बस्ती । विक्रमशिला हिन्दी विद्या पीठ द्वारा वरिष्ठ कवि डॉ. राम कृष्ण लाल ‘जगमग’ को उनके योगदान के लिये ‘भारत गौरव’ सारस्वत सम्मान से सम्मानित किया गया है। गुरूवार को उनके सम्मान में वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति एवं प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान की ओर से कलेक्टरी परिसर में एक संगोष्ठी आयोजित कर वक्ताओं ने उनका उत्साहवर्धन करते हुये अंग वस्त्र एवं फूल मालाओं के साथ स्वागत किया।
शिव हर्ष किसान पी.जी. कालेज के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. रामदल पाण्डेय ने कहा कि हिन्दी कविता के क्षेत्र में डॉ. जगमग की साहित्य यात्रा स्वंय में विविधता लिये हुये हैं। उनकी कृति ‘चाशनी’ से लेकर ‘ किसी की दिवाली किसी का दिवाला’ विलाप खण्ड काव्य, ‘हम तो केवल आदमी है’ ‘ सच का दस्तावेज’ ‘बाल सुमन’ आदि कृतियों में वे कभी हास्य तो कभी गंभीर दर्शन के रूप में आम आदमी की पीड़ा व्यक्त करते हुये उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। डा.पाण्डेय ने कहा कि इन दिनों जगमग जी स्वामी विवेकानन्द पर केन्द्रित महाकाव्य का सृजन कर रहे हैं, निश्चित रूप से उनका साहित्यिक संसार घोर तमस में समाज का पथ पदर्शन करेगा।
कवि एवं चिकित्सक डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि डा. जगमग ने जहां स्वयं अनेकों कृतियां समाज को दिया वहीं वे पूर्वान्चल में समर्थ कवियों की पीढी तैयार कर रहे हैं। निश्चित रूप से यह कठिन कार्य है, नई पीढी उनसे बहुत कुछ सीख सकती है। वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि डा. जगमग का रचना संसार जन सरोकारों से जहां सीधा जुड़ा है। उनके कटाक्ष और तीखे व्यंग्य श्रोताओं की जुबान पर चढ़े हुये है। डॉ. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने कहा कि डॉ. जगमग का जीवन साहित्य को समर्पित है। कवि सम्मेलनों में वे आम आदमी की भावना को सहज रूप में छू जाते हैं।
अपनों द्वारा किये गये सम्मान से अभिभूत डा. जगमग ने कहा कि उन्होने जिस तरह से जीवन को देखा उसे शव्दों में उतार दिया। यह क्रम अनवरत जारी है।
डॉ. राम कृष्ण लाल ‘जगमग’ को सम्मानित किये जाने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्याम प्रकाश शर्मा, विनय कुमार श्रीवास्तव, ओम प्रकाश धर द्विवेदी, रमाकान्त तिवारी, पेशकार मिश्र, दीपक सिंह प्रेमी, शाद अहमद शाद, दीनानाथ यादव, गणेश आदि अनेक विद्वत जनों ने उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।
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