फैजाबाद शहर, पूर्वी भारत में उत्तर प्रदेश राज्य में, सरयू नदी के तट पर, लखनऊ से लगभग 130 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। इस शहर की स्थापना बंगाल के नवाब अली वर्दी खान ने 1730 में की थी। फैजाबाद की नींव अवध के दूसरे नवाब सआदत खान ने रखी थी। उनके उत्तराधिकारी शुजा-उद-दौला ने इसे अवध की राजधानी बनाया। एक बस्ती के रूप में फैजाबाद लगभग 220 साल पहले विकसित हुआ। 6 नवंबर 2018 तक यह फैजाबाद जिले और फैजाबाद मंडल का मुख्यालय था, जब मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या करने और जिले के प्रशासनिक मुख्यालय को अयोध्या शहर में स्थानांतरित करने को मंजूरी दी।
‘कलकत्ता किला’ का निर्माण:-
अवध के दूसरे नवाब सफदरजंग (1739- 1754) ने इसे अपना सैन्य मुख्यालय बनाया। उनके उत्तराधिकारी अवध के तीसरे नवाब शुजाउद्दौला 1764 में बक्सर की ऐतिहासिक लड़ाई में अंग्रेजों से बुरी तरह हार गये और फर्रुखाबाद के अपने शुभचिन्तक नवाब अहमद खां बंगश के सुझाव पर उन्होंने फैजाबाद को अपने सूबे की राजधानी बनाया तो सरयू तट पर विशाल ‘कलकत्ता किला’ बनवाया था। इस किले को ‘छोटा कल्कत्ता’ भी कहते थे, जो सरयू नदी के किनारे मीरान घाट के पास स्थित है। यह नवाबों के दौर में अवध की पहली राजधानी थी। यह शहर में एक रहस्यमयी जगह है जिसे फोर्ट कलकत्ता कहा जाता है।
अंग्रेजों पर निगाह रखने के लिए :-
18वीं शताब्दी में, जब अवध पर नवाब शुजाउद्दौला का शासन था, तब अंग्रेजों और नवाबों के बीच लगातार संघर्ष चल रहे थे।1764 में बक्सर के युद्ध में नवाब शुजाउद्दौला को अंग्रेजों के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद अंग्रेजों ने अवध के मामलों में दखल देना शुरू कर दिया था। कहा जाता है कि जब नवाब ने अंग्रेजों के बढ़ते प्रभाव से बचने के लिए अपनी सेना को संगठित किया, तब उन्होंने फैजाबाद में एक गुप्त किला बनवाया। इस किले में बड़ी संख्या में बंगाली सैनिक तैनात थे, जो कलकत्ता से आए थे। इसीलिए स्थानीय लोग इसे "फोर्ट कलकत्ता" कहने लगे थे।
फोर्ट कलकत्ता का रहस्य:-
ऐसा कहा जाता है कि यह किला अंग्रेजों के खिलाफ एक गुप्त ठिकाने के रूप में प्रयुक्त होता था। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, इस किले के अंदर गुप्त सुरंगें थीं, जो नवाब के महल तक जाती थीं। किले का इस्तेमाल नवाब के खजाने को सुरक्षित रखने के लिए भी किया जाता था। फैजाबाद के कुछ पुराने लोग अब भी इस जगह को नवाबी दौर की एक खास विरासत मानते हैं।
यह कहानी भारतीय इतिहास के उस दौर की याद दिलाती है जब नवाबों और अंग्रेजों के बीच सत्ता संघर्ष चल रहा था, उस समय फोर्ट कलकत्ता राजनीतिक हलचल का एक अहम हिस्सा था।
यहाँ के नवाबों ने अपने शासन काल में कई शानदार इमारतें बनवाई गई थीं।
फ़ैज़ाबाद नवाबों की राजधानी हुआ करता था। क़िले का निर्माण इस बात का सूचक था कि युद्ध में हारने के बाद भी उनकी क्षेत्र पर पकड़ कम नहीं हुई थी।इतिहास के अनुसार नवाब और उनकी पत्नी अपनी मृत्यु तक इस क़िले में रहे थे। शुजाउद्दौला का निधन 1775 में 26 जनवरी को हुआ था। शुजाउद्दौला की पत्नी बहू बेगम, शुजाउद्दौला की मृत्यु के बाद भी फोर्ट कलकत्ता में ही रहीं।
कलकत्ता क़िले की वास्तुकला विशेष रूप से मुग़ल काल की शैली से प्रभावित है। बाद में अंग्रेजों ने इसका पुनर्निर्माण कराया। इस क़िले की दीवारें स्थानीय मिट्टी की बनी हुई हैं। हालाँकि, यह किला अब एक टीले से ज्यादा कुछ नहीं है, जिसकी भारतीय सेना की फायरिंग रेंज के पास होने के कारण पहुंच प्रतिबंधित कर दिया गया है।
शुजा-उद-दौला के शासनकाल के दौरान, फैजाबाद शहर ऐसी कई इमारतों से सुसज्जित था। ये इमारतें वास्तुकला के मामले में बेहद समृद्ध थीं और आज भी राजाओं के साथ आई नवाबी संस्कृति की झलक दिखाती हैं। ऐसे कई स्मारक हैं जो आज भी फैजाबाद शहर को अपनी एक अलग पहचान देते हैं।
फैजाबाद के स्मारक प्रमुख पर्यटक आकर्षण हैं। इन स्मारकों का भी उतना ही ऐतिहासिक महत्व है। कलकत्ता किला, फैजाबाद और फैजाबाद के कई अन्य स्मारक शुजा-उद-दौला और अन्य शासकों द्वारा अपने प्रियजनों के सम्मान में या अपने शासनकाल के दौरान घटित कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के प्रतीक के रूप में बनवाए गए थे।
फैजाबाद स्थित छोटा कलकत्ता किला, फैजाबाद के कई उल्लेखनीय स्मारकों में से एक है। फोर्ट कलकत्ता हर साल बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। दूर-दूर से लोग फैजाबाद और उत्तर प्रदेश में स्थित इन खूबसूरत इमारतों को देखने आते हैं।
लेखक परिचय:-
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।
(वॉट्सप नं.+919412300183)
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