Friday, October 3, 2025

खुद का पिण्ड दान (गया के तीर्थ15)✍️आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी


भस्म कूट पर्वत पर जनार्दन मंदिर 

गया का जनार्दन मंदिर बाकी मंदिरों से बिल्कुल अलग माना जाता है. यह मंदिर भस्मकूट पर्वत पर स्थित है और पत्थरों से बना हुआ है. यहां भगवान विष्णु जनार्दन रूप में विराजमान हैं. आमतौर पर श्राद्ध और पिंडदान मृत व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए किए जाते हैं, लेकिन इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां जीवित व्यक्ति स्वयं अपना श्राद्ध और पिंडदान करते हैं. पिंडदान की यह परंपरा हजारों साल पुरानी है, जो कि आज भी उतनी ही आस्था और श्रद्धा के साथ निभाई जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा को शांति प्राप्त होती है. इसी अनोखी परंपरा के कारण जनार्दन मंदिर श्रद्धालुओं के बीच विशेष रूप से प्रसिद्ध है. खासकर पितृपक्ष के दिनों में यहां भारी भीड़ उमड़ती है।
पत्थरों से निर्मित यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से भी खास माना जाता है। यहां भगवान विष्णु जनार्दन रूप में विराजमान हैं। 

कौन कर सकता है आत्म पिंडदान?
हर व्यक्ति जनार्दन मंदिर में अपना श्राद्ध नहीं करता। यह परंपरा खास परिस्थितियों में निभाई जाती है। जिन लोगों की संतान नहीं होती और जिनके बाद कोई पिंडदान करने वाला नहीं रहेगा।वे लोग जो वैराग्य या संन्यास ले चुके होते हैं। कुछ श्रद्धालु जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति पाने के लिए भी यहां यह अनुष्ठान करते हैं।

लेखक परिचय:-

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए समसामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, धर्म, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। लेखक स्वयं चारों धाम की यात्रा कर गया जी के तथ्यों से अवगत हुआ है।
वॉट्सप नं.+919412300183


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