अच्छी खासी घर गृहस्थी नजर लग गई।
जिन पे किया एतबार उनसे दूरी बन गई।।
कुछ कर्म अच्छे थे जो कट गया सफर।
आगे क्या होगा कुछ मालूम ना जानेगर।।
तुम खुश रहो फूलो फलों ये है दुवा मेरी।
खुशियों को तेरी देख जिंदगी कटेगी मेरी।
कुछ लिया पूर्वजों से कुछ दे दिया जगत।
सबकी ज़िम्मेदारी क्या दोगे तुम अब सत।।
आगे बढ़ो आगे बढ़ो ये दुनिया है देखती।
सुकर्म की ही पूजा हर एक वक्त देखती।
अपनी जड़ों से जो जुड़ा रहेगा हरा भरा।
वर्ना आंधी वर्षा में जायेगा सब भर भरा।।
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