आगरा में हाथियों की लड़ाई की एतिहासिक घटना
:- एन्नी मेरी शिम्मेल की पुस्तक “दॅ ऐंपायर
ऑव
ग्रेट
मुगल्स” में एक
रोचक किस्सा मिलता है। इसी घटना के बारे में
सर यदुनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक
“ हिस्ट्री
आफ
औरंगजेब”
के प्रथम खण्ड के पृ. 9-11 पर
रोचक विवरण प्रस्तुत किया है। हाथियों
का युद्ध शाहजहां का बहुत प्रिय
खेल था। वह प्रातःकाल से
इसे देखने के लिए बहुत
लालायित रहता था। हाथी पहले यमुना तट पर बड़ी
तेज गति से दौड़ लगाते
फिर अपनी करतब दिखाते थे। इसके बाद लड़ते लड़ते वे अपनी सूड़
को आपस में फंसाकर आगरा के किले को
सलामी भी करते थे।
28 मई 1633 को आगरा किले
के परिखा के नीचे यमुना
तट हाथी युद्ध का आयोजन किया
गया था। कहा यह भी जाता
है कि औरंगजेब के
भाई दारा ने उसे मरवाने
के लिए एक शराबी हाथी
से भिड़वा दिया था दारा शिकोह की शादी के बाद शाहजहाँ ने दो हाथियों सुधाकर और सूरत सुंदर के बीच एक मुकाबला करवाया। ये मुगलों के मनोरंजन का पसंदीदा साधन हुआ करता था. अचानक सुधाकर घोड़े पर सवार औरंगज़ेब की तरफ़ अत्यंत क्रोध में दौड़ा. औरंगज़ेब ने सुधाकर के माथे पर भाले से वार किया जिससे वो और क्रोधित हो गया.उसने घोड़े को इतनी ज़ोर से धक्का दिया कि औरंगज़ेब ज़मीन पर आ गिरे. प्रत्यक्षदर्शियों जिसमें उनके भाई शुजा और राजा जय सिंह शामिल थे, ने औरंगज़ेब को बचाने की कोशिश की लेकिन अंतत: दूसरे हाथी श्याम सुंदर ने सुधाकर का ध्यान बंटाया और उसे मुकाबले में दोबारा खीच लिया. इस घटना का ज़िक्र शाहजहाँ के दरबार के कवि अबू तालिब ख़ाँ ने अपनी कविताओं में किया है.इतिहासकार अक़िल ख़ाँ रज़ी अपनी किताब वकीयत-ए-आलमगीरी में लिखते हैं कि इस पूरे मुकाबले के दौरान दारा शिकोह पीछे खड़े रहे और उन्होंने औरंगज़ेब को बचाने की कोई कोशिश नहीं की. शाहजहाँ के दरबारी इतिहासकारों ने भी इस घटना को नोट किया और इसकी तुलना 1610 में हुई घटना से की जब शाहजहाँ ने अपने पिता जहाँगीर के सामने एक ख़ूंखार शेर को काबू में किया था।
सुधाकर और सूरत-सुंदर हाथियों की लड़ाई :- शाहजहां ने यमुना के
तट पर सुधाकर और
सूरत-सुंदर नामके दो हाथियों की
लड़ाई का आयोजन कर
रखा था। उसके तीनों पुत्र अलग-अलग घोड़ों पर दूर खड़े
थे। लेकिन औरंगजेब उत्कंठा में हाथी के बहुत निकट
पहुंच गया था। सूरत-सुंदर हाथी सुधाकर के आक्रमण से
भाग खड़ा हुआ तो सुधाकर ने
पास ही खड़े औरंगजेब
पर हमला बोल दिया। वह शक्तिशाली युद्ध
हाथी मुगल शाही पडाव से भगदड़ मचाते
हुए उनके पास आ गया। वहां
उपस्थित भीड़ में भगदड़ मच गयी थी
लोग एक दूसरे के
ऊपर गिर रहे थे। हाथी ने औरंगजेब को
अपने पांवों तले रौंद ही देने वाला
था। इस बहादुर बालक
ने बजाय रोने-चीखने के, एक सिपाही का
भाला लेकर हाथी के शिर की
तरफ फेंका और खुद को
कुचलने से बचाया। भाले
की मदद से वह उस
पर काबू करने की कोशिस की
पर उसे उस समय सफलता
नहीं मिल पायी। शाही सौनिक व कारिन्दे हाथी
को शूट करने के तथा राजकुमार
की सहायता के लिए के
लिए भी दौड़े भी
परन्तु कुछ कर ना सके।
हाथी ने दांतों से
उस पर हमला कर
दिया और उसे घोड़े
से बुरी तरह जमीन पर गिरा दिया
था। औरंगजेब ने फुर्ती से
घोड़े से कूदकर तलवार
उठाई और हाथी पर
टूट पड़ा। वह काफी ताकत
से उससे लड़ता रहा। इसी बीच बड़ा भाई शुजा भीड़ को चीरते हुए
उसके समीप आ गया ।
उसने अपने भाले से हाथी पर
आक्रमण कर उसे घायल
करने की कोशिस करने
लगा। उसका घोड़ा ठिठक गया और शुजा को
नीचे गिरा दिया। उसी समय राजा जयसिंह उनकी सहायता के लिए आ
गये। उन्होने दायें तरफ से हाथी पर
आक्रमण कर दिया। शाहजहां
ने अपने निजी रक्षकों को चिल्लाकर बुलाया
और उस स्थल पर
दौड़कर पहुंचने को कहा।
इसी समय राजकुमारों की सहायता के
लिए एक अदृश्य मोड़
आया कि दूसरा सूरत
सुन्दर हाथी सुधाकर से लड़ने के
लिए आ गया। सुधाकर
के पास लड़ने की अब ताकत
नहीं बची थी। उस को भाले
से बेध दिया गया। वह अपने प्रतिद्वन्दी
के साथ वहीं पर गिर गया।
इस प्रकार इस युद्ध में
हाथी को काबू किया
गया। महज चैदह साल की उम्र की
एक घटना ने ही औरंगजेब
की ख्याति पूरे हिंदुस्तान में फैला दी थी। औरंगजेब
मौत के मुह से
निकलकर बाहर आ गया था।
शाहजहां ने औरंगजेब को
अपने सीने से लगाया उसकी
इस बहादुरी पर उसके पिता
ने उसको बहादुर का खिताब प्रदान
किया, उसे सोने से तोला। इसके
साथ ही उसको 2 लाख
रूपये का उपहार भी
दिया गया। इस बहादुरी पर
औरंगजेब ने भी बहादुरी
में इस प्रकार जवाब
दिया था - युद्ध में यदि मैं मारा भी जाता तो
यह लज्जा की बात होती।
मौत ही तो बादशाहों
पर पर्दा डालती है।
हाथीघाट का इतिहास
:- भारतीय
उपमहाद्वीप में मुगलों का योगदान भुलाया
नहीं जा सकता है।
भारत पाकिस्तान बांग्लादेश तथा उपमहाद्वीप के अन्य कई
स्थानो पर इनके बनवाये
अनेक स्मारक आज महत्वपूर्ण एतिहासिक
धरोहरों के रुप में
जाने जाते हैं। इन्हे राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय की मान्यता प्राप्त
है। मुगलकाल में भारतीय तथा ईरानी कला का अद्भुत समन्वय
देखने को मिलता है।
जिसका प्रभाव हिन्दू तथा मुस्लिम परम्पराओं संस्कृति और शौलियो पर
देखा जा सकता है।
स्वयं मुगल शासक इस कला के
संरक्षक रहे तथा भारतीय कलाकारों ने खुले हाथों
से इसे पुष्पित पल्लवित तथा विकसित किया है। आगरा किला और एत्माद्दौला के
मध्य तथा आगरा किला और ताजमहल के
बीच कभी हाथीघाट हुआ करता था। शाही जमाने में तो यहां बहुत
चहल पहल होती रहती थी। हाथीघाट पर कभी मुगल
शासक हाथी लड़वाकर मनोरंजन तथा मल्लयुद्ध का आनन्द लेते
थे। यह जल परिवहन
का एक प्रमुख बन्दरगाह
भी होता था। हाथीघाट पर एक पुराना
जनाना घाट अब भी अस्तित्व
में है। यद्यपि इस पर पहुचना
आसान नहीं है। इसे
गुरुद्वारे ने अवैध कब्जा
बनाकर रखा है। केवल सरकारी प्रतिनिधि ही इसका अवलोन
करने में सक्षम हो सकते हैं।
उस प्राचीन प्रतीक को संरक्षित करते
हुए यह घाट भारतीय
पुरातत्व सर्वेक्षण को संरक्षित करने
में तथा अवैध अतिक्रमण हटवाने में कोई दिक्कत नहीं आ सकती है।
आगरा के 71 वर्षीय बलबीर
शरण गोयल मो. नं. 98370 20624 ने 5 वर्ष पूर्व एक वेवसाइट पर लिखा है कि उनके दादाजी
सेंठ शंकर लाल साहूकार ने 1880 ई. में हाथी घाट का निर्माण कराया था। पूरा परिसर व्रिटिस
सामा्रज्य से प्राप्त किया गया था। भारत के बंटवारे के बाद बिना उनके दादाजी की किसी
प्रकार के अनुमति के कुछ सिक्खों ने 1948 में एक गुरुद्वारा का निर्माण करा लिया था।
सिविल वाद संख्या 6/1960 एवं माननीय हाईकोर्ट की अपील सं. 4018/1962 में इस विवद का
रिकार्ड है। बाद में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को श्री गोयल परिवार के
पक्ष में ही निर्णय सुनाया है।आज यमुना
अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा
रही है। इसके निर्मलीकरण के लिए इसमें
पर्याप्त जल की व्यवस्था
सुनिश्चित करनी होगी। इस घाट के
पुनरुद्धार के लिए बड़े
स्तर पर प्रयास किया
जाना चाहिए। यहां समय समय पर सांस्कृतिक तथा
पारम्परिक कार्यक्रम के साथ ही
साथ नियमित रुप से साप्ताहिक यमुना
आरती शाम दिन ढलने पर की जा
रही है। जिसमें भारी संख्या में शहर के गण्यमान यमुनाप्रेमी
श्रद्धालुजन सहभागिता निभाते हैं। घाट के पार्क केसौन्दर्यीकरण,
पूजनोपरान्त सामग्री वस्त्र माला मूर्ति का पारम्परिक एवं
वैज्ञानिक विधि से विसर्जन करने,
शहर से निकलनेवाले नालों
की गन्दगी को यमुना में
रोके जाने के लिए भी
ये संस्थायें विगत दशकों से प्रयासशील है।
जब यमुना में पर्याप्त पानी रहता था तो यहां
श्रद्धालुओं की पूरी भीड़
हुआ करती थी। सुवह शाम यहां भरी संख्या में लोग सौर करने आते रहे हैं। पानी हटते ही ये घाट
निर्जन होते गये यहां झाड़ियां उग गईं इनका
सहारा लेकर यहां असामाजिक तत्व सक्रिय हो गये और
यह उनका असामाजिक कार्यो का पूरक स्थल
बन गया था। शहर में बाहर से आने जाने
वाले लोग इसे शौच स्थल के रूप में
अपनाने लगे थे। आये दिनों यहां रहस्यमय कत्लों व शवों का
निस्तारण केन्द्र भी बन गया
था। लोग यहां आने से कतराने लगे
थे।
यमुना निधि तथा श्री गुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास सेवा समिति के प्रयासों से
इस घाट पर घार्मिक तथा
सांस्कृतिक अनुष्ठान फिर होन शुरु हो गये। यमुना
के घाटों के पुनरुद्धार तथा
सौन्दर्यीकरण के लिए यहां
कई वर्षों तक सत्ययाग्रह भी
किया गया था। यहां एक सुन्दर पार्क
भी बना हुआ है। इस क्षेत्र में
कोई अन्य पार्क ना होने के
कारण यह बहुत ही
आकर्षक केन्द्र के रुप में
विकसति किया जा सकता है
तथा यहां चहल पहल होने से असामाजिक तत्वों
के यहां फटकने की गुंजाइश नहीं
रहेगी। आगरा किला के पास तथा
शहर के मध्य होन
के कारण यहां धूमधाम से देवी तथा
गणपति विसर्जन किया जाता है। शहर तथा बाहर के पर्यटक भी
भारी संख्या में यहां उपस्थित होते है। हिन्दू धर्म के किसी भी
पर्व जो नदी तट
पर होती है, वे सभी यहां
सम्पन्न की जाती हैं।
सारा माहौल भक्तिमय तथा उल्लास से परिपूर्ण हो
जाता है। छठ पूजा के
समय यहां बहुत ही रौनक होती
है। माननीय सर्र्वाच्च न्यायालय के आदेश तथा
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय
के प्रयास से ताज कोरिडोर
के सौन्दर्यीकरण की एक अति
महत्वपूर्ण योजना अपने प्रगतिपथ पर सफलतापूर्वक चल
रही है। यदि हाथीघाट को विकसित करके
कोरिडोर से सम्बद्ध कर
दिया जाएगा तो यह पर्यटक
तथा शहर के गरिमा के
लिए एक बहुत बड़ी
उपलब्धि बन सकती है।
ताज कॉरिडोर तब्दील पशु कब्रगाह और कूड़ाघर में :-
आगरा में यमुना नदी के किनारे स्थित दो विश्व धरोहर स्मारकों ताजमहल और आगरा किले के बीच पड़ी बेकार जमीन को ‘ताज कॉरिडोर’ नाम देकर इसे विकसित किया जाना था, मगर यह अनधिकृत पशु कब्रगाह और कूड़ाघर में तब्दील हो चुकी है।13 सालों में यह जगह कूड़ा और मलबा डालने में उपयोग की जा रही थी। झाड़ियां
और बबूल उगने के अलावा बड़ी तादात में यहां पत्थर और बोल्डर पड़े हुए थे। विदेशी पर्यटक इस गलियारे से मृत ऊंटों, गधों और कुत्तों के सड़े शवों और हड्डियों के ढेरों की बहुत सी तस्वीरें खींच अपने देश ले गए हैं। वे दो प्रसिद्ध स्मारकों के बीच इस भद्दे स्थान की तस्वीरें अपने प्रियजनों को दिखाएंगे। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2006 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को इस भूमि को हरा-भरा करने का निर्देश दिया था, इसके बावजूद उत्तर प्रदेश वन विभाग ने न तो गलियारे का मलबा हटाया और न ही इसे हरा-भरा किया। राष्ट्रीय परियोजना कार्पोरेशन लिमिटेड के
मुताबिक, ताज गलियारा 175 करोड़ रुपये की परियोजना थी, जिसके तहत यहां किनारों पर एक मनोरंजन पार्क, मॉल और व्यावसायिक दुकानें और पर्यटकों के लिए रास्ते बनाए जाने थे। इसे साफ करके यहां विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियां की जा सकती हैं। यहां रात का बाजार लगाया जा सकता है।
कारीडोर पर मुगल गार्डन ,सफाई का काम शुरू:-ताज हेरिटेज कारीडोर स्थल को संरक्षित स्मारक मुगल
गार्डन में तब्दील करने और हरियाली विकसित करने के लिए एएसआई ने काम शुरू करा दिया
है । एएसआई ने जून में ही 1.10 करोड़ रुपये का कारीडोर की सफाई और
मलबा हटाने का टेंडर जारी किया था, लेकिन चिन्हांकन का काम अटकने से सफाई शुरू नहीं
हो सकी थी। वन विभाग, उद्यान विभाग और आगरा प्रशासन के साथ एएसआई
को सौंपी जाने वाली 20 हेक्टेयर जमीन का चिन्हांकन होने के बाद मलबा हटाने का काम शुरू
किया गया है। पूरे क्षेत्र को समतल कर यहां हरियाली
विकसित करने का प्लान है। फिलहाल उजाड़ पड़े हेरिटेज कॉरिडोर की सफाई और समतलीकरण करने
के बाद यहां खूबसूरत गार्डन बनाया जायगा।
यमुना की तलहटी पत्थरों से पटी थी :- आगरा
के किले से ताजमहल तक यमुना की तलहटी के पूरे इलाके में 13 साल पहले इसी तरह बुलडोजरों
और जेसीबी मशीनों की गड़गड़ाहट की गूंज ने यूपी की मायावती सरकार की चूलें हिला कर
रख दी थीं। योजना थी कि इस पूरे इलाके को 'ताज हेरिटेज कॉरिडोर' का नाम देकर यहां बड़े-बड़े
बिजनेस कॉम्प्लेक्स डिवलप कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाय। लगभग छह महीने तक यहां बड़े-बडे बुलडोजर और जेसीबी मशीनों से यमुना
की तलहटी को पत्थरों से पाट दिया गया। जब मीडिया की नजर में यह मामला आया तो मालुम
हुआ कि बिना एएसआई और सुप्रीम कोर्ट को विश्वास में लिए राज्य सरकार ने गुपचुप योजना
तैयार कर काम शुरू करा दिया था। इस मामले को लेकर जमकर बवाल हुआ। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट
ने 2003 में ताज हेरिटेज कॉरिडोर योजना पर रोक लगा दी थी।
एएसआई
ने सफाई का काम शुरू कराया:- रोक लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 में यहां हरियाली विकसित करने
के आदेश दिए थे लेकिन उस आदेश के दस साल बाद जब यह सम्पत्ति विभाग की मिल्कियत बनी
तब अब जाकर एएसआई ने 20 हेक्टेयर जमीन की सफाई का काम शुरू कराया है। वर्ष 2003 में
ताज हेरिटेज कारीडोर योजना पर रोक लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 में यहां
हरियाली विकसित करने के आदेश दिए थे। इसके भी 10 साल बाद अब जाकर
एएसआई ने यहां की सफाई और समतलीकरण का काम शुरू किया है।आगरा में मुगलकालीन महत्व के 26 उद्यानों का जीर्णोद्धार किया जाना है। इन चिह्नित उद्यानों के
लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी। आस्ट्रिया की एक लेखिका ने यहां के उद्यानों पर शोध किया
है। इसमें इनके जीर्णोद्धार पर कार्य किया जा रहा है।
मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा यमुनानदी व ताज कोरीडोर का निरीक्षण
:- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
योगी आदित्यनाथ ने 07 मई 2017 को ताज कॉरिडोर का निरीक्षण किया। इस निरिक्षण की बड़ी बात यह रही कि तेज धूप और रास्ते के काटें भी उन्हें निरीक्षण करने से रोक न सके। उन्होंने इन दिक्कतों को दरकिनार कर अपने लश्कर के साथ कॉरिडोर का मुआयना किया। यमुना सत्याग्रही पं. अश्विनीकुमार
मिश्र के निर्देशन तथा गुरू वशिष्ठ मानव सेवा समिति के बैनर तले मुख्यमंत्री आदरणीय
योगी आदित्यनाथ जी के आगरा नगर के प्रथम आगमन के अवसर पर उनका नागरिक अभिनंदन करने
तथा यहां के नदी व पर्यावरण से अवगत कराने की योजना थी। माननीय मुख्यमंत्री जी को व्यक्तिगत
रुप से इस कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए फैक्स तथा ईमेल किया जा चुका था। अपने व्यस्त
कार्यक्रम में योगी जी हाथी घाट तो नहीं आ सके किन्तु यमुना शुद्धीकरण तथा निर्मल प्रवाह
कार्यक्रम को भी उन्होने अपने कार्यक्रम में रखा था। इस अवसर पर जिला प्रशासन तथा भारतीय
पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी निरीक्षण स्थल पर मौजूद रहे।माननीय मुख्यमंत्री
जी द्वारा समय ना निकाल सकने के बावजूद गुरू वशिष्ठ मानव सेवा समिति के यमुना तथा पर्यावरण
प्रमियों ने मुख्यमंत्री द्वारा यमुना नदी के निरीक्षण पर प्रसन्नता व्यक्त की तथा
उनके लम्बे जीवन की कामना व्यक्त की। साथ ही माननीय योगी जी के चित्र के सामने समिति
के सदस्य अपनी वेदना तथा संकल्पना व्यक्त की। जिस प्रकार से गुरु द्रोणाचार्य की प्रतिमा
का आश्रय लेकर एकलब्य ने धनुर्विद्या सीखी थी। ठीक उसी प्रकार से यमुना पे्रमी अपने
प्रदेश के मुखिया व संरक्षक माननीय मुख्यमंत्री जी के चित्र के समक्ष यमुना को शुद्ध
करने का संकल्प लिया गया। यह समिति विगत दो दशकों से यमुना शुद्धीकरण तथा निर्मल प्रवाह
के लिए समर्पित है। बलकेश्वर घाट का जीर्णोद्धार भी पहले कराया जा चुका है। आगरा की
सत्तर प्रतिशत जनता मां यमुना की इस वेदना के प्रति संवेदनशील है। समिति पा्रकृतिक
जल स्वच्छता, हरियाली, विसर्जन, मां यमुना की अविरलता, निर्मलता, शुद्धता के साथ प्राचीन
जलश्रोतों, सहायक नदियों, तालाब, झील, कुंआ, बरसाती नाले आदि को पुनः जीवित करने के
लिए प्रयासरत है। समिति नदी क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त तथा हरियाली हेतु सघन वृथारोपण
की हिमायती है। साथ ही यह यमुना तट के सभी घाटों व पार्को के सौन्दर्यीकरण के लिए भी
प्रयासरत है।
योगी प्रशासन से काफी उम्मीदें :- माननीय मुख्यमंत्री
जी के निर्देशन में प्रदेश का विगत दशको से सुसुप्त प्रशासन में नयी जान आ गयी है।
इसी प्रत्याशा में आगरा वासी माननीय मुख्यमंत्री जी से वहुत आशा लगाकर बैठे हैं। मां
यमुना पर एसिड प्रहार, मलमूत्र,सीवर तथा नालों का बहाव सीधा प्रवाहित कर तथा सभी प्रकार
के कूड़े करकट डालकर मां यमुना के अस्तित्व के लिए संकट उत्पन्न हो गया है। इससे ना
केवल जन मानस जीव जन्तु बल्कि ताज महल जैसे एतिहासिक स्मारक भी बुरी तरह से कीड़ों के
प्रभाव में आकर क्षरण की तरफ बढ़ रहे हैं। यदि यमुना में पर्याप्त स्वच्छ तथा निरन्तर
जल प्रवाहित होता रहे तो काफी हद तक समस्या से निजात मिलने की संभावना होगी। कोरीडोर
को विकसित करने की योजना एक दीर्घ समय से चल रही है।कृष्णा महाजन समिति 2006 में अपनी
रिपोर्ट में इसे उठाया था उस समय इसमें 42 करोड़ खर्च होने का अनुमान था। इसमें मंटोला
नाले को भी टेप करना था। भारत सरकार के कई केन्द्रीय संस्कृति मंत्री तथा पुरातत्व
सर्वेक्षण के अनेक उच्च स्तरीय अधिकारी इसका निरीक्षण तथा तत्संबंधित अपनी रिपोर्ट
माननीय उच्चतम न्यायालय को दे चुके हैं। माननीय उच्चतम न्यायालय में अभी 20 हेक्टेयर
का कब्जा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को दिलवाया है। अभी यहां लगभग इतना ही
20 हेक्टेयर और डिस्टर्ब एरिया है।आगरा के अनेक संभ्रान्त जनप्रतिनिधि इस पूरे भाग को विकसित करवाने का प्रयास कर रहे
हैं। कोई एजेन्सी इस काम में अपना हाथ डालना नहीं चाहती है। चूंकि आधे भाग पर भारतीय
पुरातत्व सर्वेक्षण ने काम शुरु कर दिया है। इसलिए उस पर यह दबाव डाला जा रहा है कि
शेष 20 हेक्टेयर भाग भी वही विकसित करे। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का काम एसे विकास
का नहीं है। चूंकि माननीय न्यायालय का आदेश था इसलिए प्रारम्भिक 20 हेक्टेयर भाग को
विकसित किया जा रहा है। इस नयी योजना में हाथी घाट से समसान घाट तक 1600 मीटर क्षेत्र
में हरियाली विकसित तथा लगभग इतना ही साइकिल ट्रैक बनाने की बात भी सुनी जा रही है।
इन पर छोटे आकार के पेड़ लगाये जाएगें। साइकिल ट्रैक, पाथवे ,सीढ़ियां , ओपन एयर थियेटर,
हस्त शिल्पी बाजार आदि विकसित करने की कल्पना है। शक्ति हेरिटेज कन्जरवेटर्स कम्पनी
का नाम भी समाचार पत्र में सर्वे के लिए आ रहा है। यदि माननीय उच्चतम न्यायालय की अनुमति
मिल गयी तो यह आगरा के लिए एक बहुत ही आकर्षक योजना हो सकती है। जिस प्रकार यमुना तट
के चार अन्य स्मारक खान ए दुर्रान की हवेली, आगा खां की हवेली, हाथीखाना तथा होशदारखान,
आजमखान, मुगलखान और इस्लामखान हवेलियों की जगह पर प्रस्तावित ताज हेरिटेज कारीडोर संरक्षित
हुए हैं उसी प्रकार हाथीघाट के प्राचीन एतिहासिक घाट के अवशेष को संरक्षित करते हुए
पूरे 40 हेक्टेयर भूभाग को अधिग्रहण कर विकसित किया जा सकता है।
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