Saturday, October 4, 2025

मेरी चारों धाम यात्रा (उत्तर प्रदेश 1)✍️आचार्य डा राधे श्याम द्विवेदी

 राधेश्याम द्विवेदी और कमला द्विवेदी 

मैं अपने छोटे लड़के के साथ बस्ती में रहने के कारण उसके छोटे बालक की देखरेख में व्यस्त रहता रहा हूं। यद्यपि कई बार उसने अपने साथ कई धर्म के स्थलों को देखने का अवसर दिया। मथुरा वृंदावन और गोवर्धन ,विंध्याचल, प्रयाग, चित्रकूट, बैजनाथ, देहरादून, ऋषिकेश, मुंबई, एलिफेंटा, पूना, भीमाशंकर, खंडाला, द्वारका, भेटद्वारका , नागेश्वर नाथ सोमनाथ, मदुरई ,रामेश्वरम, कन्याकुमारी, पद्मनाभ मंदिर तिरुअनंतपुरम आदि तीर्थों का दर्शन कर चुका हूं । पर चारों धाम गया ठाकुरद्वारा का पिण्ड तर्पण न कर पाने का मलाल बना रहा ।                 सोनू पाण्डेय
संयोग से अपने मित्र ड्राइवर सोनू पाण्डेय के सुझाव पर श्री चतुर्भुजी पांडे जो महसो के पंडा है, के माध्यम से यह प्रोग्राम सेटल हुआ, क्योंकि मेरी पत्नी लम्बे सफर में उल्टी से परेशान हो जाती है । इसलिए बस की यात्रा थोड़ी चिंता का कारण रहा।                श्री चतुर्भुजी पांडे 
श्री चतुर्भुजी पांडे द्वारा आश्वस्त किए जाने पर हमने चारों धाम की यात्रा जाने का निश्चय किया। पहले तो मैं गया से एक ही हफ्ते में लौटने को सोच रहा था। परंतु बेटे के आग्रह पर दो हफ्ते की पूरी यात्रा का सहमत बना। श्री चतुर्भुजी पांडे ने एक अच्छी खासी लिस्ट भी दिया और उसे खरीदने का समय भी मुझे निकालना पड़ा। यात्रा 10 सितंबर 2025 से 25 सितंबर 2025 तक प्रस्तावित रहा। 9 तारीख को हमने भुक्ति व्रत ले रखा था। 
      10 तारीख को प्रस्थान
10 तारीख को प्रस्थान का समय निश्चित किया। हमारे दोनों डाक्टर बच्चों को इस यात्रा की तैयारी का समय न मिलने के कारण खुद , बड़े भैया श्री घनश्याम दुबे और मरवटिया - दुबौली के लोगों का पूरा सहयोग मिला। बड़े भैया द्वारा आचार्य अर्जुन त्रिपाठी पंडित ने पैतृक गांव दुबौली दुबे में पिण्ड तर्पण और पितरों का आह्वान कराया गया।  गांव दुबौली दुबे में जनता से अनुमति 

इसके बाद पैतृक गांव दुबौली दुबे में सपरिवार घूम- घूम कर अच्छत डालते लोगों से अनुमति लेते और आशीर्वाद स्वरूप द्रव्य ग्रहण करते हुए दोपहर में धूप को झेलना पड़ा। कुछ लोग गाजा बाजा और शोभा यात्रा का सुझाव भी दिया, परन्तु हमने सादगी से प्रस्थान को उचित समझा। जिस घर पर पहुंचा वे सब मेरे यात्रा के साक्षी बनते गए।दुबौली से विदा होकर भईया श्री घनश्याम जी के साथ मरवाटिया गया। वहां पर भी पूरे गांव में अच्छत डालते- डालते पूरा दोपहर का समय लग गया। 
यात्रा के सूत्रधार पण्डित चतुर्भुजी पांडे 

शाम को बस्ती से प्रस्थान था। सामानों की पैकिंग में खूब व्यस्त रहा। मेरे सुपुत्र डॉ. सौरभ को संयोग बस आपरेशन में व्यस्तता रही। छोटे नाती बाबा को संभालने के लिए मेरी समधन साधना जी बस्ती आ गई थी।शाम का भोजन घर पर करके मैं अपने ड्राइवर मित्र सोनू के साथ के. डी. सी. के लिए रवाना हुआ। मुझे छोड़ने के लिए मेरी समधन साधना जी , बहू डा. तनु भी के डी सी तक गई। वहीं पर डाक्टर पुत्र सौरभ भी अपने सहायक विपिन के साथ मिलने आ गया था। बस 10 तारीख को प्रस्थान किया शाम को 9:00 बजे किसान डिग्री कॉलेज के प्रांगण से बस जानी थी । बस वाला पूरी रात बस दौड़ा दौड़ाकर गांव के दुर्गम स्थानों से सवारियां इकट्ठा करता रहा।

    11 सितम्बर 2025 अयोध्या जी 
11 तारीख को सुबह अयोध्या पहुंच गया। वहां सरयू में स्नान करके पुनः बस पर लौट आया। कुछ लोग सरयू तट पर पिंडा बना रहे थे।अयोध्या पवित्र सरयू नदी के तट पर स्थित है, और नदी के किनारे भी पिंडदान के अनुष्ठान किए जाते हैं। यहां लोग नदी में डुबकी लगाते हैं और फिर ब्राह्मणों की देखरेख में अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान व हवन का अनुष्ठान करते हैं। हमें जानकारी नहीं थी तो बिना पिंडा तर्पण के भरत कुंड भदरसा को प्रस्थान किया । जहां पहला पिंडा पारा गया। भरत कुंड, जिसे नंदीग्राम भी कहा जाता है, अयोध्या के पास स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है। मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए हजारों लोग हर दिन पिंडदान के लिए यहां पहुंचते हैं। इसे गया बेदी भी कहा जाता है। भदरसा का भरत कुंड बहुत ही दिव्य है यहां लंबी खासी भीड़ देखी गई । लोग अपनी-आप की बारी का इंतजार करते रहे। पंडित माइक से मंत्रों का उच्चारण करके और पिंड तर्पण कराने लगे थे।उन्होंने दक्षिना के लिए कोई जोर जबरदस्ती नहीं किया । सभी लोग अपने-अपने समर्थ के अनुसार दक्षिना दिए। बाद में जल जलपान कर कुंड के किनारे पेड़ों की छाया में गाड़ी रोक कर गाड़ी मालिक द्वारा खाना बनाने का कार्यक्रम चला। हम लोग अपना अपना बिस्तर लगाकर पेड़ों के नीचे आराम फरमा रहे थे । भरत कुण्ड जलकुंभी से भरी पटी थी। चार पांच लोगों का ग्रुप एक छोटी नाव लेकर जल कुंभी निकाल रहा था। जहां हम आराम कर रहे थे। वहीं जल कुंभी निकाली जा रही थी
वातावरण प्रदूषित था।यह काम पितृ पक्ष के पहले कर लेना चाहिए था। कुण्ड में एक नौका भी दौड़ लगा रही थी । कमल के फूल खिले हुए थे।
    मेरे बस में कुछ सवारी छूट रही थी जिसके इंतजार में काफी समय लग रहा था। पंडा श्री चतुर्भुजी पांडे की तबीयत भी खराब थी । इसलिए हम लोग इंतजार करते-करते काफी समय गवा दिए। खाना थोड़ा विलंब से मिल पाया। देर रात को सब सामान समेट कर वाराणसी के लिए प्रस्थान किया।
       12 सितंबर 2025 वाराणसी

12 तारीख को सुबह पिशाच मोचन के पास एक जगह बस पार्किंग कर ऑटो से गंगा जी स्नान के लिए गए । वहां घाट के पंडित से पिंडदान आदि पण्डित विवेकानंद पाण्डेय द्वारा सम्पन्न कराकर पुनः बस पार्किंग पर आए । यहां से पिशाच मोशन घाट गए । यहां के घाट की व्यवस्था भदरसा अयोध्या से बेहतर रही। 
कुण्ड के चारों ओर पक्के घाट बने हुए थे। साफ सफाई और रोशनी व्यवस्था ठीक रही। सुबह कम भीड़ में प्रवेश हुआ। निकलते समय पूरा परिसर भरा हुआ था। बहुत ही अलौकिक अनुभूति हुई। परिसर में विविध प्रकार के आयोजन देखने को मिला।काशी में स्थित पवित्र पिशाच मोचन कुंड में पितरों को सभी बंधनों से मुक्त करने की विशेष शक्ति मानी जाती है। प्राचीन कथा के अनुसार, इस स्थान का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि एक परेशान आत्मा यहाँ स्नान करने के बाद शांत हो गई थी। गरुड़ पुराण में वर्णन है कि इस कुंड को स्वयं भगवान विष्णु ने आशीर्वाद दिया था। जब परिवार इस पवित्र स्थान पर पिंडदान और तर्पण करते हैं, तो माना जाता है कि पितरों को तत्काल संतुष्टि और मुक्ति प्राप्त होती है। कुंड के चारों ओर प्राचीन पीपल के पेड़ हैं, जहाँ ऐसा कहा जाता है कि पितरों की आत्माएँ अपने वंशजों द्वारा याद किए जाने की प्रतीक्षा करती हैं। विश्वास है कि यहाँ अनुष्ठान करने के बाद भक्तों को पारिवारिक समस्याओं और आर्थिक कठिनाइयों से राहत मिलती है। गंगा जल से मिश्रित इस कुंड का पानी पितृ दोष को दूर करने और पारिवारिक जीवन में शांति लाने के लिए अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। पिशाच मोचन के घाट पर पिंडदान पूजन अर्चन तथा दक्षिना आदि देकर निवृत्ति हुए। इसके बाद बस लगभग दोपहर के समय गया के लिए प्रस्थान किया।  आज इतना ही। 
   ( आगे की यात्रा जारी रहेगी 
            बिहार में प्रवेश से )

(नोट :गया जी के तीर्थ स्थलों और पावन वेदियों पर पन्द्रह कड़ियों में एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाएगा।         कृपया प्रतीक्षा करें।)

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