10 अप्रैल 76वीं जयन्ती
के अवसर पर: डा. ‘सरस’ जी की स्मृति में (भावांजलि)
चिट्ठी ना कोई सन्देश,
कहाँ तुम चले गए
डा. राधेश्याम द्विवेदी
‘नवीन’
चिट्ठी ना कोई सन्देश
, जाने वो कौन सा
है देश, जहाँ तुम चले गए।
इस
दिल पे लगा के
ठेस, जाने वो कौन सा
है देश, जहाँ तुम चले गए।।
एक
आह भरी होगी, हमने ना सुनी होगी,
जाते जाते तूने आवाज़ तो दी होगी।
हर
वक़्त यही है ग़म, उस
वक़्त कहाँ थे हम,
क्यों सुन ना पाया संकेत, कहाँ तुम चले गए।।
चिट्ठी
ना कोई सन्देश ,जाने वो कौन सा
है देश जहाँ तुम चले गए।
इस
दिल पे लगा के
ठेस, जाने वो कौन सा
है देश, जहाँ तुम चले गए।।
तुमने
खुद तो काम किया,
पर आदमी का ना पहचान
किया ।
कर
लिया नासमझी में एतवार, जो दिये धोखा
हजार।
तेरी जान बचा ना पाया, हम
सबसे जुदा करवाया।
अपनों ने यह घात
कराया और तुम चले
गये, और तुम चले गये ।।
माना
दुनिया में घूमें हो तुम, पर
अपनों को ना चूमें
हो तुम।
अपनों
को छोड़ा, गैरों को अपनाया।इससे कोई पार ना पाया।
जिन
पर किया एतवार वही करवाये यह परिघात।
दे
गये टीस कठोर और तुम चले गये, और तुम
चले गये।।
तुमने
पैसा खूब कमाई, शोहरत अपना नाम बढ़ाई।
बच्चों
को आधार मुक्त कर, हवा में ऊपर ऊपर लहराई।
जीवन
मरण समझ ना पाये, उल्टे
सीधे काम कराई।
अन्त
समय आ जाने पर
इन्हें ही अवसरवाद बनाई।
वे
दे ना सके तेरा
साथ और तुम चले
गये, और तुम चले गये ।।
सीतारामपुर से झिरझिरवा तक,
नगर से गोसाईजोत तक।
महरीखांवा
अगोना कलवारी और फुटहिया की
हिया तक।
जहां
जहां तक नजर उठे, वहां तक तुमही तुम दिखे।
इन
भवनों में तेरा स्वरुप दिखें, इसके अलावा कुछ ना दिखे।
यहां
की हर चीजों पर,
अश्कों पर गलियारों पर।
लिखा
है तुम्हारा नाम यहां पर और तुम चले गये, और तुम चले गये ।।
जनता कालेज का जर्रा जर्रा,
तेरे श्रम का है सच्चा
पहरा।
चालीस
सालों का गहरा नाता सुवहे शाम का तानाबाना।
इक
इक ईंटें पौधे व क्यारी, करती हैं तेरी ही खुमारी।
जब
जब नजर उठाता इस पर, तेरा रुप दीखता उस पर।
इधर
उधर नजरे भरमाये, पर तुझको अब देख ना पाये, कि तुम चले गये।।
सोचा
था जब लौटूंगा, तेरे
ही संग संग बैठूंगा।
कुछ
उनके अनुभव बाटूंगा, कुछ नई तकनीकी बताउंगा।
तुमने
ना इन्तजार किया, ना संग रहने
का एतवार किया।
कुदरत
ने छीना है हमसे , और
तुम भी ना इन्तजार
किया।
विना
बताये- विना जताये, एकाएक तुम चले गये, और तुम चले गये ।।
अब
यादों के कांटे, इस
दिल में चुभते हैं, ना दर्द ठहरता
है, ना आंसू रुकते
हैं।
तुम्हें
ढूंढ रहा है प्यार ,हम
कैसे करें इकरार, के हाँ तुम
चले गए।
चिट्ठी ना कोई सन्देश
, जाने वो कौन सा
है देश ,जहाँ तुम चले गए।
इस
दिल पे लगा के
ठेस, जाने वो कौन सा
है देश, जहाँ तुम चले गए।
हो
कहाँ तुम चले गए, हो कहाँ तुम
चले गए, हो कहाँ तुम
चले गए।।
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