प्रथम जन्मशती समारोह के अवसर पर
पूर्वांचल उत्तर प्रदेश के जनप्रिय नेता माधव प्रसाद त्रिपाठी
डा.
राधेश्याम द्विवेदी
पं. माधव प्रसाद त्रिपाठी का जन्म 12 सितम्बर 1917 को पूर्व बस्ती
( वर्तमान सिद्धार्थनगर) जिले के बांसी शहर के निकट तिवारीपुर नामक गांव में हुआ था।
उनके पिता का नाम पं. सुरेश्वर प्र्रसाद त्रिपाठी था, जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी
थे। माधो बाबू भारतीय जनसंध महत्वपूर्ण नेता थे। उन्होंने पार्टी को खड़ा करने में बहुत
महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। वह दार्शनिक, समाजशास्त्री, इतिहासकार तथा राजनीतिक विचारक
थे। वह भारतीय जनता पार्टी के आजीवन अध्यक्ष रहे। जब वह बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय
के 1937 में विद्यार्थी थे तो राष्ट्रीय सेवक संघ के सम्पर्क में आये। वह संघ के संस्थापक
के. बी. हेडगवार से मिले तो उन्हे एक शाखा का बौद्धिक विमर्श के लिए काम दे दिया गया।
1942 से वह पूर्णकालिक संघ के समर्पित हो गये। उन्होने नागपुर में 40 दिन का ग्रीष्म शिविर में भाग लिया था। यही पर उन्हें संघ
के प्रशिक्षण की शिक्षा मिली थी। संघ के शैक्षिक शाखा के द्वितीय साल के प्रशिक्षण
के पूरा करने के उपरान्त उन्हे आजीवन प्रचारक बना दिया गया। उन्हें लखीमपुर जिले का
कार्य भार दिया गया था। 1955 से उन्हें उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रान्त प्रचारक की
जिम्मेदारी दी गयी। वह संघ के एक आदर्श स्वयंसेवक रहे। उन्होंने संघ के विचारों को
अपने जीवन में अक्षरशः आत्मसात कर लिया था।
1951 में श्यामा प्रसाद मुकर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना किया
था। पं. दीन दयाल को संघ परिवार की ओर से द्वितीय संस्थापक के रुप में जिम्मदारी दी
गयी थी। माधो बाबू 1958-62 के मध्य उत्तर प्रदेश के विधान परिषद के सदस्य थे। वह
1962-66 तथा 1969-77 के मध्य भारतीय जनसंघ की तरफ से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य
थे। वह उत्तर प्रदेश विधान सभा के विपक्ष के नेता तथा उत्तर प्रदेश के कैविनेट मंत्री
थी रहे। वह डुमरियागंज लोक सभा क्षेत्र के 1977 के सदस्य चुने गये थे। वह पूर्वाचल
उत्तर प्रदेश के अनेक वरिष्ठ सदस्य मा. राजनाथ सिंह, कलराज मिश्र, डा. महेन्द्रनाथ
पाण्डेय, स्व. हरीश श्रीवास्तव के साथ काम किये थे। वह पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल
विहारी वाजपेयी के बहुत करीबी तथा विश्वासपात्र रहे। यद्यपि माधो बाबू भाजपा के नेता
थे परन्तु अन्य राजनीतिक दलो के नेता जैसे चैधरी चरणसिंह तथा मुलायम सिंह आदि भी उनको
बहुत सम्मान देते थे। एक बार माधो बाबू विधान सभा चुनाव हार गये थे तो चैधरी चरण सिहं
ने अपने पाटी के विधायको से कहकर उन्हे विधान परिषदकी सदस्यता दिलवायी थी।
1980 के दशक माधो बाबू का चरमोत्कर्ष का समय था। उन्हे लोग जन नेता
के रुप में मानते थे। विपक्ष के नेता के रुप में उनके सलाह का पूर्ण सम्मान दिया जाता
था। अपने राजनीतिक जीवन के दौरान वह वह उ.
प्र. हाउसिंग डेवलपमेंट कांउंसिल के अध्यक्ष तथा डेलीमिटेशन कमीशन के सदस्य आदि भी
रहे। पं. दीन दयाल उपाध्याय की तरह उनका भी विवास्पद मृत्यु मुगलसराय में रेल यात्रा
के दौरान 19 अगस्त 1884 में हुआ था। उनके पौत्र सिद्धार्थ त्रिपाठी अपने दादा जी के
पथ का अनुसरण करते हुए पार्टी की सेवा में सक्रियता से योगदान कर रहे है। इसे संयोग ही कहेंगे कि भाजपा की स्थापना के 36 वर्षों में 23 वर्ष ब्राह्मïण नेता ही पार्टी की प्रदेश इकाई की कमान संभाले रहे। 1980 में माधव प्रसाद त्रिपाठी पहले प्रदेश अध्यक्ष बने थे। वह चार वर्ष इस पद पर रहे। 1991 में कलराज मिश्र को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी तो वे तीन बार में सात साल से अधिक प्रदेश अध्यक्ष रहे। केशरीनाथ त्रिपाठी व रमापति राम त्रिपाठी तीन-तीन साल और डॉ.लक्ष्मीकांत वाजपेयी चार साल अध्यक्ष रहे। सूर्यप्रताप शाही भी दो साल के लिए प्रदेश अध्यक्ष बने थे। तीसरे अध्यक्ष बने राजेंद्र गुप्ता 1989 से 1991 तक दो वर्ष यह पद संभाले रहे। 1997 में प्रदेश अध्यक्ष बने राजनाथ सिंह ने ढाई साल तक यह जिम्मेदारी संभाली।
12 सितम्बर 2017 को स्व. माधव प्रसाद त्रिपाठी जन्म शताब्दी समारोह
का आयोन किया जा रहा है। बस्ती रोडवेज चैराहा के पास गिरीराज मैरेज होम में 12 सितम्बर
2017 की शाम 4.30 बजे एक भव्य आयोजन किया जा रहा है जिसके मुख्य वक्ता भाजपा के संगठन
मंत्री मा. सुनील बंसल होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भाजपा गोरक्ष प्रान्त के क्षेत्रीय
अध्यक्ष मा. उपेन्द्र दत्त शुक्ल करेंगे। विशिष्ट वक्ताओं में उ. प्र. भाजपा के पूर्व
अध्यक्ष मा.रमापति त्रिपाठी, भाजपा गोरक्ष प्रान्त के प्रान्तीय संगठन मंत्री मा. शिवकुमार
पाठक, बस्ती लोकसभा के सांसद मा. हरीश द्विवेदी, डुमरियागज लोक सभा के सांसद मा. जगदम्बिका
पाल तथा पूर्व राष्ट्रीय महा मंत्री मा. विनोद चन्द पाण्डेय के नाम दिये गये हैं।
No comments:
Post a Comment