विभिन्न पुराणों
एवं वेदों में श्री हनुमत् जयन्ती मनाने के लिए अलग अलग समय और तिथियाँ उल्लिखित हैं|
कुछ जगहों पर श्री हनुमत् जयन्ती मार्गशीर्ष मास में मूल नक्षत्र लगने पर मनाई जाती
है| कुछ जगहों पर श्री हनुमान जयन्ती का उत्सव कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन मनाया
जाता है| कुछ स्थानों पर चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है| प्राप्त प्रमाणों
के अनुसार दक्षिण भारत के बहुत से राज्यों , तमिलनाडू एवं केरल में श्री हनुमत् जयन्ती
का त्यौहार मार्गशीर्ष मास में जब मूल नक्षत्र का पदार्पण होता है, तब मनाया जाता है|
इन प्रान्तों में मनाया जाने वाला यह उत्सव कहीं पर पूरा महीना चलता है तो कहीं पर
केवल एक दिन के लिए ही है| दक्षिण भारत के अलावा भारत के अन्य बहुत से राज्यों में
जैसे- महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश के बहुत
से हिस्सों में श्री हनुमान जयन्ती का आयोजन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि
को मनाया जाता है| छपरा नगर में मनने वाला श्री हनुमत् जयन्ती सम्पूर्ण उत्तर भारत
में सबसे पुरानी और सबसे बड़ी जयन्ती है| यह
कुल ग्यारह दिनों तक चलती है| श्री हनुमत् जयन्ती मनाने के लिए बहुत सी तिथियाँ निर्धारित
की गयी हुई हैं, परन्तु प्रभु भक्ति में मनाया जाने वाला उत्सव किन्हीं भी तिथियों
पर आश्रित नहीं होता है| प्रभु भक्ति की गंगा निरंतर बहती आयी है और निरंतर ही बहती
जायेगी.
राम एवं हनुमान भक्त हनुमान जी की जन्मतिथि होने के कारण हनुमान जयन्ती को
विशेष पूजा-आराधना तथा व्रत करते
हैं| भक्तों द्वारा स्नान ध्यान, भजन-पूजन
और सामूहिक पूजा में हनुमान चालीसा और हनुमान जी की आरती के विशेष आयोजन किये जाते
हैं। इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ माना जाता है। चैत्र मास की पूर्णिमा को ही राम भक्त
हनुमान ने माता अंजनी के गर्भ से जन्म लिया था। यह व्रत हनुमान जी की जन्मतिथि का है.
श्री हनुमान, वानर भगवान, शक्ति और ज्ञान का भगवान
के रूप में माना जाता है। भगवान राम के प्रति उनके बेहिचक भक्ति के लिए जाना जाता है और यही कारण
है कि वह 'परम भक्त' के रूप में जाना जाता है
हिंदू धर्म में बजरंगबली सबसे लोकप्रिय
देवताओं में से एक है।
हनुमान जयंती दिवाली के
दौरान कुछ समुदायों
में मनाया जाता है। भगवान हनुमान शक्ति, सौंदर्य, भक्ति
और नि:स्वार्थ सेवा का प्रतीक है।भगवान राम के सबसे परम भक्त हनुमान है। विनम्रता उसकी पहचान है। हनुमान की महानता रामायण
में भगवान राम द्वारा समझाया गया है। भगवान राम हनुमान से कहा था, ‘ हे शक्तिशाली
नायक तुम अद्भुत अलौकिक कर्मों को किया । तुम बदले में
कुछ भी नहीं कहा । आपने सीता द्वारा दी मोती की कीमती माला दूर फेंक दिया। मैं
तुम्हें अनन्त जीवन का वरदान देते हैं। सभी सम्मान और आप अपने आप की तरह पूजा
करेंगे। आपकी मूर्ति मेरे मंदिर के द्वार पर रखा जाएगा और आप की पूजा पहली बार
किया जाएगा। जब भी मेरी कहानियों या गौरव पाठ किया जाएगा ,पहले आप की पूजा किया
जाएगा। इस
दिन भक्तों मंदिरों पर जाकर और पूजा के द्वारा भगवान हनुमान को उनकी श्रद्धांजलि करते
हैं। भगवान हनुमान की मूर्ति पर सिंदूर लागू करने से एक त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण
रस्म होता है। यह माना जाता है कि ऐसा करने से भक्तों
के लिए गुड लक होता है।
हनुमान जी के जन्म के बारे में एक कथा है कि- 'अंजनी
के उदर से हनुमान जी उत्पन्न हुए। भूखे होने के कारण वे आकाश में उछल गए और उदय होते
हुए सूर्य को फल समझकर उसके समीप चले गए। उस दिन पूर्णिमा तिथि होने से सूर्य को ग्रसने
के लिए राहु आया हुआ था। परन्तु हनुमान जी को देखकर उसने उन्हें दूसरा राहु समझा भागने
लगा। तब इन्द्र ने अंजनीपुत्र पर वज्र का प्रहार किया था । इससे उनकी ठोड़ी टेढ़ी हो
गई, जिसके कारण उनका नाम हनुमान पड़ा। जिस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ वह दिन चैत्र
मास की पूर्णिमा था। यही कारण है कि आज के दिन हनुमान जी की विशेष पूजा-आराधना की जाती
है तथा व्रत किया जाता है। साथ ही मूर्ति पर सिन्दूर चढ़ाकर हनुमान जी का विशेष शृंगार
भी किया है। आज के दिन रामभक्तों द्वारा स्नान ध्यान, भजन-पूजन और सामूहिक पूजा में
हनुमान चालीसा और हनुमान जी की आरती के विशेष आयोजन किये जाते हैं। भक्ति और शक्ति
का बेजोड़ संगम मारुतिनंदन को चोला चढ़ाने से जहां सकारात्मक ऊर्जा मिलती है वहीं बाधाओं
से मुक्ति भी मिलती है।
पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि हनुमानजी को प्रसन्न
करने के लिए शनि को शांत करना चाहिए। जब हनुमानजी ने शनिदेव का घमंड तोड़ा था तब सूर्यपुत्र
शनिदेव ने हनुमानजी को वचन दिया कि उनकी भक्ति करने वालों की राशि पर आकर भी वे कभी
उन्हें पीड़ा नहीं देंगे। कन्या, तुला, वृश्चिक और अढैया शनि वाले तथा कर्क, मीन राशि
के जातकों को हनुमान जयंती पर विशेष आराधना करनी चाहिए। हनुमानजी को भक्ति और शक्ति
का बेजोड़ संगम बताया गया है। हनुमानजी का शुमार अष्टचिरंजीवी में किया जाता है, यानी
वे अजर-अमर देवता हैं। उन्होंने मृत्यु को प्राप्त नहीं किया। बजरंगबली की उपासना करने
वाला भक्त कभी पराजित नहीं होता।
हनुमानजी का जन्म सूर्योदय के समय बताया गया है इसलिए
इसी काल में उनकी पूजा-अर्चना और आरती का विधान है। 'संकट मोचन नाम तिहारो' भारतीय-दर्शन
में सेवा भाव को सर्वोच्च स्थापना मिली हुई है, जो हमें निष्काम कर्म के लिए प्रेरित
करती है। इस सेवाभाव का उत्कृष्ट उदाहरण हैं केसरी और अंजनी के पुत्र महाबली हनुमान।
हनुमान जी ने ही हमें यह सिखाया है कि बिना किसी अपेक्षा के सेवा करने से व्यक्ति सिर्फ
भक्त ही नहीं, भगवान बन सकता है। हनुमान जी का चरित्र रामकथा में इतना प्रखर है कि
उसने राम के आदर्र्शो को गढ़ने में मुख्य कड़ी का काम किया है। रामकथा में हनुमान के
चरित्र में हम जीवन के सूत्र हासिल कर सकते हैं। वीरता, साहस, सेवाभाव, स्वामिभक्ति,
विनम्रता, कृतज्ञता, नेतृत्व और निर्णय क्षमता जैसे हनुमान के गुणों को अपने भीतर उतारकर
हम सफलता के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं। हनुमान जी अपार बलशाली और वीर हैं, तो विद्वता
में भी उनका सानी नहीं है। फिर भी उनके भीतर रंच मात्र भी अहंकार नहीं। आज के समय में
थोड़ी शक्ति या बुद्धि हासिल कर व्यक्ति अहंकार से भर जाता है, किंतु बाल्यकाल में
सूर्य को ग्रास बना लेने वाले हनुमान राम के समक्ष मात्र सेवक की भूमिका में रहते हैं।
वह जानते हैं कि सेवा ही कल्याणकारी मंत्र है। बल्कि जिसने भी अहंकार किया, उसका मद
हनुमान जी ने चूर कर दिया।
सीता हरण के बाद न सिर्फ तमाम बाधाओं से लड़ते हुए
हनुमान समुद्र पार कर लंका पहुंचे, बल्कि अहंकारी रावण का मद चूर-चूर कर दिया। जिस स्वर्ण-लंका पर रावण को अभिमान था, हनुमान
ने उसे ही दहन कर दिया। यह रावण के अहंकार का प्रतीकात्मक दहन था। अपार बलशाली होते
हुए भी हनुमान जी के भीतर अहंकार नहीं रहा। जहां उन्होंने राक्षसों पर पराक्रम दिखाया,
वहीं वे श्रीराम, सीता और माता अंजनी के प्रति विनम्र भी रहे। उन्होंने अपने सभी पराक्रमों
का श्रेय भगवान राम को ही दिया। समस्त
भारत में श्री हनुमान जयन्ती उत्सव बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है| हनुमान जी श्री
राम के अनन्य भक्त हैं तथा ऊर्जा, शक्ति एवं भक्ति के प्रतीक माने जाते हैं| ऐसा माना
जाता है कि श्री हनुमत् जयन्ती के दिन राम-नाम का जाप और हनुमत् भक्ति करने से श्री
हनुमान जी हमारी सारी परेशानियों को हर लेते हैं और हमारा हर कार्य सिद्ध करते हैं|
हनुमान जन्मोत्सव उपाध्याय इस्टेट नगर बाजार बस्ती के आयोजन के कुछ दृश्य https://www.facebook.com/photo.php?fbid=745618145798319&set=pcb.745618729131594&type=3&__tn__=HH-R&eid=ARAjtgtxaevqa9g9GYHSvHox2PMwDDsIqjSY2ex0KbbFN-52Y3Cho8f2nYizgq44s3oKz2AbkV6KyrQg
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