Wednesday, May 29, 2019

मानव शरीर अत्यन्त दुर्लभ आचार्य राधेश्याम द्विवेदी

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प्राचीनकाल से हमारे ऋषि-मुनियों और ज्ञानियो ने भी इस बात को माना है मनुष्य जीवन अद्भुत व महानता का प्रतीक है। विवेक चूड़ामणि 5 में कहा गया है कि दुर्लभं मनुष्यं देहम इसका अर्थ है कि मनुष्य का देह बड़ी मुश्किल से मिलता है। ऋषियों, मुनियों, विचारकों ने कहा है कि ईश्वर ने पृथ्वी पर 84 कोटि ( प्रकार) योनियां बनाई है। इन 84 कोटि (प्रकार) योनियों में भटकने के बाद मनुष्य जीवन मिलता है। इसमें 30 कोटि (प्रकार) पेड़ पौधों की संख्या, 27 कोटि ( प्रकार) कीड़े मकोड़ों की संख्या, 14 कोटि ( प्रकार)  पक्षियों की संख्या, 9 कोटि      ( प्रकार) पानी के जीव जन्तुओं की संख्या और 4 कोटि ( प्रकार)  पशुओं की संख्या पायी जाने की मान्यता है।

पुनर्वित्तं पुनर्मित्रं पुनर्भार्या पुनर्मही।
एतत्सर्वं पुनर्लभ्यं न शरीरं पुनः पुन:।।
नष्ट हुआ धन पुनः मिल जाता है, रूठे हुए मित्र और बिछड़े हुए मित्र दुबारा मिल जाते हैं। पत्नी का बिछोह, त्याग और देहांत हो जाने पर दूसरी पत्नी भी मिल जाती है। जमीन, जायदाद, देश और राज्य दुबारा मिल जाते हैं और ये सब बार-बार प्राप्त हो जाते हैं। लेकिन यह मानव तन बार-बार नही मिलता। क्योकि नरत्वं दुर्लभं लोके इसका मतलब है इस संसार में नर देह प्राप्त करना दुर्लभ है, ऐसा हमारे शास्त्रों में लिखा गया है।रामचरित मानस में भी भगवान राम ने मानव शरीर की के बारे में बताते हुए कहा है।
बड़े भाग मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथन गावा।
बड़े सौभाग्य से यह नर शरीर मिलता है और सभी ग्रंन्थों में भी यही कहा गया है कि यह शरीर देवताओं को भी दुर्लभ है।
नरक स्वर्ग अपवर्ग नसेनी। ग्यान विराग भगति सुभ देनी।
यह मनुष्ययोनि नरक, स्वर्ग और मोक्ष की सीढ़ी है और यह शुभज्ञान, वैराग्य और भक्ति को देने वाली है।
साधन धाम मोच्छ कर व्दारा। पाइ न जेहिं परलोक संवारा।
यह नर शरीर साधन का धाम और मोक्ष का दरवाजा है। इसे पाकर भी जो परलोक को नही प्राप्त कर पाता है वह आभागा है।मनुष्य योनि को सर्वश्रेष्ठ इसलिए माना गया है कि इस योनि में ही जन्म-जन्मांतर से मुक्ति मिल सकती है। अतः ईश्वर की भक्ति और शुभकार्यो में अपने समय को व्यतित करना चाहिए। संत कबीर दास जी कहते हैं कि
“ दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार,तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार।”
इस संसार में मनुष्य का जन्म मुश्किल से मिलता है. यह मानव शरीर उसी तरह बार-बार नहीं मिलता मनुष्य के रूप में मिला हुआ यह जन्म एक लम्बे अवसर के बाद मिलता है अतः इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए अपितु इस सुअवसर को जीव हित के लिए उपयोग करना चाहिए । जैसे वृक्ष से पत्ता झड़ जाए तो दोबारा डाल पर नहीं लगता. यह अवसर हाथ से निकलने के पश्चात पुनः नहीं मिल सकता जिस प्रकार वृक्ष से झड़े हुए पत्ते उस पर पुनः नहीं जोड़े जा सकते ।
मनुष्य जन्म अति दुर्लभ है। मनुष्य जन्म ही ऐसा है, जिसमें हम भगवान को पा सकते हैं। यह मनुष्य देह अत्यंत दुर्लभ और क्षण भंगुर है। मनुष्य शरीर के समान सर्वश्रेष्ठ शरीर कोई नहीं है। मनुष्य एक ऐसा जीव है, जिसने सब पर अपना कंट्रोल कर रखा है।
गरुण पुराण कहता है कि मनुष्य के अतिरिक्त अन्य कोई योनि वाला जीव भगवान को नहीं जान सकता है। इसी मानव देह को पाकर ईश्वर को नहीं जान पाये तो यह सबसे भूल होगी। यह मत समझना कि मृत्यु के पश्चात तुम्हें पुन: मनुष्य शरीर मिल जायेगा। यदि भगवान को नहीं जान पाओगे तो पुन: 84 कोटि ( प्रकार)  योनियों में भटकना पड़ेगा। इसलिए हे मानव उठो, जागो अब जल्द से जल्द किसी तत्व दर्शी की शरण में जाओ तुम्हारा कल्याण हो सकता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य में इतनी ताकत है कि वह देवताओं को भी अपना गुलाम बना सकता है। इसका उदाहरण लंका पति रावण है भगवान ने स्वयं कहा कि वह भक्त की भक्ति के वशीभूत होकर उसकी एक आवाज पर दौड़े चले आते हैं। इसलिए हमें अपनी शक्ति को पहचान कर भगवान की भक्ति में लग जाना चाहिये। मनुष्य की शरीर की रचना शाकाहारी पशुओं की रचना समान है लेकिन मांसाहारी पशुओं की शरीर रचना मनुष्य की शरीर रचना से भिन्न है। हमें शरीर स्वस्थ रखना है तो नियमित सात्विक भोजन करना होगा।
                      


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