Saturday, June 14, 2025

अहमदाबाद विमान दुर्घटना के कुछ चमत्कारिक प्रमाण मिले #आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी

मलवे में तब्दील हुआ एयर इंडिया का विमान

गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून की सुबह एक भीषण विमान हादसा हुआ, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। अहमदाबाद से लंदन जा रही एक इंटरनेशनल फ्लाइट टेक-ऑफ के कुछ ही मिनटों बाद तकनीकी खराबी के चलते क्रैश हो गई। इस दर्दनाक हादसे में विमान में सवार सभी 241 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई। हादसा इतना भयावह था कि घटनास्थल पर सिर्फ मलबा, राख और जले हुए हिस्से ही नजर आ रहे थे। यात्रियों के शवों को पहचानना भी मुश्किल हो गया है।इस दुखद और विनाशकारी घटना में जानमाल का भारी नुकसान हुआ।हादसा इतना बड़ा था कि प्लेन के क्रैश होने से सड़क पर भारी मात्रा में मलबा गिरा हुआ, जिसे हटाने का काम जारी है।

तीन दैवी चमत्कार की घटना घटित:- 

इस मलबे से एक व्यक्ति का जीवित बच निकलना, श्रीमद्भगवत गीता का सबूत निकलना और भगवान श्रीकृष्ण के लड्डू गोपाल स्परूप की मूर्ति भी सही सलामत सुरक्षित निकलना किसी चमत्कार से कम नहीं है। गीता और लड्डू गोपाल दोनों  वस्तुएं विमान में सवार जयश्री पटेल नाम की महिला के हैंडबैग में थीं। जयश्री पटेल इन दोनों को अपने साथ लंदन ले जा रही थीं।

1.लड्डू गोपाल की मूर्ति मिलना चमत्कार

अहमदाबाद में एयर इंडिया का प्लेन क्रैश हादसे के बाद भगवान श्रीकृष्ण के लड्डू गोपाल स्परूप की मूर्ति मिली है। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है, जिसमें लड्डू गोपाल की मूर्ति दिखाई जा रही है। मृतक जयश्री अरवल्ली जिले के मोडासा स्थित खंभीसर गांव की रहने वाली थी। 3 महीने पहले ही उसकी शादी आकाश से हुई थी।अब वह अपनी पति के पास रहने लंदन जा रही थी, लेकिन रास्ते में हादसे का शिकार हो गई और उसके दो सामान बिना किसी नुकसान के बच निकले।

2.बिना जली मिली भगवत गीता की पुस्तक:- 

बीते दिन भगवत गीता मिलने का वीडियो भी सामने आया था।इतनी भयंकर आग लगने के बाद भी पुस्तक को कुछ नहीं हुआ और सभी पेज सुरक्षित हैं। गीता के कवर का कुछ पार्ट जला है, शुरुआत के कुछ पन्ने पर जलने के निशान हैं, लेकिन अंदर के सभी पेज सुरक्षित हैं. साथ ही पुस्तक पर बनी देवी-देवताओं की तस्वीरें भी सुरक्षित रहीं हैं।

भगवद्गीता स्वयं श्री कृष्ण का स्वरूप होता है:- 

भगवद्गीता को भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप माना जाता है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का हिस्सा है और इसमें भगवान कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के दौरान उपदेश दिए थे, जो भगवद्गीता के रूप में प्रसिद्ध हैं। इस ग्रंथ में, कृष्ण को न केवल एक महान योद्धा और मार्गदर्शक के रूप में दिखाया गया है, बल्कि उन्हें परमेश्वर, या भगवान के रूप में भी दर्शाया गया है। उन्हें 'पुरुषोत्तम' या 'परमात्मा' कहा गया है, जो प्रकृति और पुरुष से परे हैं। 

भगवद्गीता में श्री कृष्ण को स्वयं भगवान का स्वरूप माना गया है। जिसमें श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हुए स्वयं को "परम पुरुषोत्तम" बताते हैं। इसके कई श्लोकों में श्रीकृष्ण के दिव्य स्वरूप और उनकी सर्वव्यापी प्रकृति का वर्णन है।वास्तव में भागवत गीता कोई साधारण ग्रंथ नहीं, भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कहा है कि यह मेरा ही स्वरूप है। मैं ही परम तत्व हूं, मेरे अतिरिक्त इस संसार में कोई दूसरा नहीं है। उदाहरण के लिए, अध्याय 10, श्लोक 20 में श्री कृष्ण कहते हैं:- 

अहम् आत्त्मा गुडाकेश

सर्वभूताशयस्थितः। 

अहं आदिश् च मध्यं च 

भूतानां अन्त एव च॥ 

(अर्थ: हे अर्जुन! मैं ही सब भूतों के हृदय में स्थित आत्मा हूँ, मैं ही सब भूतों का आदि, मध्य और अंत हूँ।)

यह श्लोक बताता है कि श्री कृष्ण न केवल सभी प्राणियों के हृदय में स्थित हैं, बल्कि वे ही सृष्टि के आरम्भ, मध्य और अंत में भी विद्यमान हैं। यह उनकी सर्वव्यापी प्रकृति और भगवान के रूप में उनकी स्थिति को दर्शाता है। गीता में, में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्ध के मैदान में उपदेश दिए, जो कर्म, ज्ञान, भक्ति और मोक्ष जैसे विषयों पर केंद्रित कर्म योग, ज्ञान योग और भक्ति योग का उपदेश है। गीता को ज्ञान का भंडार माना जाता है, जो जीवन के हर पहलू पर प्रकाश डालता है। यह चरित्र निर्माण का शास्त्र है, जो मनुष्य को सही मार्ग पर चलने और श्रेष्ठ कर्म करने के लिए प्रेरित करता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने चार प्रकार के भक्तों का वर्णन किया है और भक्ति का मार्ग भी बताया है। गीता के अध्याय 11 में, कृष्ण अपना विराट रूप, या विश्वरूप, अर्जुन को दिखाते हैं, जिसमें वे ब्रह्मांड और सभी प्राणियों को अपने भीतर समाहित करते हुए दिखाई देते हैं। भगवद्गीता का सार यह है कि कृष्ण स्वयं परम सत्य हैं और उनका अनुसरण करने से व्यक्ति जीवन के दुखों से पार पा सकता है। इसलिए, भगवद्गीता को कृष्ण का स्वरूप माना जाता है क्योंकि इसमें कृष्ण को भगवान के रूप में प्रस्तुत किया गया है और उनके उपदेशों का पालन करके, व्यक्ति आध्यात्मिक ज्ञान और मुक्ति प्राप्त कर सकता है। 

3. 242 यात्री में से बचकर निकला एक युवक :- 

विमान में सीट नंबर-11ए पर ब्रिटिश नागरिक विश्वाश कुमार रमेश बैठे थे।वह जिंदा बचकर बाहर निकल गए। ये किसी चमत्कार से कम नहीं था। अभी उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। रमेश ने कहा कि हादसे के समय जोरदार धमाका हुआ, चारों तरफ आग ही आग थी। मैं जिंदा हूं ये किसी करिश्मे से कम नहीं है।


       आचार्य डा. राधे श्याम द्विवेदी 

लेखक परिचय:-

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।

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