Thursday, August 2, 2018

बस्ती की हस्तीआओ जाने (1) डा. राधेश्याम द्विवेदी ‘नवीन’


सदियों से बस्ती एक जंगल था।
हिमालय तक जो फैला था।
ऋषि-मुनि यहां तपस्या करते थे।
हिंसक पशु यहां विचरते थे।
यह कौशल देश का हिस्सा बना।
जहां दशरथ राम का शासन हुआ।
कुश दक्षिण कौशल के राजा बने।
लव को उत्तर का राज मिला।
इनकी राजधानी श्रावस्ती बनी।
जो सहेट महेट कही जाती रही।
यह नाम में बस्ती से मिलती है।
यह दोनों एक सी लगती है।।

फिर गण राज्यों का युग आया।
सोलह जनपदों में जो फैला।
शाक्य कोलिय यहां के वासी थे।
दूर दूर तक उनका कीर्ति फैला।
ईसा पूर्व की छठी शती में
शाक्यों के राजा सुद्धोधन थे।
कपिलवस्तु राजधानी थी उनकी
गौतम बुद्ध पैदा यहीं पर हुए।
दासी पुत्र कौशलकुमार विडूदभ का
कपिलवस्तु में उचित ना स्वागत हुआ।
बदले की आग में जलने लगा।
अपने ननिहाल से खफा हुआ।
कपिलवस्तु राज्य में आग लगा
बस्ती को उसने उजाड़ दियां।
राप्ती खूनों से लाल हुई।
खुद इसी में जाकर डूब गया।।

इतिहास का सारा वैभव अब।
तिनके तिनके सा विखर गया।
गुप्तों का शासन जाते जाते
बस्ती पूरा ही उजड़ गया।
मौखरियों ने कन्नोज में मिला।
वर्धन सामाज्य यहां तक था।
धीरे धीरे यह बसने लगा।
इतिहास का कालिमा घुलने लगा।
बस्ती फिर आबाद हुई।
पर पिछड़ापन इसका बना रहा।।
(क्रमशः…)

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