Friday, August 22, 2025

भारत में सूर्य उपासना के प्रमुख केन्द्र आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी

सूर्य उपासना :- 

सूर्य देव की पूजा या आराधना हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण परम्परा है। सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना जाता है और उनकी उपासना से आध्यात्मिक विकास, उत्तम स्वास्थ्य, सफलता और स्पष्ट सोच प्राप्त होती है।सूर्य की उपासना करके इंसान अपने जीवन को सर्वोत्तम बना सकता है।शिक्षा के क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान पाने के लिए सूर्य उपासना सबसे अधिक महत्व पूर्ण है।

     सूर्य उपासना प्रति दिन, रविवार के दिन नियमित रूप से किया जाता रहा है।इसके अलावा मुख्य पर्वों में कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ पूजा, भाद्रपद शुक्ल पक्ष का अंतिम रविवार को बड़ा रविवार और माघ शुक्ल सत्तमी को रथ सप्तमी प्रमुख रूप से शामिल है। रथ सप्तमी को आरोग्य सप्तमी भी कहते हैं।क्रोधित दुर्वासा ऋषि ने श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब को कुष्ठ होने का श्राप दिया था। साम्ब की ये स्थिति देखकर श्रीकृष्ण ने उसे भगवान सूर्य की उपासना करने को कहा था,जो कोणार्क में सूर्य मंदिर निर्माण करके यही तपस्या करके शाप मुक्त हुए थे। कार्तिक का छठ पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है, जिसमें व्रती (उपवास रखने वाले) सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों समय सूर्य को अर्घ्य देते हैं। सूर्य की पहली किरण ऊषा और अंतिम किरण प्रत्यूषा की पूजा की जाती है।छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाता है।

सूर्य उपासना की विधि :- 

1. सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और अपने शरीर और मन को शुद्ध करें। 

2. तांबे के लोटे में जल, अक्षत, लाल फूल और रोली मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। 

3. सूर्य मंत्र का जाप करें। इससे सूर्य शिक्षा का वरदान देंगे । इसलिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए - 

ॐ सूर्याय नम: । 

ॐ भास्कराय नम:।

ॐ रवये नम: ।

 ॐ मित्राय नम: ।

ॐ भानवे नम: ।

ॐ खगय नम: ।

ॐ पुष्णे नम: । 

ॐ मारिचाये नम: ।

ॐ आदित्याय नम: । 

ॐ सावित्रे नम: ।

ॐ आर्काय नम: । 

ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ।

इसके अलावा निम्न मंत्र भी बहुत सिद्धमंत्र है। इस मंत्र का जाप विशेष रूप से किया जा सकता है।

"ॐ घृणि सूर्याय नमः" या 

"ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।"

4. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भी किया जा सकता है।रविवार को आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है। 

5. सूर्य को प्रणाम भी किया जाता है।सूर्य को जल अर्पित करने के बाद, पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य देव को प्रणाम करें। 

6. अन्य उपाय में रविवार का व्रत रखा जा सकता है। सूर्य देव को लाल फूल, चंदन, धूप अर्पित करें। शाम को सूर्यास्त से पहले घी का दीपक जलाएं। सूर्य देव के 12 नामों का जाप करें। 

7.सूर्य उपासना से आध्यात्मिक विकास होता है।सूर्य देव की कृपा से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। सूर्य देव की उपासना से जीवन में सफलता प्राप्त होती है। सूर्य देव की कृपा से सोचने की शक्ति बढ़ती है। 

8.सूर्य देव की पूजा से सुख-समृद्धि आती है। सूर्य देव शिक्षा के कारक माने जाते हैं, उनकी उपासना से शिक्षा में सफलता मिलती है। 

भारत के प्रमुख सूर्य मंदिर :- 

भारत में मुख्यतः बीस सूर्य मंदिर का उल्लेख मिलता है। ये मंदिर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का हिस्सा हैं और सूर्य देव की पूजा के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं,जो निम्न लिखित हैं - 

1.उलार्क सूर्य मंदिर,पटना

उलार्क सूर्य मंदिर, बिहार के पटना जिले में दुल्हिनबाजार प्रखंड के पास स्थित एक प्रसिद्ध सूर्य मंदिर है। यह देश के 12 प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में से एक माना जाता है। इसे भगवान भास्कर का तीसरा सबसे बड़ा सूर्य आर्क स्थल माना जाता है। 

2.कोणार्क सूर्य मंदिर

कोणार्क सूर्य मंदिर ओड़िशा के पुरी जिले में समुद्र तट पर पुरी शहर से लगभग 35 किलोमीटर (22 मील) उत्तर पूर्व स्थित है।यह मंदिर 13वीं शताब्दी में राजा नरसिंह देव द्वारा बनवाया गया था और यह भारत की मध्ययुगीन वास्तुकला का एकउत्कृष्ट उदाहरण है।

3.मोडेरा सूर्य मंदिर

मोढेरा का सूर्य मंदिर, गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित एक प्राचीन मंदिर है, जो अपनी अनूठी वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर 11वीं शताब्दी में सोलंकी वंश के राजा भीम प्रथम के शासनकाल में बनाया गया था।  

4.कटारमल सूर्य मंदिर (उत्तराखंड)

यह मंदिर 9वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह उत्तराखंड के सबसे महत्वपूर्ण सूर्य मंदिरों में से एक है, जो उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक प्राचीन सूर्य मंदिर है। यह मंदिर कुमाऊं क्षेत्र का एकमात्र सूर्य मंदिर होने का गौरव रखता है. इसे "बड़ादित्य सूर्य मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर 2,116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और कोणार्क के सूर्य मंदिर से भी पुराना माना जाता है।

5.रणकपुर सूर्य मंदिर (राजस्थान)

यह मंदिर 15वीं शताब्दी में बनाया गया था और यह अपनी जटिल नक्काशी और 1444 खंभों के लिए प्रसिद्ध है।

6.सूर्य पहर मंदिर (असम)

यह मंदिर असम के गोलपारा जिले में स्थित है और सूर्य देव को समर्पित है. 

7.सूर्य मंदिर, प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश)

यह मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में स्थित है और सूर्य देव को समर्पित है।

8.दक्षिणार्क सूर्य मंदिर (बिहार)

यह मंदिर बिहार के गया जिले में स्थित है और सूर्य देव को समर्पित है।

9.देव सूर्य मंदिर (बिहार)

यह मंदिर बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित है और भगवान सूर्य को समर्पित है।

10.मार्तंड सूर्य मंदिर (कश्मीर)

यह मंदिर 8वीं शताब्दी में राजा ललितादित्य मुक्तापीड द्वारा बनवाया गया था और यह कश्मीर के सबसे पुराने सूर्य मंदिरों में से एक है।

11.औंगारी सूर्य मंदिर (बिहार)

यह मंदिर बिहार के नालंदा जिले में स्थित है और सूर्य देव को समर्पित है।

12.बेलार्कसूर्य मंदिर

बेलाउर सूर्य मंदिर बिहार के भोजपुर जिले के बेलाउर गाँव के पश्चिमी एवं दक्षिणी छोर पर अवस्थित एक प्राचीन सूर्य मन्दिर है। इसका निर्माण राजा सूबा ने करवाया था। बाद मे बेलाउर गाँव में कुल 52 पोखरा (तालाब) का निर्माण कराने वाले राजा सूबा को 'राजा बावन सूब' के नाम से पुकारा जाने लगा। राजा द्वारा बनवाए 52 पोखरों मे एक पोखर के मध्य में यह सूर्य मन्दिर स्थित है।

13.सूर्य मंदिर, हंडिया

हंडिया में सूर्य मंदिर, जिसे सूर्य नारायण धाम मंदिर भी कहा जाता है, बिहार के नवादा जिले के नारदीगंज प्रखंड में स्थित है. यह मंदिर द्वापर युग से जुड़ा हुआ है और माना जाता है कि इसका निर्माण भगवान कृष्ण के पुत्र साम्ब ने करवाया था. यह मंदिर कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए प्रसिद्ध है और माना जाता है कि मंदिर के पास स्थित तालाब के पानी में स्नान करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।

14.सूर्य मंदिर, गया

गया में सूर्य मंदिर, देव सूर्य मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, जो बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित है। यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है और छठ पूजा के दौरान विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

15.सूर्य मंदिर, महोबा

उत्तर प्रदॆश के महोबा में सूर्य मंदिर राहिला सागर के पश्चिम दिशा में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण चंदेल शासक राहिल देव वर्मन ने एक तालाब को खुदवाकर जिसे राहिल सागर के नाम से जाना जाता है 890 से 910 ई. के दौरान नौवीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला काफी खूबसूरत है। इस मंदिर को 1203 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने भारी नुकसान पहुँचाया।

16.रहली का सूर्य मंदिर, सागर, मध्य प्रदेश 

रहली का सूर्य मंदिर, मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर सुनार नदी के तट पर स्थित है और कर्क रेखा पर स्थित देश का एकमात्र सूर्य मंदिर होने का गौरव रखता है. नौवीं सदी में चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित, यह मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है. 

17.सूर्य मंदिर, झालावाड़

झालावाड़ का सूर्य मंदिर, जिसे झालरापाटन का सूर्य मंदिर भी कहा जाता है, राजस्थान के झालावाड़ जिले के झालरापाटन शहर में स्थित है। यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। 

18.सूर्य मंदिर, रांची

यह झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 40 किमी (25 मील) दूर एनएच-43 ( रांची-टाटा रोड) पर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। मंदिर का निर्माण एक विशाल रथ के रूप में किया गया है जिसमें सुंदर ढंग से डिज़ाइन किए गए अठारह पहिये और सात प्राकृतिक घोड़े हैं। मंदिर में शिव , पार्वती और गणेश सहित कई अन्य देवता भी हैं ।

19.सूर्य मंदिर, कंदाहा,  सहरसा

कन्दाहा गांव में स्थित सूर्य मंदिर, सहरसा जिले के महिषी प्रखंड की पस्तवार पंचायत में है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जो सहरसा जिला मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर दूर है।इस मंदिर में सात घोड़ों के रथ पर सवार सूर्य भगवान की मूर्ति एक ग्रेनाइट स्लैब पर बनी हुई है।

20.सूर्य मंदिर, नीरथ, हिमाचल प्रदेश

यह एक प्राचीन और अनोखा सूर्य मंदिर है जो उत्तर भारत में स्थित है। यह मंदिर सतलुज नदी के बाएं तट पर स्थित है और रामपुर से 18 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर नागर शैली में बनाया गया है और भगवान सूर्य देव (सूर्य) और उनकी पत्नी छाया को समर्पित है। 

लेखक परिचय:-

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।

 मोबाइल नंबर +91 8630778321; 

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