किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति ॥
तुम एक अगोचर हो सबके प्राणपति हो, अर्थात आप अगोचर हो, अर्थात आप दिखाई नहीं देते हो ,पर क्या इसका मतलब यह नही है कि आप हो ही नहीं। यदि आप नहीं हो तो यह सृष्टि किसके बलबूते पर चल रही है? सबके प्राणों में किसकी आत्मा बसी हुई है?
स्मृति शेष श्रीमती प्रानपती
श्रावण कृष्ण प्रतिपदा सन 2017 को आप अपना पंच भौतिक शरीर त्याग कर परम् तत्व में विलीन हुई हो।
आज हमारी माता जी की पंचम पुण्यस्मरण तिथि है
इसी दिन उनकी दिव्य आत्मा ने स्वर्ग में स्थान पाया था।
हम उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें अंतः हृदय से याद करते है !।
हमें पता है कि जाने वाले लौट कर कभी आते नहीं।
लेकिन उनकी यादें हमारे दिलो में हमेशा बानी रहती है।।
हम अपनी माताजी की पंचम पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते है।
उस अदृश्य परम तत्व को शत शत बार नमन करते हैं।।
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