करीब दो दशक पूर्व व्यापक शोध के आधार पर राम गमन मार्ग पर आयकर विभाग के पूर्व सहायक आयुक्त डा. रामअवतार शर्मा ने 249 स्थलों को चिन्हित किया। जिन स्थलों से होते हुए श्रीराम वन में विचरण करते हुए आगे बढ़े थे। देश भर में राम के वन गमन मार्ग में और वाल्मीकि रामायण में वर्णित स्थानों पर जहां ये स्तंभ लगेंगे, वहां इन स्तंभों पर क्षेत्रीय भाषा में भी लिखा जाएगा. जनवरी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले ऐसे 290 श्रीराम स्तंभ राम वन गमन मार्ग और अन्य स्थलों पर लगाए जा रहे हैं।
श्रीअशोक सिंहल फाउंडेशन और विश्व हिंदू परिषद के संयोजन में इन स्थलों पर श्रीराम स्तंभ स्थापित किया जाएगा। 15 फीट ऊंचा यह स्तंभ 100 से सवा सौ फीट वर्ग क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा और इस पर वाल्मीकि रामायण के राम वन गमन से संदर्भित श्लोक के साथ इसका भावार्थ भी अंकित होगा। हिंदी भाषी क्षेत्र में यह भावार्थ हिंदी में अंकित होगा, जबकि हिंदी भाषी क्षेत्र के अलावा अन्य क्षेत्र में भावार्थ आंचलिक भाषा सहित अंग्रेजी में अंकित होगा।
मणि पर्वत से शुरुवात हो रहा है :-
राम स्तंभ स्थापित किए जाने की प्रक्रिया रामनगरी से लगे मणि पर्वत नामक पौराणिक स्थल से शुरू होगी, जहां से श्रीराम ने त्रेता युग में वन के लिए प्रस्थान किया था। लाल बलुआ पत्थर के इन स्तंभों का निर्माण जयपुर में हो रहा है। अयोध्या नगर क्षेत्र में 25 श्रीराम स्तंभ भी लगाने का काम शुरू हो गया है। ये स्तंभ 15 फीट ऊंचा होगा. इसे अलग-अलग हिस्सों में अयोध्या लाया जा रहा है. श्रीराम स्तंभ पिंक स्टोन के बने हैं. इनकी चौड़ाई 3-4 फीट होगी। इसमें रामकथा से जुड़ा वही प्रसंग लिखा होगा, जो उस स्थान के बारे में होगा जहां वो स्तंभ लगेगा।
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