यमुना शुद्धीकरण के लिए सत्याग्रह की ज्योति 13 जून 2008 को प्रज्वलित हुई थी:-भारतीय सांस्कृतिक विरासत और विकास की
पोषक जीवन दायिनी नदियां वर्तमान में अपने अस्तित्व के संकट से
जूझ रही हैं। गंगा यमुना तहबीज का देश इन
नदियों का वेदर्दी से
दोहन एवं शोषण कर कुपोषण की
स्थिति तक ले आया
है। वर्तमान में पवित्र पावनी यमुना एक गन्दे नाले
की शक्ल में दिखाई देती हैं। यह अतीत की
कई एतिहासिक नगरों के विकास की
परिचायक रही है। यमुना नदी विशेषकर दिल्ली आगरा मथुरा में भयावह स्थिति से गुजर रही
है। वजीराबाद दिल्ली के बाद यमुना
नदी में प्राकृतिक जल नगण्य हो
जाता है। यह प्रायः मृतप्राय
हो गयी हैं। इसमें अवशोधित औद्योगिक एवं घरेलू उत्सर्जन के सिवाय कुछ
भी दिखाई नहीं पड़ता है। जीवन दायिनी नदियों की भयावह स्थिति
से निपटने के लिए प्रो.जी.डी.अग्रवाल
द्वारा परम गंगा की धारा को
निर्वाध बहने के लिए मणिकर्णिका
घाट उत्तरांचल में आमरण अनशन प्रारम्भ किया गया था।
उत्तर प्रदेश को अपने मैला पानी:-1994 में यमुना के पानी के
बंटवारे पर उत्तर प्रदेश
हरियाणा तथा दिल्ली सरकार के मध्य एक
समझौता दिल्ली में हुआ था। दिल्ली जल बोर्ड के
पूर्व अधिकारी रमेश नेगी के अनुसार समझौते
के तहत दिल्ली को हरियाणा से
पेयजल की जरूरत के
लिए यमुना का पानी मिलना
तय हुआ था। बदले में दिल्ली से उत्तर प्रदेश
को सिंचाई के लिए पानी
मिलना था, लेकिन विडंबना देखिए हरियाणा जहां अपने कारखानों के जहरीले कचरे
को दिल्ली भेज रहा है वहीं दिल्ली
भी उत्तर प्रदेश को अपने गंदे
नालों और सीवर का
बदबूदार मैला पानी ही सप्लाई कर
रही है। आज भी यह
समस्या ज्यों की त्यों बनी
हुई है और इसमें
बहुत बड़ा काम किया जाना शेष है।
आगरा से यमुना सत्याग्रह का श्रीगणेश :- यमुना एक्सन प्लान में केन्द्र सरकार ने करोढ़ो रुपये
बहा दिये परन्तु स्थानीय जन प्रतिनिधियों व
अधिकारियों की उदासीनता के
कारण वह वास्तविक घरातल
पर जब दिखाई नहीं
पड़ा तो मूलतः पूर्वांचल
से जुड़े वर्तमान में रावतपाड़ा आगरा निवासी यमुना सत्याग्रही पं.अश्विनी कुमार
मिश्र काफी व्यथित हुए और इस दिशा
में सार्थक पहल करना शुरु किये। प्रारम्भ में वे विनोबी भावे
के एकला चलो नारे को आत्मसात करते
हुए भागीरथ प्रसास शुरु किये तो बाद में
वे राज व समाज को
जोड़ते हुए इसे नये आयाम तक पहुचाने का
संकल्प लिया। पूर्वांचल देव आराधना तथा श्रीगुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास सेवा समितियों का गठन करते
हुए वे आम जनता
में लगभग 1990 के दशक से
सक्रिय है। आगरा में भगवान सूर्यदेव की पूजा की
समुचित व्यवस्था ना होने के
कारण पूजा की समुचित व्यवस्था
कराते हुए उक्त संस्थाओं का अस्तित्व बनने
का सौभाग्य आया। फलस्वरुप समाज में फैली तमाम अव्यवस्थाओं पर कार्य करने
का अवसर भी बना। इन
संस्थाओं द्वारा यमुना नदी के प्रदूषण के
गम्भीर समस्या के प्रति प्रदर्शनों,
विचार गोष्ठियों और विचार मंथन
तथा यमुना आरती द्वारा जागरुक किया जाता रहा है। जनता के सांस्कृतिक ,सामाजिक
तथा हाईजनिक प्रभावों के बारे में
अवगत कराया जाता रहा है। उन्हंे शुद्ध पेय जल की उपलब्धता
तथा पर्यावरण तथा शहर की स्वच्छता के
बारे में जानकारी दिया जाता रहा है।
सहयोग और अवरोध दोनों मिले :- जहां आम जनता तथा
यमुना प्रेमी इस मिशन में
श्री मिश्रजी को भरपूर सहयोग
दिया वहीं कुछ असामाजिक तत्व इसमें अपनी सामथ्र्य के अनुसार रोड़े
भी अटकाये। पर यह कांरवां
रुका नहीं और मन्द ही
सही निरन्तर चलता ही आ रहा
है। इसमें नगर के अनेक वरिष्ठ
नागरिक, समाजसेवी,डाक्टर इंजीनियर, व्यवसायी तथा वकील निरन्तर जुड़े हुए हैं।
विशाल हस्ताक्षर अभियान:- जल सत्याग्रही पं.
अश्विनी कुमार मिश्रजी ने हस्ताक्षर अभियान
आगरा में शुरु कराया था। 2008-10 तक लगभग 35 हजार
लोगों ने हस्ताक्षर अभियान
चलाया गया था। यमुना में निश्चित मात्रा में प्रवाह बनाए रखने के संबंध में,
साथ ही अनेक मांगों
को लेकर हस्ताक्षर अभियान चलाया गया था। लोगों में जन चेतना पैदा
करना, यमुना की समस्याओं को
लोगों को बताना तथा
लोगों का यमुना के
प्रति संकल्प पैदा करना इस हस्ताक्षर अभियान
की मूल मंशा थी। राष्ट्रीय स्तर पर भी अनेक
विन्दु हैं जिन पर प्रदेश सरकार
भारत सरकार तथा पड़ोसी राज्य की सरकारों के
सहयोग से विस्तृत कार्य
योजना तैयार किया जा सकता है।
अनिश्चितकालीन दीर्घ क्रमिक सत्याग्रह:- यमुना की दुदर्शा से
आन्दोलित तथा व्यथित होकर पं.अश्विनी कुमार
मिश्र के साहचर्य एवं
नेतृत्व में अनिश्चितकालीन क्रमिक सत्याग्रह का शुभारम्भ 13 जून
2008 से आगरा के जमुना किनारा
मार्ग पर कामच्छा देवी
मंदिर के सामने स्थित
हाथीघाट पर शुरु किया
गया था। इसमें सभी शहरवासियों से इस क्रमिक
अनशन में भाग लेने के लिए अपील
की गयी थी। इस अनशन में
यमुना की अविरलता तथा
स्वच्छता से सम्बन्धित ग्यारह
सूत्री मांग भी प्रस्तुत की
गयी थी। लगभग 2100 से ज्यादा दिवसों
तक चलने वाला यह दीर्घकालीन जलसत्याग्रह
विश्व के सबसे बड़े
सत्याग्रहों में एक था। इसे
राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक समर्थन
मिला हुआ था। इस सत्याग्रह को
गांधीवादी नेता डॉ. एस.एन. सुब्बाराव
जी, पी.वी. राजगोपाल,
पद्मश्री अनिल प्रकाश जोशी, भाजपा नेता श्री सूर्य प्रताप सिंह शाही, पूर्व आई एस.एफ.
श्री मनोज मिश्र, जल पुरुष श्री
राजेंद्र सिंह, कांग्रेस नेता श्री भोला पांडे तथा स्थानीय सांसद विधायक जन प्रतिनिधि भी
समर्थन दे चुके हैं।
यमुना सत्याग्रहियों की अनेक पद यात्राएं : -यमुना रक्षक दल द्वारा आयोजित
मथुरा से दिल्ली तक
पद यात्रा में आगरा से यमुना सत्याग्रही
पं. अश्विनी कुमार मिश्रजी के नुतृत्व में
आगरा में कई महीने से
पदयात्रा की तैयारियां की
गयीं। 13.06.2008 शुक्रवार को करीब चार
सौ यमुना प्रेमी आगरा से विभिन्न जत्थों
में वृंदावन रवाना हुए। एक बस हाथीघाट
पर कामच्छा देवी मंदिर से प्रातः रवाना
हुई थी। जिसका नेतृत्व यमुना सत्याग्रही पं.अश्विनी कुमार
मिश्र ने किया था।
यमुना की रक्षा को
सबसे पहले मशाल आगरा में 1990 में जली थी। यमुना के शुद्धिकरण और
उसके संरक्षण की कामना के
साथ आगरा से करीब चार
सौ यमुना प्रेमी श्रद्धालु वृंदावन पहुंचे और संतों द्वारा
निकाली गयी पदयात्रा में कदम से कदम मिलाया।
यमुना सत्याग्रहियों द्वारा आगरा में कई महीने से
पदयात्रा की तैयारियां की
जा रही थीं। बसों द्वारा हाथीघाट
पर कामच्छा देवी मंदिर से प्रातः रवाना
हुई। जिसका नेतृत्व यमुना सत्याग्रही पं.अश्विनी कुमार
मिश्र ने किया। इस
जत्थे में पं.रामचरन शर्मा,
सूबेदार मेजर ओमप्रकाश शर्मा, राजेश अरोड़ा,धीरज मोहन सिंघल, राजीव खण्डेलवाल , सुधीर पचैरी, अनिल अग्रवाल, पी. के. गुप्ता, गोवर्धन सोनेजा, आदि की सक्रिय भागेदारी
रही। श्री मिश्रजी के नेतृत्व में
इस आयोजन में आगरा के स्थानीय यमुना
पे्रमियों बड़ी संख्या में भाग लिया।जीवन दायिनी यमुना नदी की भयावह स्थिति
से निपटने तथा यमुना के शुद्धिकरण अविरलता
एवं निर्मलता के लिए श्रीगुरु
वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास सेवा समिति के
बैनर के नीचे यमुना
सत्याग्रही पं.अश्विनी कुमार
मिश्र के सानिघ्य में
यह जल सत्याग्रह करीब
पांच साल अनवरत हाथीघाट तथा नगर व क्षेत्र के
अन्य सार्वजनिक स्थलों पर चलाया जाता
रहा है। इसके जन जागरुकता चर्चा
परिचर्चा तथा सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रम
आयोजित किये जाते रहे हैं। इसके अगली कड़ी में मथुरा शेरगढ़ ओवागांव से बटेसर तक
लगभग 350 गांवों, कस्बों मुहल्लो तथा पुरास्थलों का सर्वेक्षण भी
किया गया।
अनेक कार्यक्रमों के जरिये जागरुकता : -
यमुना सत्याग्रही ने राष्ट्रीय , अन्तर्राष्ट्रीय
जल पर्यावरण व नदी प्रदूषण
के लिए आयोजित सौकड़ों सभाओं, मीटिगों सम्मेलनों में सक्रिय सहभागिता निभाई। इसके लिए अमेरिका सहित देश के अनेक नगरों
में होने वाले प्राकृतिक सम्मेलनों में भी सहभागिता निभाई
गयी। यमुना महोत्सव, तैराकी उत्सव, यमुना विचार मंथन, प्राचीन जल स्रोतों के
पुनर्जीवन हेतु महा पंचायत, हस्ताक्षर अभियान, जल वेदना रैली,
यमुना चित्रांकन कर सेवा, वृक्षारोपण,
यमुना महा आरती, शोभायात्रायें, अन्य सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से
जन जागृति अभियान चलाया गया। इतना ही नहीं यमनोत्री
से संगम इलाहाबाद तक की यात्रा
भी सम्पन्न की गयी है।
आगरा के चयनित दस घाट :- श्रीगुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास सेवा समिति के
संस्थापक अध्यक्ष पं.अश्विनी कुमार
मिश्र के दिनांक 6.8.2009 के पत्र
के संदर्भ में 17.8.2009 को यमुना के
किनारे रोड को चैड़ीकरण एवं
उसके किनारे पार्को व घाटों के
सौन्दर्यीकरण व पर्यावरण के
सम्बन्ध में आगरा के आयुक्त महोदया
माननीया एस. राधा चैहान की अध्यक्षता में
एक बैठक आयुक्त सभागार में हुई थी। इस पत्र का
संदर्भ संख्या 1034/ एस.टी. दिनांक 7.8.2009 है।
जिसमें जवाहरलाल अरबन रुरल मिशन रिवर फण्ड के अन्तर्गत 65 करोड.
रुपये का प्रस्ताव निदेशक
स्थानीय निकाय के माध्यम से
भारत सरकार को भेजा जाना
था। इस प्रस्ताव में
आगरा के दस घाटों
के सौन्दर्यीकरण का प्रस्ताव था।
ये घाट हंै - कैलाश घाट, बल्केश्वर घाट, राधा नगर घाट, जमुना किनारा घाट, दशहरा घाट, मेहताबबाग घाट, एत्माद्दौला घाट, चीनी का रोजा का
घाट व जोहारा बाग
का घाट आदि। इस मामले में
कोई भी प्रगति ज्ञात
नहीं हो सकी है।
इस मामले को पुनः उठाकर
आगरा की कायाकल्प की
जा सकती है
।
यमुना सत्याग्रह स्मृति वट वृक्ष का रोपण :- 13 जून 2008 को श्री गुरु
वशिष्ठ मानव सर्वागींण विकास सेवा समिति के अध्यक्ष पं.अश्वनी कुमार मिश्र के नेतृत्व यमुना
शुद्धिकरण अभियान के अन्तर्गत यमुना
सत्याग्रह पर पं. अश्वनी
कुमार मिश्र व् उनकी टीम
सत्याग्रह पर हाथी घाट,
आगरा में जब बैठी तो
वहाँ एक पौधा लगाया
आज वह पौधा एक
विशाल वृक्ष का रूप ले
लिया । दिनांक 14 जून
2016 शायं 6.30 बजे को उस वृक्ष
का नामकरण “यमुना सत्याग्रह स्मृति बट वृक्ष” कर दिया गया
। जो हमें याद
दिलाता है की साथी
कभी थकना नहीं, कितनी भी विपरीत परिस्थितिया
आये, शहर की जनता व्
पानी के लिए मेरी
ही तरह से खड़ा रहना
है। यमुना अविरल , निर्मल तथा स्वच्छ रहे।गंगा दशहरा के शुभ अवसर
पर पं. अश्वनी कुमार मिश्र जी ने सन्देश
दिया की हर घर
से एक वृक्ष जरूर
लगाये जिससे पर्यावरण शुद्ध रहे। उसका जन्म दिन ऊर्जा उत्सव के रूप में
इष्ट मित्रो के साथ मनाये।जैसे
अपना और अपने बच्चों
का मानते है। इस मौके पर
बहादुर को सम्मानित किया
गया जिसने शुरू से अब तक
इस पौधे की देखभाल की
जो आज विशाल वट
पेड़ बन गया।
बलकेश्वरघाट का पुनरुद्धार :-
उन्होने एतिहासक बलकेश्वरघाट का पुनरुद्धार करके
एक आदर्शघाट के रुप में
अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनकी संस्था लगभग दो-तीन दशकों
से यमुना शुद्धीकरण तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रार्थी
के प्रयास एवं जन सहयोग से
आगरा शहर , उत्तर प्रदेश तथा भारत वर्ष में प्रसासशील है। उनकी जन चेतना और
आगरा विकास प्रधिकरण के प्रयास से
आगरा शहर के यमुना तट
स्थित बल्केश्वर घाट का सौम्य पुनरुद्धार
एक उल्लेखनीय उपलब्धि रही है। आगरा के अन्य दस
घाटों के उद्धार तथा
पुनः प्रयोग में लिये जाने के लिए भी
प्रयासरत है। जहां एक ओर इस
कार्य के सम्पन्न होने
पर भारत की स्वच्छता, भारत
की हरीतिमा का पुनः दर्शन
सुगम हो सकेगा वहीं
आगरा शहर एक हेरिटेज सिटी
की ओर भी बढ़ने
में भी कुछ कदम
चल सकेगा। इससे इस शहर और
प्रदेश के आय के
श्रोत बढ़ेगें तथा यहां रोजगार के नये- नये
सम्मानजनक अवसर भी उपलब्ध हो
सकेंगे। यह आगरा शहर,
उत्तर प्रदेश तथा भारत के लिए बड़े
गर्व की बात बन
सकती है।
अन्य
प्रयास
: -
1. यमुना नदी के ऊपर बने
पुलों पर लोहे की
जालियों से प्रदूषण का
नियंत्रण किया गया है।
2.यमुना की सहायक नदियों
प्राचीन जलस्रातों , शहर व गांव के
पेय जल की समस्याओं
के निदान हेतु तथा फलोराइड के प्रभाव से
निपटने के लिए जन
जागरुकता तथा प्रारम्भिक प्रयास किये गये।
3.फूल माला , खंडित मुर्तियों तथा अनुपयुक्त पूजन सामग्रियों के निस्तारण तथा
पुनः उपयोग में लाने के लिए विसर्जन
कुण्ड का निर्माण व
खाद बनाने की जागरुकता कराई
गयी।
4. प्राकृतिक एस.टी.पी.
एवं वर्षा जल संरक्षण के
कार्य के साथ भूजल
दोहन पर भी कार्य
कराया जाना है।
5. भारत सरकार , प्रदेश सरकार तथा आगरा शहर के स्वच्छता मिशन
विकासशील कार्यक्रमों से जुड़कर समाज
और राज के संयुक्त प्रयास
के लिए प्रसासरत रहना।
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