केरल की राजधानी:देवताओं की नगरी
भगवान अनंत, शेषनाग हैं जिनपर भगवान विष्णु विराजते हैं। श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर में भगवान विष्णु शेषनाग जी पर आराम की मुद्रा में बैठे हुए हैं।
केरल की इस राजधानी तिरुवनंतपुरम को त्रिवेंद्रम के नाम से भी पुकारा जाता है। इस नगर का नाम शेषनाग अनंत के नाम पर पड़ा जिनके ऊपर पद्मनाभस्वामी (भगवान विष्णु) विश्राम करते हैं। 1956 में केरल राज्य के बनने के बाद से यह केरल की राजधानी है। पश्चिमी घाट पर स्थित यह नगर प्राचीन काल से ही एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र रहा है।
तिरुवनंतपुरम की सबसे बड़ी पहचान श्री पद्मनाभ स्वामी का मंदिर लगभग 2000 साल पुराना है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने के बाद से यह नगर एक प्रमुख पर्यटक और व्यवसायिक केंद्र के रूप में स्थापित हुआ है। इसकी समृद्धसांस्कृतिक धरोहर और शोभायमान तटों से आकर्षित होकर प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक यहाँ खीचें चले आते हैं।
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर:-
पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल राज्य के तिरुअनन्तपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनेक पर्यटन स्थलों में से एक है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु-भक्तों की महत्वपूर्ण आराधना - स्थली है।
दीपक के उजाले में होते हैं दर्शन :-
मुख्य कक्ष जहां विष्णु भगवान की लेटी हुई मुद्रा में प्रतिमा है, वहां कई दीपक जलते हैं। इन्हीं दीपकों के उजाले से भगवान के दर्शन होते हैं। दूर- दराज से आए श्रद्धालु अत्यल्प समय और कम रोशनी में मनोवांछित दर्शन नहीं कर पाते हैं। स्वामी पद्मनाभ की मूर्ति में भगवान विष्णु की नाभि से निकले कमल पर जगत पिता ब्रह्मा की मूर्ति स्थापित है। भगवान पद्मनाभ की मूर्ति के आसपास दोनों रानियों श्रीदेवी और भूदेवी की मूर्तियां हैं। भगवान पद्मनाभ की लेटी हुई मूर्ति पर शेषनाग के मुंह इस तरह खुले हुए हैं, जैसे शेषनाग भगवान विष्णु के हाथ में लगे कमल को सूंघ रहे हों। यहां मूर्ति का दर्शन अलग-अलग दरवाजों से किया जा सकता है। इसके लिए बहुत लम्बी लाइन लगती है। सात मंजिला सोने से जड़ा गोपुरम मंदिर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही यहां श्रद्धालुओं के लिए नियम भी हैं। पुरुष केवल धोती पहनकर ही मंदिर में जा सकते हैं और महिलाओं के लिए साड़ी पहनना जरूरी है। अन्य किसी भी लिबास में प्रवेश यहां वर्जित है। मंदिर में एक सोने का खंभा बना हुआ है। मंदिर का स्वर्ण जड़ित गोपुरम सात मंजिल का है। जिसकी ऊंचाई करीब 35 मीटर है। कई एकड़ में फैले इस मंदिर में अद्भुत कारीगरी की गई है।
पद्मनाभस्वामी मंदिर का महाकुंभाभिषेक :-
पद्मनाभस्वामी मंदिर में 270 साल बाद एक दुर्लभ महाकुंभाभिषेक होने जा रहा है। ये आठ जून को होगा। बताया जा रहा है कि इस मंदिर मंदिर में लंबे समय से लंबित जीर्णोद्धार कार्य हाल के दिनों में पूरा हुआ है।इसके पूरा होने के बाद मंदिर में भव्य तरीके से महाकुंभभिषेक (भव्य अभिषेक) होगा। इस अनुष्ठान का उद्देश्य आध्यात्मिक ऊर्जा को सुदृढ़ करना और मंदिर की पवित्रता को फिर से जागृत करना है।
महाकुंभअभिषेक, कैसे होता है :-
कुंभअभिषेक वास्तव में मंदिरों में होने वाले एक पारंपरिक हिन्दू अनुष्ठान है, जिसका उद्देश्य आध्यात्मिक ऊर्जा को मजबूत करना और मंदिर की पवित्रता को जागृत करना होता है।महाकुंभाभिषेक मंदिर की दिव्यता और ऊर्जा को पुनः जागृत करने का एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जो सदियों में एक बार होता है.
मान्यता है कि इस अनुष्ठान के जरिए मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की समन्वित और एकजुट किया जाता है। यह मंदिरों में होने वाली प्रतिष्ठा का ही अहम हिस्सा होता है। किसी नए मंदिर का निर्माण पूरा होने बाद या फिर किसी मंदिर का जीर्णोद्धार होने के बाद यह अभिषेक किया जाता है। यह भी कह सकते हैं कि मंदिर निर्माण या जीर्णोद्धार के बाद देवी-देवताओं की प्राणप्रतिष्ठा और मंदिर के शुद्धीकरण के लिए इसका आयोजन किया जाता है.कुंभअभिषेक में कुंभ का आशय है सिर, जो मंदिर के शिखर की ओर इंगित करता है और अभिषेकम का मतलब है स्नान अनुष्ठान। कुंभअभिषेक के लिए पवित्र नदियों का जल घड़ों में लाया जाता है. इससे मंदिर के शिखर को अनुष्ठान पूर्वक स्नान कराया जाता है, जिसमें घड़ों का बलिदान होता है।
महत्व:-
महाकुंभाभिषेक मंदिर की दीवारों, मूर्तियों और पूरे परिसर को पवित्र करने का एक विशेष वैदिक अनुष्ठान है। इसमें मंत्रोच्चार, अभिषेक और यज्ञ शामिल हैं.
समय:-
यह अनुष्ठान आमतौर पर जीर्णोद्धार कार्य या मंदिर के नवीनीकरण के बाद किया जाता है, ताकि मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा को फिर से मजबूत किया जा सके.
270 साल बाद होगा खास अनुष्ठान:-
बता दें कि 270 साल बाद ये खास प्रकार का महाअनुष्ठान होने जा रहा है। मंदिर प्रबंधक बी श्रीकुमार ने इस संबंध में बताया कि सदियों पुराने मंदिर में 270 वर्षों से अधिक के अंतराल के बाद इस तरह का व्यापक जीर्णोद्धार और उससे जुड़ी रस्में हो रही हैं और अगले कई दशकों में ऐसा फिर से होने की संभावना नहीं है। परिसर में 8 जून को 'महाकुंभ अभिषेक' अनुष्ठान होगा। इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न अनुष्ठान किए जाएंगे, जिसमें नवनिर्मित 'तजिकाकुडम' (गर्भगृह के ऊपर तीन और ओट्टक्कल मंडपम के ऊपर एक) का अभिषेक, विश्वसेन की मूर्ति की पुनः स्थापना और तिरुवंबाडी श्री कृष्ण मंदिर (मुख्य मंदिर परिसर में स्थित) में 'अष्टबंध कलसम' शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मंदिर के जीर्णोद्धार का काम:-
2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ पैनल के निर्देशानुसार जीर्णोद्धार का काम किया गया है। हालांकि काम जल्द ही शुरू हो गया था, लेकिन कोविड की स्थिति के कारण यह आगे नहीं बढ़ सका। मंदिर में सदियों बाद व्यापक जीर्णोद्धार और संबंधित अनुष्ठान किए जा रहे हैं। दुनिया भर में भगवान पद्मनाभ के भक्तों के लिए इतने सालों बाद इन अनुष्ठानों को देखना एक दुर्लभ अवसर है। बता दें कि 8 जून को "महाकुंभभिषेकम" से पहले आने वाले दिनों में मंदिर में आचार्य वरणम, प्रसाद शुद्धि, धारा, कलसम और अन्य सहित विभिन्न अनुष्ठान किए जाएंगे।
तिथि: 8 जून 2025
🕒 समय: सुबह 7:40 से 8:40 बजे तक
यह आयोजन मंदिर की ऊर्जा और दिव्यता को पुनः जागृत करने के लिए किया जा रहा है। मुख्य अनुष्ठान जैसे थाझिककुडम, अष्टबंध कलशम, और विश्वक्सेन मूर्ति की पुनः स्थापना — सब मिलकर इसे एक दिव्य और दुर्लभ अवसर बनाते हैं।
इस वीडियो में जानिए:-
इस आयोजन का पौराणिक महत्व
2017 से शुरू हुई पुनर्निर्माण प्रक्रिया
सप्तम द्वार और मंदिर के रहस्य
और एक रहस्यमयी कथा, जो सदियों से छुपी है। इस वीडियो को LIKE करें, COMMENT करें: “🔱 जय पद्मनाभ!” और सब्सक्राइब करें आध्यात्मिक रहस्यों की यात्रा के लिए।
https://youtu.be/FWkxdHLkaQU?si=M6LFPKnQUlbaK7qt
लेखक परिचय:-
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। (मोबाइल नंबर +91 8630778321; वॉर्ड्सऐप नम्बर +919412300183)
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