Monday, January 27, 2020

क्या धार्मिक अल्पसंख्यकों को विशेषाधिकार दिया जा सकता है डा. राधेश्याम द्विवेदी


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यद्यपि सरकार संवैधानिक तरीके से एसा नहीं कर सकती है। पर व्यवहारिक रुप से इस नियम को अपनाने में बर्तमान नरेन्द्र मोदीजी की सरकार विफल रही है और इसके विरुद्ध अनेक कानूनी जनों ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लगा रखी है। एक तरफ देश में नरेन्द्र मोदी जी की सरकार को अल्पसंख्यकों के हितों की अनदेखी करने वाली सरकार कहकर सी ए ए के बहाने पूरे देश में विरोध किया जा रहा है । दूसरी ओर विपक्षियों द्वारा प्रायोजित जनता मोदी जी के अल्पसंख्यकों के हितो पर विशेष ध्यान देने वाली कृत्यों को भी नजरन्दाज करती जा रही है। परिणाम स्वरुप मोदी जी के अपने ही लोग सरकार के इस अवैधानिक कृत्य की ओर माननीय सर्वेच्च न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कर रहे हैं। नरेंद्र मोदीजी की सरकार ने पिछले बजट में 4700 करोड़ रुपये अल्पसंख्यकों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए दिए थे। इसे भेदभाव पूर्ण बताते हुए उत्तर प्रदेश के रहने वाले छह लोगों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। अब इस याचिका पर केंद्र सरकार 4 हफ्ते में नोटिस का जवाब देगी। याचिकाकर्ताओं में लखनऊ के रहने वाले नीरज शंकर सक्सेना, आगरा निवासी मनीष शर्मा, आगरा के ही रहने वाले उमेश रावत, अरुण कुमार सिंह, शिशुपाल बघेल, गाजियाबाद निवासी सौरभ सिंह शामिल हैं। इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन हैं जबकि 20 जनवरी 2020 को हरि शंकर जैन ने इस मामले को लेकर कोर्ट में बहस की थी।
वकील विष्णु शंकर जैन कहते हैं, ‘इसमें मुख्य मुद्दा यह है कि नैशनल माइनॉरिटी कमिशन ऐक्ट 1992 की वैधता को चुनौती दी गई है। हमारा कहना है कि केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार (फिलहाल सेंट्रल गवर्नमेंट को पार्टी बनाया है) या गवर्नमेंट मशीनरी किसी भी तरह के धार्मिक अल्पसंख्यकों को विशेषाधिकार नहीं दे सकती है। संविधान के आर्टिकल 29 और 30 में यह उनका खुद का अधिकार है कि वे अपने संस्थान, संस्कृति की रक्षा करें और आगे ले जाएं। यह सरकार का कर्तव्य नहीं है कि उनके प्रटेक्शन के लिए पैसा खर्च करे।
प्रसिद्ध कानूनविद विष्णु शंकर जैन का कहना है- सरकार जो 4,700 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, यह आर्टिकल 27 का उल्लंघन है क्योंकि करदाताओं के पैसे से आप किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यकों को लाभ नहीं दे सकते हैं।हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के अध्यक्ष और वकील हरि शंकर जैन आगे कहते हैं, ‘केंद्र सरकार ने 4700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है कि हम इससे अल्पसंख्यकों के लिए काम करेंगे। जैसे कि अल्पसंख्यकों को विदेश जाना है, पढ़ाई करना है, इनके लिए स्कॉलरशिप की तर्ज पर मदद मुहैया कराएंगे। वक्फ प्रॉपर्टी को यदि बनवाना चाहते हैं तो ब्याजमुक्त लोन देंगे। यदि मुस्लिम महिलाएं स्किल डिवेलपमेंट चाहती हैं तो उनकी भी आर्थिक सहायता की जाएगी। इन सभी योजनाओं पर 4700 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ऐक्ट के तहत आने वाली कल्याणकारी योजनाओं में 14 स्कीम शामिल हैं। इन सभी का जिक्र याचिका में किया गया है। इन योजनाओं में से ज्यादातर मुसलमानों के लिए हैं। स्कीम का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस लाभकारी योजनाओं का लाभ एक खास समुदाय को मिल रहा है जबकि ऐसी ही स्थिति से गुजर रहे दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों को इन लाभों से वंचित रहना पड़ रहा है। कानूनविद हरि शंकर जैन, अध्यक्ष हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस का कहना है -भेदभाव इस वजह से भी है क्योंकि यदि वक्फ प्रॉपर्टी है तो उसके लिए विशेष प्रावधान है लेकिन हिंदू प्रॉपर्टी पर इसका लाभ नहीं मिलेगा।श्री जैन कहते हैं, ‘इसे कुछ यूं भी समझा जा सकता है कि अल्पसंख्यक वर्ग की पांच या छह लाख रुपये आमदनी होगी तो उन्हें योजना का लाभ दिया जाएगा। ऐसे में जब हिंदुओं की 5-6 लाख रुपये आमदनी है तो उन्हें इसका फायदा नहीं मिलेगा। उदाहरण के तौर पर मैं खान हूं और आप दुबे हैं, मेरी आमदनी साल में 5 लाख रुपये है तो मेरा लड़का वजीफे का हकदार होगा लेकिन आपकी आमदनी 4 लाख रुपये है लेकिन आपके बेटे को इसका लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि आप हिंदू हैं।


Friday, January 10, 2020

पण्डित सूर्यदत्त त्रिपाठी कप्तान गंज के प्रथम विकास पुरुष



बस्ती जिले के कप्तानगंज जो रतास नामक एक छोटा सा गांव है , कैप्टन स्तर के एक सैन्य अधिकारी द्वारा स्थापित सैनिक कार्यालय तथा बाजार 1861-62 तक स्थापित हो चुका था । 1865 में यहां तहसील तथा मुंसफी न्यायालय स्थापित हो चुके थे। 1857 की क्रांति को जब अंग्रजों से भलीभांति संभाला तब आगे की सुव्यवस्था के लिए बस्ती तहसील मुख्यालय को 1865 में जिला मुख्यालय घोषित कर दिया गया। फलतः 1876 में कप्तानगंज को तहसील व मंुसफी समाप्त करके हर्रैया में तहसील व मुंसफी बनाई गई । कप्तानगंज तहसील के भवन में वर्तमान थाना बना हुआ है। लगभग 15 सालों तक कप्तानगंज प्रशासन का एक महत्वपूर्ण  प्रशासनिक इकाई के रूप में बना रहा । 109 ग्राम सभाओं/पंचायतों तथा 11 न्याय पंचायतों को समलित करते हुए 2 अक्टूबर 1956 को कप्तानगंज विकास खण्ड का मुख्यालय घोषित किया गया । 1971 ई. में इस विकास खण्ड की जनसंख्या 84,501 रही। इस समय इस विकास द्वोत्र में 222 गांव हैं। पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद कप्तानगंज विकासखंड 1956 में ही अस्तित्व में आ गया लेकिन ब्लाक प्रमुख का चुनाव पहली बार 1965 में हुआ तो उस समय के जनप्रिय नेता पंडित सूर्य दत्त त्रिपाठी जन्म 1 जुलाई 1930 को नकटीदेई बुजुर्ग में हुआ था। वह इस व्लाक के पहले प्रमुख निर्वाचित हुए जो 10 जनवरी 1976 तक अपने तीन कार्यकाल में इस पद पर बने रहे। उनकी हत्या सहकारी समिति के तत्कालीन प्रबंधक श्री अयोध्या सिंह के द्वारा होना कहा जाता हैं। यद्यपि वह बाद में केस से दोषमुक्त भी हो गया था। उनकी हत्या स्थल जो बस्ती फैजाबाद राजमार्ग के दक्षिण था , उस स्थान पर दुबौली दूबे निवासी श्री देवनाथ दूबे ने एक स्मारक स्थल का निर्माण कराया था। अपने कार्यकाल में स्व. त्रिपाठी जी ने इन्दिरा गांधी के 1971 के बांग्लादेश के विजय से प्रभावित होकर 1972 में कप्तानगंज व्लाक मुख्यालय के सामने इन्दिरा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्याालय की स्थापना की थी। उनके छोटे भाई स्व. पं. देवी प्रसाद त्रिपाठी पुण्य तिथि 15 दिसम्बर सच्चे अर्थो में कर्मयोगी थे। उन्होंने हरदिया पूरे अजबी में किसान लघु माध्यमिक विद्यालय की स्थापना व कप्तानगंज में इंदिरा गांधी इंटर कालेज का प्रथम संचालन कर एक मिशाल कायम की। जीवन पर्यत जनहित कार्यो के लिए संघर्ष करना ही उनकी पहचान थी। विद्यालयों की स्थापना कर स्व. सूर्यदत्त त्रिपाठी व देवी प्रसाद त्रिपाठी अपना नाम अमर कर लिये। यदि इन पिछड़े क्षेत्रों में विद्यालयों की स्थापना न हुई होती तो तमाम गरीब तबके के लोग अशिक्षित ही रह जाते। शिक्षा के माध्यम से ही समाज व देश का विकास संभव है क्योंकि शिक्षित व्यक्ति ही समाज व देश की दशा दिशा को सुदृढ़ बनाने के लिए अपना अपूर्णीय योगदान दे सकता है।
इंदिरा गांधी इंटर कालेज के प्रांगण में पूर्व प्रबंधक व पूर्व प्रमुख स्व. त्रिपाठी जी की पुण्यतिथि पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर विद्यालय परिवार ने श्रद्धांजलि अर्पित की गयी है। गौरव त्रिपाठी पं. सूर्यदत्त के पौत्र हैं तथा स्थानीय भाजपा के नेता है। इनके चाचा राकेश मणि त्रिपाठी वर्तमान में इन्दिरा गांधाी इन्टर कालेज के प्रबंधक है। इसी परिवार में गंगा त्रिपाठी भी हमारे अभिन्न मित्र हुआ करंते थे। जो स्व. देवी प्रसाद जी के सुपुत्र थे। विद्यालय की स्थापना से लेकर लगभग 43 साल की सेवा करके डा. हरिहर पाण्डेय ने 30 जून 2015 को में अपने सहायक अध्यापक श्री अशोक कुमार मिश्र को विद्यालय के प्रधानाचार्य का प्रभार दिये थे। श्री मिश्र जी भी सेवामुक्त होकर गां गायत्री इन्टर कालेज की स्थापना किये है। इस समय इन्दिरा गांधी इन्टर कालेज विद्यालय प्रधानाचार्य श्री सुजीत मिश्रा के नेतृत्व में सकुशल चल रहा है। कप्तानगंज बस्ती के विकास पुरुष तथा शिक्षा के प्रथम पथ प्रदर्शक के पुण्य तिथि पर हम सादर उन्हें सादर श्रद्धा सुमन समर्पित करंते हैं।

डॉ हरिहर पांडेय का निधन


 

बस्ती जिले के कप्तानगंज जो रतास नामक एक छोटा सा गांव है , कैप्टन स्तर के एक सैन्य अधिकारी द्वारा स्थापित सैनिक कार्यालय तथा बाजार 1861-62 तक स्थापित हो चुका था । 1865 में यहां तहसील तथा मुंसफी न्यायालय स्थापित हो चुके थे। 1857 की क्रांति को जब अंग्रजों से भलीभांति संभाला तब आगे की सुव्यवस्था के लिए बस्ती तहसील मुख्यालय को 1865 में जिला मुख्यालय घोषित कर दिया गया। फलतः 1876 में कप्तानगंज को तहसील व मंुसफी समाप्त करके हर्रैया में तहसील व मुंसफी बनाई गई । कप्तानगंज तहसील के भवन में वर्तमान थाना बना हुआ है। लगभग 15 सालों तक कप्तानगंज प्रशासन का एक महत्वपूर्ण  प्रशासनिक इकाई के रूप में बना रहा । 109 ग्राम सभाओं/पंचायतों तथा 11 न्याय पंचायतों को समलित करते हुए 2 अक्टूबर 1956 को कप्तानगंज विकास खण्ड का मुख्यालय घोषित किया गया । 1971 ई. में इस विकास खण्ड की जनसंख्या 84,501 रही। पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के बाद कप्तानगंज विकासखंड 1956 में ही अस्तित्व में आ गया लेकिन ब्लाक प्रमुख का चुनाव पहली बार 1965 में हुआ तो उस समय के जनप्रिय नेता पंडित सूर्य दत्त त्रिपाठी जन्म १ जुलाई १९३०  पहले प्रमुख निर्वाचित हुए जो 10जनवरी 1976 तक अपनी हत्या पर्यन्त तक  अपने तीन कार्यकाल में इस पद पर बने रहे। उनकी हत्या का आरोप सहकारी समिति कप्तानगज के तत्कालीन मैनेजर अयोध्या सिंह पर लगा था , जो बाद में दोषमुक्त भी हो गए थे lअपने कार्यकाल में स्व. त्रिपाठी जी ने इन्दिरा गांधी के 1971 के बांग्लादेश के विजय से प्रभावित होकर 1972 में कप्तानगंज व्लाक मुख्यालय के सामने इन्दिरा गांधी उच्चतर माध्यमिक विद्याालय की स्थापना की थी। इसके प्रथम प्रधानाचार्य का दायित्व स्व. त्रिपाठी जी ने उस समय के युवा विद्वान डा. हरिहर पाण्डेय को सौंपा था। डा. पाण्डेय मूल रुप से नगर बाजार थाने के अठदमा के निवासी थे। स्व. त्रिपाठी के अभिन्न मित्र मरवटिया पाण्डेय निवासी स्व. सत्य नारायण पाण्डेय थे। जिनसे अंतरंगता रिश्ता होने के कारण डा. पाण्डेय स्व. ़ित्रपाठी के सानिध्य में आये और यह गुरुतर कार्य भार को संभालने का अवसर पाये हुए थे। इस विद्याालय में 18 स्नातक ग्रेड तथा 5 स्नातकोत्र ग्रेड के कुल 23 शिक्षक नियुक्त हुए थे। 519 छात्रये तथा 540 छात्राओं वाले इस विद्यालय में कुल 1059 छात्र थे। यहां के पुस्तकालय में 1210 पुस्तके बतायी जाती है। लगभग 43 साल की सेवा के उपरान्त डा. पाण्डेय ने 30 जून 2015 को में श्री अशोक कुमार मिश्र को विद्यालय का प्रभार दिये थे। अपने अंतिम दिनों में वह अपने पैतृक गांव अठदमा में रह रहे थे। उन्होेने पिकौरा सानी गांव निकट महराजगंज में आवास भी बनवा लिया था। अंतिम समय जब वे बीमार थें तो संजय गांधी पी जी आई लखनऊ में दाखिल हुए थे। लम्बी बीमारी के बाद उनका दिनांक 6 दिसम्बर को निधन हो गया। हम उन्हे सादर श्रद्धांजलि अर्पित कंरते हैं तथा ईश्वर से प्रार्थना कंरते हैं कि उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें।