिंग से सम्बंधित डा.राम दिवाकर एवं अन्य बनाम भारत सरकार के रिट पर इलाहाबाद के दिनांक 29 मई के आदेश को निरस्त कर दिया था। उत्तर प्रदेश शिक्षा चिकित्सा ने 25 मई को माप अप काउंसिलिंग से लगभग 90 प्रतिशत प्रवेश कार्य पूरा कर लिया था। प्रशिक्षणार्थी चिकित्सक अपनी फीस जमाकर प्रवेश पा लिये थे, कि अचानक इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 29 मई के एक आदेश में उ. प्र. सरकार के सारे कार्य को निरस्त कर दिया था डा.राम दिवाकर वर्मा के रिट प्रार्थनापत्र पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि दूसरे प्रदेशों से एमबीबीएस करने वाले पीएमएस डॉक्टर पीजी में दाखिला पाने के लिए अर्हता नहीं रखते । इसके अलावा हाईकोर्ट ने एएमयू व बनारस हिंदू विवि में अपने एमबीबीएस छात्रों के लिए 50 फीसदी कोटे को भी निरस्त कर दिया था । हाईकोर्ट ने प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों, विवि व संस्थानों की ही तरह एएमयू व बीएचयू में भी दाखिले देने के लिए कहा थाउच्च न्यायालय ने 29 मई को इन दो केन्द्रीय विश्वविद्यालयों और सरकार द्वारा संचालित दूसरे विश्वविद्यालयों में पीजी पाठ्यक्रमों में संस्थागत कोटे की 50 प्रतिशत सीटें नीट की रैंकिंग के आधार पर ही किसी भी दूसरे मेडिकल कालेज के छात्रों को प्रवेश देकर भरने का आदेश दिया था।

माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध (CIVIL APPEAL NO. 8268 to 8274 OF 2017 [@ SLP (C) NO. 16240 OF 2017 @ DIARY NO. 16874 OF 2017] DR. SAURABH DWIVEDI AND ORS.  ... APPELLANTS (& 6 OTERS APPEALS) VERSUS UNION OF INDIA AND ORS. ...RESPONDENTS.) दाखिल हो गयी थी माप अप डॉक्टरों की तरफ से माननीय उच्चतम न्यायालय में 30 मई को एक सिविल रिट डा. सौरभ द्विवेदी एवं अन्य बनाम भारत सरकार दाखिल हो गयी थी । इसके बाद 6 अन्य अपीलें विभिन्न चिकित्सक शिक्षणार्थियों तथा ए एम यू तथा बी एच यू की तरफ से भी दाखिल इुई थी। जिसमें माननीय उच्चतम न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश ने सारे तर्कों को घ्यान से सुना तथा 07 -06-2017 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दिनांक 29 मई का आदेश निरस्त कर दिया। माननीय उच्चतम न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश ने अपने निर्णय के 21वें पैरा में हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए उसके अनुपालन में उत्तर प्रदेश तथा किसी अन्य सम्बद्ध प्राधिकरी के आदेश को भी निरस्त कर दिया था।
दिनांक 28 नवम्बर 2017 को अपने परिवारी जनों के साथ डा. सौरभ द्विवेदी ने अपना 28वां जन्म दिन मनाया। कुछ चित्र आगे प्रस्तुत किये जा रहें। अपने हक की लड़ाई लड़नेवाले इस युवा डाक्टर को जन्मदिन की बहुत ढ़ेर सारी शुभकामनाएं।




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