दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना का परिचय :- (डीडीयूजीजेवाई) भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और गैर-कृषि उपभोक्ताओं को विवेकपूर्ण तरीके से विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करना के उद्देश्य से 20 नवंबर, 2014 को प्रारंभ की गई। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रीमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। प्रधानमंत्री द्वारा 25 जुलाई 2015 को प्रारंभ की गई दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना का मुख्य लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे विद्युत-आपूर्ति करना है। प्रधानमंत्री ने 25 जुलाई 2015 को पटना में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना प्रारंभ की। इसके तहत फीडर सेपरेशन, सबट्रांसमिशन एवं वितरण व्यवस्था को मजबूत बताना जाएगा। फीडर को घरेलू एवं गैर-घरेलू में सेपरेट किया जाएगा। इसके द्वारा सभी गांवों का विद्युतीकरण कर घरेलू एवं कृषि क्षेत्र को पर्याप्त बिजली उपलब्धि की जाएगी। इस येाजना से कृषि क्षेत्र में पैदावार बढ़ेगी तथा स्वास्थ्य, शिक्षा एवं संचार क्षेत्र में सुधार होगा। इस योजना के तहत कृषि और गैर–कृषि फीडर सुविधाओं को अलग –अलग किया जाएगा। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में वितरण और उप - पारेषण प्रणाली को मजबूत किया जाएगा जिसमें वितरण ट्रांसफार्मर, फीडर और उपभोक्ताओं के लिए मीटर लगाना सम्मिलित होगा। योजना के अंतर्गत दोनों घटकों की कुल अनुमानित लागत 43,033 करोड़ रूपये हैं जिसमें पूरे क्रियान्वयन अवधि के लिए भारत सरकार द्वारा 33,453 करोड़ रूपये की बजट सहायता भी शामिल है।
ग्रामीण विद्युतीकरण की वर्तमान स्थिति :- भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण के लिए "दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना" शुरू की है। ग्रामीण विद्युतीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली वितरणकी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए के लिए तत्कालीन राजीव गांधी ग्राम विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) को डीडीयूजीजेवाई योजना में सम्मिलित किया गया है। रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन कारपोरेशन डीडीयूजीजेवाई के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी है।विद्युत मंत्रालय ने डीडीयूजीजेवाई–आरई के तहत 1,20,804 अविद्युतीकृत गांवों के विद्युतीकरण करना है। 3,14,958 आंशिक रूप से विद्युतीकृत गांवों के सघन विद्युतीकरण और 396.45 लाख बीपीएल ग्रामीण परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन प्रदान करने के लिए 921 परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। 31 मार्च 2015 की स्थिति के अनुसार, 1,09,524 अविद्युतीकृत गांवों और 3,14,958 आंशिक रूप से विद्युतीकृत गांवों के सघन विद्युतीकरण का काम पूरा हो चुका है और बीपीएल परिवारों को 218.33 लाख मुफ्त बिजली कनेक्शन जारी कर दिया गया है।
योजना का लक्ष्य एवं उद्देश्य :-दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत वितरण की अवधि में सुधार का लक्ष्य है। इसके साथ ही अधिक मांग के समय में लोड में कमी, उपभोक्ताओं को मीटर के अनुसार खपत पर आधारित बिजली बिल में सुधार और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की अधिक सुविधा दी जा सकेगी।
क्या उत्तर प्रदेश में विद्युत व्यवस्था में सुधार सम्भव है:-तत्काल विद्युत व्यवस्था में सुधार लाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए । जो विद्युत आपूर्ति की जा रही है, उसका शेड्यूल होना जरूरी है। इसकी जानकारी आमजन को होनी चाहिए। कर्मचारियों को सक्रिय करते हुए उनके कार्यों की प्रतिदिन मानीट¨रग करने का भी निर्देश दिया जाना चाहिए । अक्सर विद्युत विभाग के अधिकारियों द्वारा टेलीफोन, मोबाइल रिसीव न किए जाने की शिकायतें मिल रही हैं। संबंधित अधिकारी आमजन से संवाद बनाए रख समस्याओं को दूर किया करें। प्रदेश सरकार 24 घंटे आपूर्ति के दावे करती है और यहां दावों की धज्जियां उड़ रही है लेकिन कोई देखने सुनने वाला नहीं है। जर्जर तारों से आपूर्ति मुश्किल हुआ है। बार बार शिकायत के बाद भी जर्जर तारों को ठीक नहीं किया जा रहा है। किसानों के सामने सिंचाई की समस्या खड़ी हो गई है। विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। विभाग में जा रहे उपभोक्ताओं से सुविधा शुल्क मांगा जाता है। नियमित विद्युत बिल नहीं दिया जा रहा है। जिससे लोगों पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है। ट्रांसफार्मर खराबी की समस्याओं को बदलने में ग्रामीणों से वसूली आम बात हो चुकी है। लोकल फाल्ट दूर करने में लाइनमैन धन की मांग करते हैं।
विद्युत
चोरी में उत्तर प्रदेश अव्वल:-- केन्द्र में मोदी सरकार
तथा उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने तो वैसे अनेक लोक कल्याणकारी योजनायें चला रखी
है परन्तु विद्युत विभाग में इनका नियंत्रण देखा नहीं जा रहा है। आज कम वेसी तथा फुटकर
विद्युत आपूर्ति के घंटे तो बढ़े हैं सुदूर गांव विजली की रोशनी से चमकते तो दीख रहे हैं पर जगह जगह कटिया कनेक्सन
की भरमार भी दिखती है। किसी ने एक कनेक्शन लेकर कई बोरिंगें चला रखी है तो अनेक विना
कनेक्सन के मोटरें चला रहे हैं। दिखाने के लिए टूटा फूटा इंजन भी लगा रखा है पर रात
में ही नहीं दिन में भी खुंले तार की लूज केविलें डालकर बोरिंगें खुलेआम चलाई जा रही
हैं। इसमें विद्युत विभाग के अधिकारी अपना कमीशन खाकर इस कृत्य की खुली छूट दे रखे
हैं। बस्ती जिले के कप्तानगंज विकास खण्ड में यह दृश्य कभी भी देखा जा सकता है। राजस्व
सरकारी खजाने में किसी किसी का जाता है पर विद्युत सुविधाओं से कोई भी व्यक्ति महरुम
नहीं हैं। टीवी, हीटर, गीजर, मोबाइल, विजली, पंखा तथा मोटरे प्रायः हर घरों में लगे
हुए हैं। आज इतनी सुविधाओं का दुरुपयोग शहरों में नहीं दिखता है जितना गांवों में हो
रही है। यदि सरकार इस पर नियंत्रएा नहीं करती है तो पैसा देकर विजली उपभोग करने वालों
को भारी नुकसान तथा फाल्ट आदि से गुजरना पड़ेगा और एक दिन सारी व्यवस्था चरमराये विना
नहीं रह सकेगी।
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