सफलता
के कुछ खास रहस्य
आचार्य
राधेश्याम द्विवेदी
किसी
भी चीज को प्राप्त करने के लिए हमको उसका सही तरीका अपनाना होगा, अन्यथा वह काम ठीक
से सम्पन्न नहीं होगा। अगर हम बेवकूफीपूर्ण नैतिकता, सिद्धांत और मूल्यों की दुहाई
देते रहेंगे तो इनसे कुछ भी कार्य बनने वाला नहीं है। जीवन की ऊर्जा को पोषित करने
के तरीके के पीछे एक पूरा विज्ञान और तकनीक निर्धारित होता है। इस तकनीक को हम योग
कहते हैं। जीवन में यह तभी कुछ घटित होता है, जब हम सही तरीका अपनाते हैं, वर्ना यह
काम नहीं करता। जीवन के हर पहलू पर यह बात लागू होती है, यहां तक रिश्तों पर भी यही
चीज लागू होती है। शारीरिक मुद्राएं और क्रियाएं तो योग का एक छोटा सा हिस्सा हैं।
योग हम और आपके अस्तित्व की जड़ों को पोषित करने का विज्ञान और तकनीक है, जिससे बाकी
चीजें स्वतः खिल सकें। अगर आप हम कोई फूल खिलाना चाहते हैं, तो हमारे चाहने मात्र से
वह नहीं खिलेगा। इसके लिए उचित विधि और तरीके अपनाने होंगे, तभी वह खिल सकेगा। यही
चीज हमारे जीवन के हर पहलू में लागू होती है। अगर चीजों को सही तरह से नहीं करेंगे,
तो सफलता नहीं मिलेगी।
वसंत
ऋतु आती है और इसमें गुलाब का फूल खिल उठता है, यह रूपांतरण है। हालांकि उस पौधे में
अभी भी कांटे हैं और कांटों की तादाद भी फूलों से कहीं ज्यादा है। फिर भी हम इसे कांटों
का पौधा न कह कर गुलाब का पौधा ही कहते हैं। भले ही उसमें सिर्फ एक ही गुलाब क्यों
न खिला हो। हर व्यक्ति की निगाह उस पौधे के सैकड़ों कांटों की बजाय उस इकलौते फूल की
तरफ ही जाती है। हो सकता है कि हमारे भीतर जो भी कांटे यानी नकारात्मक चीजें हैं, उन्हें
फिलहाल हम हटा न पाएं, लेकिन अगर हम अपने भीतर एक भी फूल खिला लेते हैं, तो वही हमारी
पहचान बन जाती है और हर व्यक्ति हमारी अन्य कमियों को अनदेखा करने के लिए तैयार हो
जाता है।
हमारे
बारे में दूसरे लोग क्या सोचते हैं, इसके आधार पर खुद को दुरुस्त करने या सीधा करने
की कोई जरूरत नहीं है। जिन लोगों ने खुद को सीधा करने की कोशिश की, वे ऐसे सीधे हो
गए कि कोई उनके साथ रहना ही नहीं चाहता। क्या हमने ऐसे लोगों को देखा है जो पूरी तरह
से ठीक हों, जिनमें कोई कमी नहीं हो? क्या हम ऐसे इंसान के साथ रहना चाहेंगे? ऐसे व्यक्ति
के साथ रहना अपने आप में भयावह होगा। यहां बिलकुल ठीक या त्रुटिहीन होने की बात नहीं
है। अगर हम खुद को एक खुशमिजाज और जिंदादिल इंसान के तौर पर उभारते हैं तो फिर हमारी
सारी कमियों को भूल कर, लोग हमको स्वीकार करने के लिए तैयार रहेंगे।
अगर
हम कांटों को चुन-चुन कर निकालना चाहेंगे तो यह सिलसिला कभी खत्म नहीं होने वाला। इससे
काम नहीं बनेगा। जरुरत है हमको निखरने की, खिलने की। अगर हम किसी भी एक आयाम में खुद
को निखार लेते हैं तो हमारी दूसरी तमाम कमियों को लोग भूलने के लिए तैयार रहेंगे। हमें सिर्फ इतना ही करने की जरूरत है। अब सवाल उठता
है कि इसके लिए हमें क्या करना होगा? हम किसी फूल को पौधे से खींचकर बड़ा नहीं कर सकते।
अगर हम फूल के बारे में सोचते भी नहीं हैं, लेकिन रोज जड़ों को सींचते और संवारते हैं
तो फूल जरूर खिलेगा। अब सवाल है कि हमारी जड़ों को पोषित कैसे किया जाए? हमारे पास एक शरीर है, भावनाएं है और मन है, लेकिन
ये सारी चीजें अगर काम कर पा रही हैं तो सिर्फ इसलिए, क्योंकि हमारी जीवन ऊर्जा काम
कर रही है। हमारा दिल धडक रहा है, हमारी सांस चल रही है, सांस आ रही है, जा रही है,
जो जीवन है, वह घटित हो रहा है। यह जीवन ऊर्जा हमको हमेशा चलायमान रखती है। हमको इसी
को पोषित करने की जरूरत है। अगर हमारी जीवन ऊर्जा पूरी तरह से संतुलित और पूरी तरह
स्पंदित रहे तो हमारा शरीर, मन और भावना सबसे बेहतर हालत में होंगे।
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