इस बार 2017 में उत्तर प्रदेश में ब्राहमण विधायक बहुतायत में विजयी हुए हैं। सभी विजयी विप्र विधायको को वर्ष 2018 की हार्दिक शुभकामनाएं । हमारे माननीय विधायकों की अनधिकृत सूची कुछ इस प्रकार है जो सोसल मीडिया से प्राप्त हुई है। 1. प्रतिभा शुक्ला - अकबरपुर रनिया2. योगेंद्र उपाध्याय- आगरा 3. अमिताभ बाजपेयी- आर्यनगर कानपुर 4. सतीष चन्द त्रिवेदी-इटवा 5. हर्षवर्धन बाजपेयी-इलाहाबाद 6. मनोज कुमार पांडेय-ऊचाहार 7. चन्द्र प्रकाश शुक्ल - कप्तान गंज 8. जटाशंकर त्रिपाठी - खड्डा 9. जय चौबे- खलीलाबाद 10. चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय- चित्रकूट 11. विनय शंकर तिवारी-चिल्लूपार 12. अर्चना पाण्डे - छिबरामऊ 13. विजय मिश्र -ज्ञानपुर 14. रितेश पाण्डे -जलालपुर 15. प्रेम नारायण पांडेय -तरबगंज 16. कैलाश नाथ शुक्ल -तुलसी पुर 17. अमन मणि त्रिपाठी -नौतनवा 18. सुभाष त्रिपाठी –पयागपुर 19. उपेंद्र तिवारी –फेफना 20. सुनील दत्त द्विवेदी –फरुखाबाद 21. आराधना मिश्र- रामपुर 22. ब्रजेश पाठक -लखनऊ 23. देवमणि द्विवेदी -लम्भुआ 24. नीलकांत तिवारी - वाराणसी 25. रजनी तिवारी- शाहबाद 26. ज्ञान तिवारी -सेवता 27. शीतल पांडे- सहजनवा 28. अविनाश त्रिवेदी- बक्शी का तलाब 29. रामनरेश अग्निहोत्री –भोगांव 30. लीना तिवारी- मडियाहू 31. सुरेश तिवारी -बरहज 32. प्रकाश द्विवेदी -बांदा 33. राजेश कुमार मिश्र -बिथरी 34. ह्रदय नारायण दिक्षित -भगवंतनगर 35. रवींद्र नाथ त्रिपाठी - भदौही 36. भूपेष चौबे –राबर्ट्सगंज 37. कमलेश शुक्ल -रामनगर 38. शरद कुमार अवस्थी - रामनगर 39. अनिल पाराशर –कोल 40. अरविंद गिरि- गोकर्णनाथ 41. सत्य देव पचौरी -गोविंदनगर 42. रवि शर्मा- झांसी 43. सतीष चन्द शर्मा -दरियाबाद 44. रीता बहुगुणा जोशी -लखनऊ 45. श्रीकांत शर्मा -मथुरा 46. नीलम करवरिया- मेजा (इलाo) 47. राकेश गौस्वामी- महोबा 48. श्याम सुंदर शर्मा- मांट 49- महेश चंद्र त्रिवेदी- किदवई नगर 50. राधा क्रषण शर्मा- बिल्सी 51. सुनील शर्मा - साहिबाबाद 52. रामवीर उपाध्याय- सादाबाद 53. बाला प्रसाद अवस्थी- धौरहरा 54. शशांक त्रिवेदी- महोली 55. अलका राय- मोहम्मदाबाद (गाजीपुर) 56. रत्नाकर मिश्रा- मिर्ज़ापुर 57. रमेश चंद्र मिश्रा- बदलापुर 58. कमलेश शुक्ल- रामपुरकरखाना 59- इंद्रप्रताप उर्फ़ खब्बू तिवारी- गोसाईगंज 60- राम फेरन पांडेय - श्रावस्ती 61. आशुतोष उपाध्याय - भाटपार रानी 62- विनय द्विवेदी उर्फ़ बिन्नू भैया- मेहनोंन (गोंडा) और 63. आनंद स्वरूप शुक्ला- बलिया।
ब्राहमण विधायको की लिस्ट मे ब्राह्मण समाज के 63 विधायक है। इसलिये ब्राह्मण समाज का हक है ब्राह्मण मुख्यमंत्री व कम से कम 10 राज्य मंत्री ब्राह्मण समाज से हों । इसके साथ साथ अपने अपने राज्य मे भी ब्राह्मण भाईयो को उत्तर प्रदेश की तरह संगठित करे ताकि ब्राह्मण समाज को अपनी ताकत का पता चले । भाजपा आलाकमान के पदाधिकारियों से ब्राह्मण समाज अपील करता है कि ब्राह्मण समाज को उनका हक औऱ सम्मान दे।
भगवान परशुराम का आंदोलन आततायी बाहुबलियों के विरुद्ध था। उनके समान त्यागी, अपरिग्रही, दानी कर्मठ, तत्काल निर्णय लेने वाला महायोद्धा मानव इतिहास में दूर दूर तक नहीँ नज़र आता है। वे सत्ता, वैभव और सुख की आकांक्षा से रहित थे और उनके सारे प्रयास भय एवं अत्याचार के विरुद्ध केंद्रित थे। उन्होने बिना किसी पूर्वाग्रह और पक्षपात के आततायी राजाओं का अंत कर जन सामान्य को सुरक्षा दी तथा शोषण से रक्षा की।
अतएव परशुराम के आदर्श को स्थापित करने हेतु ब्राह्मण समाज को उनके गुणों का अनुकरण करते हुये त्यागी, अपरिग्रही, निस्पृह, निर्मोही, निर्लोभी, शूर - वीर, पराक्रमी तथा पूर्वाग्रह और पक्षपात मुक्त होना पड़ेगा।
अग्निर्देवो द्विजातीनां मुनिनां ह्रदिदैवतम् । प्रतिमास्वल्पबुद्धीनां सर्वतः समदर्शनः।।
अतएव परशुराम के आदर्श को स्थापित करने हेतु ब्राह्मण समाज को उनके गुणों का अनुकरण करते हुये त्यागी, अपरिग्रही, निस्पृह, निर्मोही, निर्लोभी, शूर - वीर, पराक्रमी तथा पूर्वाग्रह और पक्षपात मुक्त होना पड़ेगा।
अग्निर्देवो द्विजातीनां मुनिनां ह्रदिदैवतम् । प्रतिमास्वल्पबुद्धीनां सर्वतः समदर्शनः।।
ब्राह्मण वर्ग का सत्ता में आना शुभ संकेत है किंतु लोकोपकार तभी सँभव होगा जब वे सर्वोच्च कोटि अर्थात समदर्शी प्रकार के वास्तविक ब्राह्मण होंगे।
रिक्शा वाले ब्राह्मण :- बनारस के अधिकाँश रिक्शा वाले ब्राह्मण हैं। दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर आपको ब्राह्मण कुली का काम करते हुए मिलेंगे।दिल्ली
में पटेलनगर के क्षेत्र में 50 % रिक्शा वाले ब्राह्मण समुदाय के हैं। आंध्र प्रदेश में 75 % रसोइये और घर की नौकरानियां ब्राह्मण हैं। इसी प्रकार देश के दुसरे भागों में भी ब्राह्मणों की ऐसी ही दुर्गति है, इसमें कोई शंका नहीं। गरीबी-रेखा से नीचे बसर करने वाले ब्राह्मणों का आंकड़ा 6% है। हजारों की संख्या में ब्राह्मण युवक अमरीका आदि पाश्चात्य देशों में जाकर बसने लगे हैं क्योंकि उन्हें वहां साफटवेयर इंजीनियर, वैज्ञानिक या डाक्टर का काम मिल जाता है। सदियों से जिस समुदाय के सदस्य अपनी कुशाग्र बुद्धि के कारण समाज के शिक्षक और शोधकर्ता रहे हैं, उनके लिए आज ये सब कर पाना कोई बड़ी बात नहीं। फिर भारत सरकार को उनके सामर्थ्य की आवश्यकता क्यों नहीं है ? क्यों भारत में तीव्र मति की अपेक्षा मंद मति को प्राथमिकता दी जा रही है? और ऐसे में देश का विकास होगा तो कैसे ? भारत के लोगों को गम्भीरता से इस पर विचार चिंतन व मनन करना चाहिए।
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