वैदिक पंचांग के अनुसार एक साल में 12 संक्रांति होती हैं। सूर्य जब भी एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो वह क्षण संक्रांति के नाम से जाना जाता है। वहीं सूर्यदेव जिस भी राशि में प्रवेश करते हैं, उसी राशि का नाम संक्रांति के साथ जुड़ जाता है। सभी संक्रांतियों में मीन और धनु संक्रांति बहुत ही महत्वपूर्ण संक्रांति मानी जाती हैं। क्योंकि ये संक्रांति जब भी होती हैं, उसके बाद एक महीने तक किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं ।
ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो साल में दो बार खरमास आता है। जब -जब सूर्य बृहस्पति की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं,तब-तब खरमास लगता है। खरमास में सूर्य अपने तेज को देवगुरु बृहस्पति के घर पहुंचते ही कम कर लेते हैं,ऐसी परिस्थिति में पृथ्वी पर सूर्य का तेज कम हो जाता है। सूर्य के कमजोर होने के कारण एक माह के लिए मंगलिक कार्यों पर विराम लगा दिया जाता है। जब सूर्य गुरु की राशियों में होता है,तब सूर्य के तेज से गुरु की राशि धनु और मीन निर्बल हो जाती है। ऐसी स्थिति में शुभ कार्यों के अपूर्ण होने की आशंका रहती है,इसलिए इस दौरान प्रभु का स्मरण करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है।
प्रथम दिसंबर - जनवरी का खरमास :-
16 दिसंबर 2022 को भगवान सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश कर गए और 14 जनवरी 2023 को मकर राशि में सूर्यदेव गोचर करेंगे। इसीलिए 16 दिसंबर 2022 से लेकर 14 जनवरी 2023 तक खरमास रहेगा।
14 जनवरी 2023 शनिवार के दिन 7 व्रत और त्यौहार है
1. मकर संक्रान्ति - (सूर्य का मकर राशि में प्रवेश)
2. पोंगल - (मकर संक्रान्ति के दिन)
3. उत्तरायण - (सौर कैलेण्डर पर आधारित)
4. मकरविलक्कु - (सौर कैलेण्डर पर आधारित)
5. रोहिणी व्रत - (जैन कैलेण्डर पर आधारित)
6.स्वामी विवेकानंद जयंती
7. लोहड़ी (लोहरी)
द्वितीय मार्च - अप्रैल का खरमास :-
15 मार्च 2023, दिन बुधवार को भगवान सूर्यनारायण मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे और खरमास आरंभ हो जाएगा। इसके बाद 14 अप्रैल 2023, दिन शुक्रवार तक खरमास रहेगा और इसी दिन भगवान सूर्यदेव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे।
14 अप्रेल 2023, वैशाख कृष्ण नवमी शुक्रवार के दिन 5 व्रत और त्यौहार है
1. बौशाखी (मेष संक्रान्ति के दिन)
2. मेष संक्रान्ति - (सूर्य का मीन से मेष राशि में प्रवेश)
3. सोलर नववर्ष - (हिन्दु सौर कैलेण्डर का पहला दिन)
4.पुथन्डू - (सौर कैलेण्डर पर आधारित)
5. अम्बेडकर जयन्ती - (ग्रेगोरियन कैलेण्डर में निश्चित दिन)
इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. आने वाले नए साल में 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन खरमास का महीना खत्म होगा. इस समय का निर्धारण सूर्य की गति से हर बार होता है और चन्द्र की स्थिति से कोई मतलब नहीं होता है।कुछ लोग इसे मलमास समझने का भ्रम मन बैठते है। खरमास साल में दो बार तथा मलमास तीन साल में एक बार होता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक खरमास में शादी-विवाह पर पाबंदी होती है. इसके अलावा घर बनाना या खरीदना या कोई नया काम करने पर रोक होती है.
खरमास की कथा:-
खरमास की कथा गधे से संबंधित है. संस्कृत में खर का मतलब गधा होता है और मास का मतलब महीना होता है. कथाओं के मुताबिक एक बार सूर्य देवता अपने रथ पर बैठकर ब्राह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे. इस दौरान उनके रुकने का मतलब धरती पर जनजीवन का रुक जाना था. इसलिए उनका रथ हमेशा चलता रहता था. लेकिन इस दौरान उनके घोड़े थक गए और उनको प्यास लगने लगी. इससे चिंतित होकर भगवान ने रथ को एक तालाब के किनारे रोक दिया और घोड़ों को आराम के लिए छोड़ दिया. इसी वक्त तालाब किनारे दो गधे घास चर रहे थे. भगवान ने दोनों गधों को रथ से जोड़ा और फिर परिक्रमा पर निकल पड़े. लेकिन गधे तो गधे होते हैं. उनकी रफ्तार घोड़ों के मुकाबले कम होती है. इसलिए रथ की रफ्तार भी धीमी हो गई. भगवान सूर्य ने किसी तरह से एक महीने का वक्त पूरा किया और तालाब के किनारे पहुंचे. इसके बाद उन्होंने गधों को मुक्त किया और घोड़ों को रथ से जोड़ा और फिर परिक्रमा पर निकले पड़े. इस तरह से हर सौर साल में एक महीना खरमास का होता है।
खरमास के महीने में क्या करना चाहिए:-
खरमास के महीने में शुभ कामों पर रोक होती है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि खरमास में हर काम अशुभ होता है. चलिए आपको बताते हैं कि खरमास में क्या-क्या करना चाहिए.
भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए.
इस महीने में लक्ष्मी नारायण की पूजा करके विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ कर सकते हैं
इस महीने में दान-पुण्य करना भी फलदायी होता है
खरमास में ईष्ट देवों की पूजा-पाठ करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं
खरमास में गरीबों की मदद करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है
इस महीने में जप-तप और मंत्रों का उच्चारण करने से भी शुभ फल मिलता है
खरमास में क्या नहीं होता है:-
मांगलिक कार्यक्रमों जैसे शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे काम नहीं करने चाहिए।
खरमास में कोई भी नया काम करने की पाबंदी होती है
मकान, जमीन या प्लॉट नहीं खरीदा चााहिए।
नए कपड़े और आभूषण भी पहनना नुकसानदायक होता है।
खरमास में अगर संभव हो तो मूंग दाल, जीरा, आम, सुपारी, सेंधा नमक, तिल नहीं खाना चाहिए।
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