Wednesday, November 3, 2021

लुप्त होती संस्कृति डा. राधे श्याम द्विवेदी

काव काव बच गयली बाटी। काव काव होई गइली गायब।।

सूतरी गायब रसरी गायब।

रसरी कय बरवैया गायब।।
झौआ गायब नौय्या गायब।
रहटा  दौरी मौनी गायब।।

कुचरा कुचरी बढ़नी गायब।
पगहा पगही अरगन गायब।
बधिया बधनी बखिया गायब।
हाथे में कय चुरिया गायब।।

हर गायब जुवाठा गायब।
जोतै वाला हरवाहा गायब।
मोछिया गायब पगड़ी गायब।
ढेका ढेकूली कुंवा गायब।।

चना चबेना लैय्या गायब
जोंधरी आउर लहड़रा गायब।।
झलुआ द्वारे नाई परत हय
कजरी फाग गवैया गायब।।

आमेक पेड़  नाई फरत हय
बगिया कय रखवैया गायब।।
लिपस्टिक कय पेड़ दिखत हय।
महुवा कै महुवरैया गायब।

जब से चला हय बफर भोज
पांती कय परसैया गायब।।
अंटिया गायब पटिया गायब ।
बांसे वाली खटिया गायब।।

रसरी कै बरवैया गायब।।
खटिया कै बुनवैया गायब।।
दादी जेहि पर बैठत रहलीं
घर कय शोभा मचिया गायब।।

चकिया गायब जाता गायब।
ओखरी और पहरुवा गायब।।
चना केराव अब दीखत नाही।
जोन्हरी कै भुजवइया गायब।।

अम्मा जेहसे धान कुटत रहीं
होई गई उ पहरुआ गायब।
कड़िया गायब तरकी गायब।
जोंधरी वाली खुखड़ी गायब।।

ढेबरी गायब डेहरी गायब।
लालटेन की चिमनी गायब।
खूंटी खटिया खोखरी गायब।
ताखा आउर मसेहरी गायब।।

अमझोरा दुइ जून बनत रहा
देशी आम कय बगिया गायब।।
गोंई गायब लढ़िया गायब
दूधे वाली हड़िया गायब।।

माटी कय दवाइत नाही।
बचपन वाली खड़िया गायब।।
हंसुली गायब तरकी गायब
काने वाली लुरकी गायब।।

जबसे सब एडवांस भये हंय
मूड़े पइसे चुनरी गायब।।
घुघरी गायब गादा गायब
बैलन वाला नादा गायब।।

टीन सेड कय चलन भवा अब
द्वारे पइकय मड़हा गायब।।
मेढकी गायब केंचुआ गायब
खेतन मय कय पेटुआ गायब।।

फास्टफूड जबसे चलि गवा हय
घर से होयगा सतुआ गायब।।
ऊ आइस मेहमानी गायब।
पहुना कय अगुवानी गायब।।

मोबाइल कय दौर भवा अब
सगुनी कय उठवैया गायब।।
नाउन धगरीन बढ़ई गायब।
लोहारान कै धौकनी गायब।।

अमावट आउर कचावट गायब।
कलम दवात लिखावट गायब।।
घर घर मिक्सी होय गय भैया
अबतव हय सिलबट्टा गायब।।

गिद्ध आउर गौरैया गायब
खेतन केर मड़ैया गायब।।
अबकी सावन मां ना आये
भौजी केरे सैंया गायब।।

कथरी गायब गोंदरी गायब
राबी वाली गगरी गायब।।
प्लास्टिक सब पर हावी होयगा
पत्ता वाली पतरी गायब।।

सन गायब औ सुज्जा गायब
बटौरा कय खरबुज्जा गायब।।
हाइब्रिड कय नस्ल चली अब
देशी चीज हय बिल्कुल गायब।।

पश्चिम कै सभ्यता आई गयली।
पुरखन कै सब रसम लै गायली।
जो कुछ आज देख परत हौए।
कल तक नाही उ रहि जैली।

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