जन्म दिवस के अवसर पर सत्याग्रही पंडित अश्विनी कुमार मिश्र को शत शत नमन
सबसे वड़ा सत्याग्रह :- यमुना निधि के संयोजक पंडित अश्विनी
कुमार मिश्र के संयोजन में श्रीगुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास सेवा समिति ने जन
जागरुकता, स्वयंसेवियों तथा स्थानीय प्रशासन के सहयोग से आगरा के एक दर्जन घाटों के
स्वच्छता के लिए प्रयास शुरु कर रखा है। पंडितजी वाटर कीपर अलायन्स के मिड लोअर यमुना
वाटर कीपर भी है। जल पुरुष श्री राजेंद्र सिंह की संस्था जल बिरादरी सहित पी .वी .राज
गोपाल जी की संस्था एकता परिषद् के जिला संयोजक
भी हैं। यमुना की रक्षा को सबसे पहले मशाल आगरा में जली थी। आगरा में यमुना की दुर्दशा
से आन्दोलित हुए पंडितजी के साहचर्य में यमुना सत्याग्रह (क्रमिक अनशन) का शुभारम्भ
दिनांक 13-06-2008 दिन शुक्रवार को हाथीघाट पार्क पर जनमानस के योगदान से अनवरत जारी
है। इसके लिए जन प्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग प्राप्त करने की कोशिस
किया गया। तब से वे लगातार यमुना जी के विभिन्न मुद्दों पर जनजागरण, सूचना का अधिकार,
पद यात्रा, विभिन्न सभाएं, यमुना किनारे के गाँवों में जन संपर्क अभियान के माध्यम
से संघर्ष छेड़े हुए हैं।
13 जून 2008 से वे लगातार यमुना जी
के लिए आगरा के हाथीघाट पर सत्याग्रह कर रहे हैं। उन्होंने जनदबाव बनाने के लिए हस्ताक्षर
अभियान भी चलाया करीब 35 हजार दस्तखत कराकर लोगों के बीच यमुना की समस्या पर अपने विचार
रखे। उन्होंने प्रधानमंत्री, भारत सरकार, पर्यावरण वन मंत्रालय शहरी विकास मंत्रालय
सहित मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश को भी समय-समय पर पत्र भेजकर तथा आगरा स्थानीय प्रशासन
को भी समय-समय पर पत्र भेजकर यमुना में प्रदूषण को रोकने के लिए रिवर पुलिस की स्थापना
की मांग की 2010 में आगरा में रिवर पुलिस की स्थापना की भी गई। शुरू में तो इसकी पूरी
यूनिट बनाई गई जिसमें एक दरोगा, एक सब इंस्पेक्टर तथा 6 पुलिसकर्मी सहित छाता के सीओ
को प्रभारी इंचार्ज बनाया गया। रिवर पुलिस ने लगातार यमुना में कूड़ा-कचरा डालने वालों
को चालान भी किया और रोका भी लेकिन धीरे-धीरे रिवर पुलिस यूनिट में शामिल पुलिस वालों
की ट्रांसफर और रिटायरमेंट की वजह से उनकी संख्या काफी घट गई। जिसके वजह से रिवर पुलिस
पिकेट लगभग निष्क्रिय हो चुकी है।
बलकेश्वरघाट का पुनरुद्धार :- उन्होने एतिहासक बलकेश्वरघाट का पुनरुद्धार करके
एक आदर्शघाट के रुप में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उनकी संस्था लगभग दो-तीन
दशकों से यमुना शुद्धीकरण तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रार्थी के प्रयास एवं जन सहयोग
से आगरा शहर , उत्तर प्रदेश तथा भारत वर्ष में प्रसासशील है। उनकी जन चेतना और आगरा
विकास प्रधिकरण के प्रयास से आगरा शहर के यमुना तट स्थित बल्केश्वर घाट का सौम्य पुनरुद्धार
एक उल्लेखनीय उपलब्धि रही है। आगरा के अन्य दस घाटों के उद्धार तथा पुनः प्रयोग में
लिये जाने के लिए भी प्रयासरत है। जहां एक ओर इस कार्य के सम्पन्न होने पर भारत की
स्वच्छता, भारत की हरीतिमा का पुनः दर्शन सुगम हो सकेगा वहीं आगरा शहर एक हेरिटेज सिटी
की ओर भी बढ़ने में भी कुछ कदम चल सकेगा। इससे इस शहर और प्रदेश के आय के श्रोत बढ़ेगें
तथा यहां रोजगार के नये- नये सम्मानजनक अवसर भी उपलब्ध हो सकेंगे। यह आगरा शहर, उत्तर
प्रदेश तथा भारत के लिए बड़े गर्व की बात बन सकती है।
हाथीघाट का पुनरुद्धार :- हाथीघाट पर कभी मुगल शासक हाथी लड़वाकर मनोरंजन तथा
मल्लयुद्ध का आनन्द लेते थे। यह जल परिवहन का एक प्रमुख बन्दरगाह भी होता था। यमुना
में पर्याप्त जल रहने तथा जलचरों के होने से जल का प्राकृतिक रुप से शोधन व निर्मलीकरण
होता रहा है। आज यमुना अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। इसके निर्मलीकरण के लिए इसमें
प्र्याप्त जल की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। शहर की आवश्यकता को देखते हुए आगरा
किला और एत्मादौला के बीच तथा आगरा शहर में मध्य में स्थित ऐतिहासिक हाथीघाट की स्थति
बहुत महत्वपूर्ण है। इस घाट के पुनरुद्धार के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किया जाना चाहिए।
यहां समय समय पर सांस्कृतिक तथा पारम्परिक कार्यक्रम के साथ ही साथ नियमित रुप से साप्ताहिक
यमुना आरती शाम दिन ढलने पर की जा रही है। जिसमें भारी संख्या में शहर के गण्यमान यमुनाप्रेमी
श्रद्धालुजन सहभागिता निभाते हैं। हाथीघाट के पार्क के सौन्दर्यीकरण,पूजनोपरान्त सामग्री
वस्त्र माला मूर्ति का पारम्परिक एवं वैज्ञानिक विधि से विसर्जन करने, शहर से निकलनेवाले
नालों की गन्दगी को यमुना में रोके जाने के लिए भी उनकी संस्था विगत दशकों से प्रयासशील
है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश तथा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के प्रयास
से ताज कोरिडोर के सौन्दर्यीकरण की एक अति महत्वपूर्ण योजना अपने प्रगतिपथ पर सफलतापूर्वक
चल रही है। यदि हाथीघाट को विकसित करके कोरिडोर से सम्बद्ध कर दिया जाएगा तो यह पर्यटक
तथा शहर के गरिमा के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि बन सकती है। इसके लिए शहर से निकलनेवाले
नाले को रोककर यमुना के सामानन्तर एक एसे ढ़क्कनदार नाले को विकसति किया जाना चाहिए,
जो शहर के गन्दे पानी को शोधनकर उद्यान के प्रयोग मे लाया जा सके। इसलिए यमुना के सर्वांगीण
विकास की योजना , नौकायन , तैराकी दक्षता ,यमुना के दोनों तटों पर पौदलपथ का संचालन
किया जाना चाहिए। एक आधुनिक रोपवे के माध्यम से आगरा किला ताजमहल व अन्य ऐतिहासिक घरोहरों
को दिखाये जाने के लिए भी आवश्यकता है। दिल्ली और जयपुर की अपेक्षा आगरा में प्रर्याप्त
प्राकृतिक संसाधन होते हुए हम पर्यटकों को सही रुप में आकर्षित तथा रात्रि निवास के
लिए रोक नहीं पा रहे हैं।
राज और समाज के परस्पर सहयोग की आवश्यकता :- समिति
अपने सीमित संसाधनो से उक्त महान कार्य
को सम्पन्न करने में वह गुणवत्ता नहीं ला सकती है जो आगरा की महत्ता व जरुरत के हिसाब
से चाहिए। इसके लिए आगरा नगर निगम, आगरा विकास प्रधिकरण उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग,
उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग तथा भारत सरकार के पर्यटन
विभाग, भारत सरकार के संस्कृति विभाग, भारत सरकार के नदी जल संसाधन गंगा सफाई अभियान
विभाग, भारत सरकार के कृषि पर्यावरण व बन विभाग महत्वपूर्ण तथा स्तरीय भूमिका निभा सकते हंै। चूंकि ताज कोरिडोर
का कार्य भारत सरकार द्वारा हाथीघाट के पास चल रहा है। इसलिए हाथी घाट का विकास भी
उसी तर्ज पर कर उस योजना का विस्तार कर उसमें इसे अंगीकृत किया जा सकता है। उस स्तर
के पहुचने के पहले इस स्थल पर बहुत सारी बुनियादी काम किया जाना है। यदि स्थानीय स्तर
से साफ सफाई तथा स्तरीय विकास हो सकेगा तभी इस स्थल का राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय
महत्व दिखने में आ सकेगी और यह किसी बड़े प्रोजक्ट का हिस्सा बन सकेगा।
No comments:
Post a Comment