हाथीघाट पर विसर्जन कुण्ड से खाद बनना
जारी - यमुना सत्याग्रही पंडित अश्विनी कुमार मिश्र के संयोजन में
श्रीगुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास सेवा समिति ने विगत दो दशकों से जन जागरुकता,
सहभागिता तथा स्थानीय प्रशासन के सहयोग से आगरा के एक दर्जन घाटों के स्वच्छता के लिए
प्रयास शुरु किया है। आगरा शहर के मध्य तथा आगरा किला के निकट स्थित हाथीघाट पर समय
समय पर सांस्कृतिक तथा पारम्परिक कार्यक्रम के साथ ही साथ नियमित रुप से साप्ताहिक
यमुना आरती की जाती है। जिसमें भारी संख्या में शहर के गणमान्य यमुनाप्रेमी श्रद्धालुजन
सहभागिता निभाते हैं। विसर्जन सामग्री की समस्या से समाज में चिंतन मनन अध्ययन तथा
निदान के प्रयास किये गये तथा सरकार को सुझाव दिये गये। इसी दौरान इलाहाबाद उच्च न्यायालय
का आदेश नदी में सामग्री विसर्जित ना करने का आया। परिणाम स्वरुप हाथीघाट के पार्क
के सौन्दर्यीकरण के क्रम में अनुपयोगी माला तथा फूलपत्तियों की सामग्री, वस्त्र ,मूर्तियों
का पारम्परिक एवं वैज्ञानिक विधि से विसर्जन किये जाने की योजना पर कार्य शुरु किया
गया है। आगरा में फूलों का आवक सर्वधार्मिक स्थल, विवाह स्थल, होटल तथा सांस्कृतिक
केन्द्र हैं। आगरा में सभी धर्मों के लोग घरों
में या धार्मिक स्थलों में पूजा अर्चना करते हैं। पूजन अर्चन के बाद ये सामग्री अनुपयोगी
हो जाते हैं और उसे यत्र तत्र फेंककर लोग अपने आराध्यों की बेकदरी कर देते हैं। इससे
यमुना नदी तथा पर्यावरण भी प्रदूषित हो जाता है। इसलिए इसके विसिर्जन व रिसाइकिलिंग
की योजना की आवश्यकता महशूस की गयी।
श्रीगुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास
सेवा समिति का अभियान - श्रीगुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास
सेवा समिति आम जनता में जन जागृति चेतना के माध्यम से अनुपयोगी माला तथा फूलपत्तियों
के निस्तारण का अभियान चलाती रहती है। हाथी घाट पर पर्वो के पावन अवसरों पर समय समय
पर कुण्डों का अस्थाई निर्माण करवाती है तथा उसे प्रदर्शित करती रहती है। वह मन्दिरों
के प्रतिनिधियों से निरन्तर सहयोग लेती रहती है। पूरे शहर में कलश यात्रा द्वारा जन
जागरुकता लाती है। वह अपनी देखरेख में पुष्प संजीवनी’ व पुष्प अमृत’ का उत्पादन भी
कर रही है। जिसे नमूना स्वरुप अनेक अवसरों पर वितरण भी कराती आ रही है। इन नमूनों को
विभिन्न माध्यमों से प्रचार प्रसार भी किया जाता रहा है।
आगरा शहर में दो स्थलों में ये काम चल
रहा- समिति अपने सीमित संसाधनो एवं प्रयास से आगरा शहर में दो स्थलों
हाथीघाट तथा नामनेर मंदिर परिसर में परम्परागत रुप से शहर के धार्मिक स्थलों से निकलनेवाले
अनुपयोगी माला एवं फूलपत्तियां आदि को एकत्र करवाकर रिसाइकिल करके खाद बनाने का काम
शुरु कर दिया है। अभी केवल घार्मिक स्थलों से निकलने वाले फूल पत्तियों का उपयोग करना
शुरु कर पाया है। इसके अलावा आगरा शहर के सांस्कृतिक विवाहस्थलों व होटलों से भारी
मात्रा में जो अनुपयोगी माला एवं फूलपत्तियां आदि निकलती है। वह किसी योजना के तहत
रिसाइकिलकर नहीं हो पा रही है। समिति
इस सम्बन्ध में प्रशासन से निवेदन किया है कि व आदेश वह निर्देश
जारी कर इसे रिसाइकिलिंग करवाए ताकि आगरा शहर मे बड़ी मात्रा में अनुपयोगी माला एवं
फूलपत्तियां का पुनः उपयोग किया जा सके और शहर की स्वच्छता तथा हरियाली लाने में भी
मदद मिल सके । संस्था प्रशासन से अनुरोध किया है कि यमुना शुद्धीकरण तथा पर्यावरण संरक्षण
के इस कार्य में आगरा विकास प्रधिकरण व नगर निगम को व्यापकता के साथ काम को करने में
समिति का भी सहयोग लिया जाय। साथ ही शहर के विभिन्न स्थलों से निकलने वाले अनुपयोगी
माला एवं फूलपत्तियां आदि को एकत्र करवाने , सार्वजनिक स्थलों पर माला एवं फूलपत्ती
कलश (पा़त्र) रखवाने तथा उसे ट्रांसपोर्ट करवाने की व्यवस्था करवाया जाय ।
वाराणसी में ये काम एक शीर्षस्थ समिति
कर रही - इसी प्रकार का काम वाराणसी के पावन शहर में भी चल रहा है। वहां
मंदिरों व नदियों से निकलनेवाले अनुपयोगी सामग्री को एकत्रित करने का काम एक शीर्षस्थ
समिति कर रही है जो वाराणसी शहर के बाहर स्थित राजा तालाब के मेहदीगंज स्थित अपने जैविक
खाद उत्पादन केंद्र में जैविक खाद बनाने का काम शुरु कर दिया है। तैयार खाद लागत मूल्य
पर किसानों को उपलब्ध कराई जा रही ह। एक किलो खाद बनाने में समिति को 11.50 रुपये की
लागत आ रही है। इसे 12 रुपये प्रति किलो की दर से किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है।
इस कोशिश से न केवल मंदिरों का अनुपयोगी सामग्री साफ हो रहा है, बल्कि गंगा भी साफ
सुथरी हो रही है। अगर भारत के सभी मंदिरों में ये काम शुरू कर दिया जाए तो न केवल मंदिरों
की सफाई हो सकेगी, बल्कि आस पास की छोटी नदियों या नालियां जाम नहीं होंगी। इतना ही
नहीं पुराने फूलों के कारण होने वाले मच्छर भी नहीं होंगे। इसकी मदद से पैदा होने वाले
फसल से शरीर स्वस्थ रहता है। खेतों में रसायन डालने से जैविक व्यवस्था नष्ट होने लगती
है तथा भूमि और जल-प्रदूषण बढ़ जाता है। खेतों में हमें उपलब्ध जैविक साधनों की मदद
से खाद, कीटनाशक दवाई, चूहा नियंत्रण हेतु दवा बगैरह बनाकर उनका उपयोग करना होता है।
इन तरीकों के उपयोग से हमें पैदावार भी अधिक मिल सकेगी एवं अनाज, फल सब्जियां भी विषमुक्त
एवं उत्तम होंगी ।
आज इस अभियान को सारे देश में चलाने की आवश्यकता है। इससे जहां पर्यावरण व नदियों की शुद्धता का दायरा बढ़ेगा वहीं कम लागत में किसानों व उद्यान प्रेमियों को गुणवत्ता वाली जैविक खाद भी मिल सकेगी। केन्द्र व राज्य सरकारो को इस योजना को अपनाकर सबसिडी देकर प्रोत्साहित करना चाहिए। साथ ही साथ इसका व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार करके लोगों को इसके प्रति प्रेरित करना चाहिए।
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