Tuesday, July 11, 2023

द्विवेदी ब्राह्मण के उपनाम विस्तार व व्यक्तित्व (भाग 4) आचार्य राधेश्याम द्विवेदी

(टिप्पणीः- इस श्रंखला को उपलब्घ प्रमाणों के आधार पर तैयार किया गया है। इसे और प्रमाणिक बनाने के लिए सुविज्ञ पाठकों व विद्वानों के विचार व सुझाव सादर आमंत्रित है।)
द्विवेदी उपनाम के ब्राह्मण - द्विवेदी एक भारतीय उपनाम है। ब्राह्मण जाति में एक उप जाति जो द्विवेदी, दूबे, दबे के उप-नाम से विभिन्न स्थानों में निवास करती है। कांचनी, अर्थात गुर्दवान , बृहद्ग्राम अर्थात बड़गों , मीठावान, कोढ़ारी, समुदार और सरार ग्रामों के ब्राहमण द्विवेदी कहलाते हैं। ब्राम्हण की इस उप-जाति का उद्गम स्थान अधिकतर लोग उ॰ प्र॰ के कांतिपुर वर्तमान कांतित जिला मिर्जापुर को कहा जाता है। यहां से आव्रजन होकर ये गोरखपुर जिले के  सरार नामक गा्रव में आये थे। इसलिए इन्हें समदरिया एवं सरार भी कहा जाता हैं। यह गांव गोरखपुर- बडहलगंज रोड पर कौड़ीराम से कुछ आगे स्थित है।
द्विवेदी का शाब्दिक अर्थः- सामान्य रुप से द्विवेदी का शाब्दिक अर्थ दो वेदों का जाननेवाला होता है। चतुर्वेदी या चैबे से उच्चता प्रदान करे के लिए एक परस्पर विरोधी मत दिया जाता है। उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में यह कहा जाता है कि द्विवेदी द्वि और वेदी दो शव्दों से बना है। द्वि का मतलब अघ्यात्मिक , ईश्वर से सम्बन्धित तथा वेदी का तात्पर्य जानने वाला होता है। इसी प्रकार त्रिवेदी का मतलब तीन वेदों के ज्ञाता से नहीं होता है। हिन्दू धर्म के अनुसार ब्राहमण को चारो वेद का अध्ययन करना चाहिए। त्रिवेदी में त्रि का ताप्पर्य तीन भूत,वर्तमान व भविष्य समय काल तथा वेदी का तात्पर्य जानने वाला होता है। भूत वर्तमान तथा भविष्य तीनों कालों के जानने वाले को त्रिवेदी कहा जाता है। प्राचीन और मध्य काल में एक ज्येतिषी को त्रिवेदी कहा जाता था। इसी प्रकार चतुर्वेदी का चतुर का तात्पर्य चारो दिशाओं- उत्तर दक्षिण पूर्व पश्चिम से होता है। इस प्रकार चतुर्वेदी का तात्पर्य पूरे ब्रम्हाण्ड का ज्ञाता होता है।
विस्तार- द्विवेदी दुबेदी अथवा दूबे उप-नाम से विशेष कर उ॰प्र॰, म॰ प्र॰, विहार, राजस्थान, काश्मीर, हिमांचल प्रदेश,पंजाब एवं उत्तराखण्ड में निवास करते हैं। द्विबेदी अथवा दूबे, दबे उप-नाम से उ॰प्र॰ में गोरखपुर, फैजाबाद, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, आजमगढ़, फतेहपुर, देवरिया,, वाराणसी, मिर्जापुर, लखनऊ,आगरा, मथुरा, कानपुर (कान्यकुब्ज दूबे) में निवास करते हैं। उ. प्र. के बस्ती जिले के दूबे लोगों का आव्रजन सरारी से हुआ है। एक शाखा के मूल पुरुष गोपाल दूबे कहे जाते हैं। इनके वंशज गोहर गोपालपुर हथिया दूबे,लगलहटे, देउवापार, पकरी पिपरौला,कुचूला , लालाजोत, नगर व शोभा में बसे हैं।ये सभी गांव बस्ती व हर्रैया तहसील में हैं। इनका आगमन लगाग 250 वर्ष पूर्व यहां हुआ था। पं. राम नरेश दूबे ग्राम हाथीया के विवरण व विजयपाल सिंह के बस्ती का इतिहास पृ. 204 के आधार पर। दूसरी शाखा भी लगभग इसी समय आव्रजित होकर बांसी तहसील में बसे थे। सर्वप्रथम यह शाखा सक्ठपुर निकट मिठवल में बसे थे।जिसके बाद इनका विस्तार रामपुर दूबे, दानवकुइयां वैदवली, बरगदही व बूढ़ापार में हुआ था। डा. सुधीशधर दूबे गा्रम रामपुर दूबे के मतानुसार तथा बस्ती का इतिहास पृ. 204 के विवरण के आधार पर। इसके अलावा कटया चिलिहया और गौहनिया कटया चिल्हिया नौगढ में भी इस वंश के लोग हैं । तर्किहार दूबे का एक गांव सिरवत नौगढ़ में भी है
म॰ प्र॰ में इन्दौर, भोपाल, जबलपुर, मुकुन्दपुर, सतना ( अमरपाटन - सतना ) और रीवा में निवास करते हैं। गुजरात में नन्दियाड़, भावनगर में निवास करते हैं। गुजरात व महाराष्ट्र में दबे इनका उप नाम मिलता है। विहार में दरभंगा तथा समस्तीपुर में बहुतायत से निवास करते हैं।पंजाब में होशियारपुर,नांगल में निवास करते हैं। नांगल - पंजाब के प्रमुख गांव - जोहल, टाण्डा उरमार, बुद्धि पिण्ड मैदा मजरा, बासगांव, दुबेता कालोनी नागल कस्बे में भी वहुतायत से निवास करते हैं। यहां उनके द्विवेदी या दुबेदी उपनाम मिलते हैं।भारत से बाहर कनाडा, न्यूजीलैण्ड, यूनाइटेड स्टेट, में भी इस उप नाम के लोग मिलते हैं। दुबे या दूगे भारतीय मुल के देश फिजी, गुवाना त्रिनिडाड और टोबागों में भी पाये जाते हैं सम्भव है उनके पूर्वज भारत के उपरोक्त प्रमुख क्षेत्रों से ही वहां विस्थापित हुए हों।
प्रमुख व्यक्तित्व-द्विवेदी उप-नाम में महत्व पूर्ण व्यक्तित्व प्रमुख लेखक, कवि संत एवं विद्वान मिलते हैं।रामायण के रचयिता संत तुलसी दास राजापुर गांव बांदा के निवासी थे। देवरहवा बाबा बस्ती जनपद के सरयू नदी के तट पर स्थित हर्रैया तहसील के उमरिया गांव के मुल निवासी थे। जो बाद में देवरिया जिले के दियारा इलाके में मइल गांव को अपना तपस्थली बनाकर देवरहवा बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए। बृन्दाबन में भी इनका आश्रम बना हुआ है। इनके वंशज सीताराम दूवे के परिवारीजन बस्ती के उमरिया गांव में आज भी निवास करते हैं। साहित्य के क्षेत्र में महाबीर प्रसाद द्विवेदी, हजारी प्रसाद द्विवेदी, बाल गोबिन्द द्विवेदी, सोहनलाल द्विवेदी, लाल बहादुर दुबे, रेवा प्रसाद द्विवेदी आचार्य मोहन प्यारे द्विवेदी तथा डा. राधेश्याम द्विवेदी आदि प्रसिद्ध हैं। गणितज्ञ सुधाकर द्विवेदी, फिल्मी कलाकार निखिल द्विवेदी, फिल्मी कलाकार माडल रागिनी द्विवेदीभारतीय फिल्म के कथाकार तथा निर्देशक चन्द्र प्रकाश द्विवेदी, भारतीय सेना के मेजर जनरल जी.जी.द्विवेदी, चिकित्सा के क्षेत्र में मेजर अभिषेक द्विवेदी ,डा सौरभ द्विवेदी आर्थोपेडिक सर्जन  यूपी, पत्रकारिता के क्षेत्र में भारतीय जन संचार संस्थान के डा. संजय द्विवेदी, पत्रकार और शिक्षक डा. संजय द्विवेदी,समाज सेवी स्वर्गीय राजेश दुबे, श्री अखिलेश दुबे,मुम्बई के इतिहासकार व विद्वान शरद द्विवेदी, राजनीतिकार कांग्रेस के जनार्दन द्विवेदी, कनाडा के प्रतिष्ठित प्रोफेसर तथा रायल सोसायटी से जुड़े ओ. पी. द्विवेदी, कवि और गीतकार राम चन्द्र द्विवेदी, संस्कृत के विद्वान पद्श्री सम्मान प्राप्त कपिलदेव द्विवेदी आदि हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग प्रधिककरण के परियोजना निदेशक सत्येन्द्र दूबे जो भष्टाचार की बलिवेदी पर शहीद हुए थे।

                    ( आगे भी जारी रहेगा)


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