हिंदू धर्म में अनेक संप्रदाय है। ये स्वायत्त प्रथाओं और मठवासी केंद्रों के साथ शिक्षण परंपराएं हैं, जिनमें एक गुरु वंश होता है, जिसमें अनुयायियों की प्रत्येक पीढ़ी द्वारा विचारों को विकसित और प्रसारित, पुनर्परिभाषित और समीक्षा की जाती है। एक विशेष गुरु वंश को परम्परा कहा जाता है । जीवित गुरु की परम्परा में दीक्षा प्राप्त करके , व्यक्ति अपने उचित संप्रदाय से संबंधित होता है ।
हिंदू धर्म की सभी विचारधारा या संप्रदाय वेद से निकले हैं। वेदों में ईश्वर, परमेश्वर या ब्रह्म को ही सर्वोच्च शक्ति माना गया है। सदाशिव, दुर्गा, ब्रह्मा, विष्णु, महेश, सरस्वती, लक्ष्मी, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, भैरव, काली आदि सभी उस सर्वोच्च शक्ति का ही ध्यान करते हैं। सभी संप्रदाय मूल में उसी सर्वोच्च शक्ति के बारे में बताते हैं।
वैष्णव या भागवत सम्प्रदाय :-
वैष्णव धर्म या वैष्णव सम्प्रदाय का प्राचीन नाम भागवत धर्म या पांचरात्र मत है. इस सम्प्रदाय के प्रधान उपास्य देव वासुदेव हैं, जिन्हें, ज्ञान, शक्ति, बल, वीर्य, ऐश्वर्य और तेज- इन 6: गुणों से सम्पन्न होने के कारण भगवान या 'भगवत' कहा गया है और भगवत के उपासक भागवत कहलाते हैं. वैष्णव के बहुत से उप संप्रदाय हैं।
वैष्णव सम्प्रदाय, भगवान विष्णु को ईश्वर मानने वालों का सम्प्रदाय है. वैष्णव धर्म या वैष्णव सम्प्रदाय का प्राचीन नाम भागवत धर्म या पांचरात्र मत है. इस सम्प्रदाय के प्रधान उपास्य देव वासुदेव हैं। और भगवत के उपासक भागवत कहलाते हैं. वैष्णव के बहुत से उप संप्रदाय हैं. जैसे: बैरागी, दास, रामानंद, वल्लभ, निम्बार्क, माध्व, राधावल्लभ, सखी और गौड़ीय. वैष्णव का मूलरूप आदित्य या सूर्य देव की आराधना में मिलता है.
वैष्णव सम्प्रदाय, भगवान विष्णु को ईश्वर मानने वालों का सम्प्रदाय है. वैष्णव धर्म या वैष्णव सम्प्रदाय का प्राचीन नाम भागवत धर्म या पांचरात्र मत है. इस सम्प्रदाय के प्रधान उपास्य देव वासुदेव हैं, जिन्हें, ज्ञान, शक्ति, बल, वीर्य, ऐश्वर्य और तेज- इन 6: गुणों से सम्पन्न होने के कारण भगवान या 'भगवत' कहा गया है और भगवत के उपासक भागवत कहलाते हैं. वैष्णव के बहुत से उप संप्रदाय हैं. जैसे: बैरागी, दास, रामानंद, वल्लभ, निम्बार्क, माध्व, राधावल्लभ, सखी और गौड़ीय. वैष्णव का मूलरूप आदित्य या सूर्य देव की आराधना में मिलता है।
वैष्णववाद हिंदू धर्म की एक भक्ति धारा है, जो भगवान विष्णु को सर्वोच्च भगवान ( स्वयं भगवान ) के रूप में पूजती है। स्वयं विष्णु के साथ-साथ, इस संप्रदाय के अनुयायी विष्णु के दस अवतारों ( दशावतार ) की भी पूजा करते हैं।
विष्णु के दो सबसे अधिक पूजे जाने वाले अवतार कृष्ण हैं (विशेषकर कृष्णवाद में सर्वोच्च के रूप में) और राम, जिनकी कहानियाँ क्रमशः महाभारत और रामायण में बताई गई हैं । इस संप्रदाय के अनुयायी आम तौर पर गैर-तपस्वी, मठवासी और ध्यान अभ्यास और परमानंद जप के प्रति समर्पित होते हैं। वैष्णववाद की विशेषता कई संतों, मंदिरों और शास्त्रों के प्रति विविध पालन है।
विभिन्न वैष्णव सम्प्रदाय:-
वैष्णव भागवत धर्म एक विशाल सागर की भांति है जिसमें थोड़े थोड़े अलग अलग पूजा पद्धतियों की एक लम्बी शृंखला है - दत्तात्रेय संप्रदाय, सौर संप्रदाय, पांचरात्र मत, वैरागी, दास, रामानंद-रामावत संप्रदाय, वल्लभाचार्य का रुद्र या पुष्टिमार्ग, निम्बार्काचार्य का सनक संप्रदाय, आनंदतीर्थ का ब्रह्मा संप्रदाय, माध्व, राधावल्लभ, सखी, चैतन्य गौड़ीय, वैखानस संप्रदाय, रामसनेही संप्रदाय, कामड़िया पंथ, नामदेव का वारकरी संप्रदाय, पंचसखा संप्रदाय, अंकधारी, तेन्कलै, वडकलै, प्रणामी संप्रदाय अथवा परिणामी संप्रदाय, दामोदरिया, निजानंद संप्रदाय- कृष्ण प्रणामी संप्रदाय, उद्धव संप्रदाय- स्वामी नारायण, एक शरण समाज, श्री संप्रदाय, मणिपुरी वैष्णव, प्रार्थना समाज, रामानुज का श्रीवैष्णव, रामदास का परमार्थ आदि।
वैष्णव धर्म या सम्प्रदाय से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:-
(1) वैष्णव धर्म के बारे में सामान्य जानकारी उपनिषदों से मिलती है. इसका विकास भगवत धर्म से हुआ है.
(2) वैष्णव धर्म के प्रवर्तक कृष्ण थे, जो वृषण कबीले के थे और जिनका निवास स्थान मथुरा था.
(3) कृष्ण का सबसे पहले उल्लेख छांदोग्य उपनिषद में देवकी के बेटे और अंगिरस के शिष्य के रूप में हुआ.
(4) विष्णु के अवतारों का उल्लेख मत्स्यपुराण में मिलता है.
(5) शास्त्रों में विष्णु के 24 अवतार माने गए हैं, लेकिन मत्स्य पुराण में प्रमुख 10 अवतार माने जाते हैं:
(i) मत्स्य
(ii) कच्छप
(iii) वराह
(iv) नृसिंह
(v) वामन
(vi) परशुराम
(vii) राम
(viii) कृष्ण
(ix) बुद्ध
(x) कल्कि
(6) 24 अवतारों का क्रम इस तरह है:
(i) आदि परषु
(ii) चार सनतकुमार
(iii) वराह
(iv) नारद
(v) नर-नारायण
(vi) कपिल
(vii) दत्तात्रेय
(viii) याज्ञ
(ix) ऋषभ
(x) पृथु
(xi) मतस्य
(xii) कच्छप
(xiii) धनवंतरी
(xiv) मोहिनी
(xv) नृसिंह
(xvi) हयग्रीव
(xvii) वामन
(xviii) परशुराम
(xix) व्यास
(xx) राम
(xxi) बलराम
(xxii) कृष्ण
(xxiii) बुद्ध
(xxiv) कल्कि
(7) वैष्णव धर्म में ईश्वर प्राप्ति के लिए सर्वाधिक महत्व भक्ति को दिया है.
(8) ऋग्वेद में वैष्णव विचारधारा का उल्लेख मिलता है. वैष्ण ग्रंथ इस प्रकार ...
1.) ईश्वर संहिता
(ii) पाद्मतन्त
(iii) विष्णुसंहिता
(iv) शतपथ ब्राह्मण
(v) ऐतरेय ब्राह्मण
(vi) महाभारत
(vii) रामायण
( viii) विष्णु पुराण
(9) वैष्ण तीर्थ इस प्रकार हैं:
(i) बद्रीधाम
(ii) मथुरा
(iii) अयोध्या
(iv) तिरुपति बालाजी
(v) श्रीनाथ
(vi) द्वारकाधीश
(10) वैष्णव संस्कार इस प्रकार हैं:
(i) वैष्णव मंदिर में विष्णु राम और कृष्ण की मूर्तियां होती हैं. एकेश्वरवाद के प्रति कट्टर नहीं हैं.
(ii)इसके संन्यासी सिर मुंडाकर चोटी रखते हैं.
(iii) इसके अनुयायी दशाकर्म के दौरान सिर मुंडाते वक्त चोटी रखते हैं.
(iv) ये सभी अनुष्ठान दिन में करते हैं.
(v) यह सात्विक मंत्रों को महत्व देते हैं.
(vi) जनेऊ धारण कर पितांबरी वस्त्र पहनते हैं और हाथ में कमंडल तथा दंडी रखते हैं.
vii) वैष्णव सूर्य पर आधारित व्रत उपवास करते हैं.
(viii) वैष्णव दाह संस्कार की रीति हैं.
(ix) यह चंदन का तीलक खड़ा लगाते हैं.
11) वैष्णव साधुओं को आचार्य, संत, स्वामी कहा जाता है।
लेखक परिचय:-
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।
मोबाइल नंबर +91 8630778321;
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