भागवत
में 18 हजार श्लोक, 335 अध्याय तथा 12 स्कन्ध हैं। इसके विभिन्न स्कंधों में विष्णु के लीलावतारों का
वर्णन बड़ी सुकुमार भाषा में किया गया है। परंतु भगवान् कृष्ण की ललित लीलाओं
का विशद विवरण प्रस्तुत करनेवाला दशम स्कंध भागवत का हृदय है।
अन्य पुराणों में, जैसे विष्णुपुराण (पंचम अंश), ब्रह्मवैवर्त (कृष्णजन्म खंड) आदि में भी कृष्ण का
चरित् निबद्ध है, परंतु दशम स्कंध में लीलापुरुषोत्तम का चरित् जितनी
मधुर भाषा, कोमल पदविन्यास तथा भक्तिरस से आप्लुत होकर
वर्णित है वह अद्वितीय
है। रासपंचाध्यायी (10.29-33) अध्यात्म तथा साहित्य उभय दृष्टियों से काव्यजगत् में
एक अनूठी वस्तु है। वेणुगीत (10.21), गोपीगीत, (10.30), युगलगीत (10.35), भ्रमरगीत (10.47) ने भागवत को
काव्य के उदात्त स्तर
पर पहुँचा दिया है।
भागवत
के १२ स्कन्द निम्नलिखित
हैं- श्रीमद्भागवत पुराण कीसंरचना
भागवत
में 18 हजार श्लोक, 335 अध्याय तथा 12 स्कन्ध हैं। इसके विभिन्न स्कंधों में विष्णु के लीलावतारों का
वर्णन बड़ी सुकुमार भाषा में किया गया है। परंतु भगवान् कृष्ण की ललित लीलाओं
का विशद विवरण प्रस्तुत करनेवाला दशम स्कंध भागवत का हृदय है।
अन्य पुराणों में, जैसे विष्णुपुराण (पंचम अंश), ब्रह्मवैवर्त (कृष्णजन्म खंड) आदि में भी कृष्ण का
चरित् निबद्ध है, परंतु दशम स्कंध में लीलापुरुषोत्तम का चरित् जितनी
मधुर भाषा, कोमल पदविन्यास तथा भक्तिरस से आप्लुत होकर
वर्णित है वह अद्वितीय
है। रासपंचाध्यायी (10.29-33) अध्यात्म तथा साहित्य उभय दृष्टियों से काव्यजगत् में
एक अनूठी वस्तु है। वेणुगीत (10.21), गोपीगीत, (10.30), युगलगीत (10.35), भ्रमरगीत (10.47) ने भागवत को
काव्य के उदात्त स्तर
पर पहुँचा दिया है।
भागवत
के १२ स्कन्द निम्नलिखित
हैं- श्रीमद्भागवत पुराण कीसंरचना
भागवत
में 18 हजार श्लोक, 335 अध्याय तथा 12 स्कन्ध हैं। इसके विभिन्न स्कंधों में विष्णु के लीलावतारों का
वर्णन बड़ी सुकुमार भाषा में किया गया है। परंतु भगवान् कृष्ण की ललित लीलाओं
का विशद विवरण प्रस्तुत करनेवाला दशम स्कंध भागवत का हृदय है।
अन्य पुराणों में, जैसे विष्णुपुराण (पंचम अंश), ब्रह्मवैवर्त (कृष्णजन्म खंड) आदि में भी कृष्ण का
चरित् निबद्ध है, परंतु दशम स्कंध में लीलापुरुषोत्तम का चरित् जितनी
मधुर भाषा, कोमल पदविन्यास तथा भक्तिरस से आप्लुत होकर
वर्णित है वह अद्वितीय
है। रासपंचाध्यायी (10.29-33) अध्यात्म तथा साहित्य उभय दृष्टियों से काव्यजगत् में
एक अनूठी वस्तु है। वेणुगीत (10.21), गोपीगीत, (10.30), युगलगीत (10.35), भ्रमरगीत (10.47) ने भागवत को
काव्य के उदात्त स्तर
पर पहुँचा दिया है।
भागवत
के १२ स्कन्द निम्नलिखित
हैं-
स्कन्ध
संख्या विवरण
प्रथम
स्कन्ध इसमें
भक्तियोग और उससे उत्पन्न
एवं उसे स्थिर रखने वाला वैराग्य का वर्णन किया
गया है।
द्वितीय
स्कन्ध ब्रह्माण्ड
की उत्त्पत्ति एवं उसमें विराट् पुरुष की स्थिति का
स्वरूप।
तृतीय
स्कन्ध उद्धव
द्वारा भगवान् का बाल चरित्र
का वर्णन।
चतुर्थ
स्कन्ध राजर्षि
ध्रुव एवं पृथु आदि का चरित्र।
पंचम
स्कन्ध समुद्र,
पर्वत, नदी, पाताल, नरक आदि की स्थिति।
षष्ठ
स्कन्ध देवता,
मनुष्य, पशु, पक्षी आदि के जन्म की
कथा।
सप्तम
स्कन्ध हिरण्यकश्यिपु,
हिरण्याक्ष के साथ प्रहलाद
का चरित्र।
अष्टम
स्कन्ध गजेन्द्र
मोक्ष, मन्वन्तर कथा, वामन अवतार
नवम
स्कन्ध राजवंशों
का विवरण। श्रीराम की कथा।
दशम
स्कन्ध भगवान्
श्रीकृष्ण की अनन्त लीलाएं।
एकादश
स्कन्ध यदु
वंश का संहार।
द्वादश
स्कन्ध विभिन्न
युगों तथा प्रलयों और भगवान् के
उपांगों आदि का स्वरूप।
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