Saturday, March 1, 2025

मृत्यु पूर्व संकेत आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी


कहा जाता है कि दुनिया में अगर कोई सबसे बड़ा सत्य है तो वो है मृत्यु। जो भी आया है उसका जाना तय है, यानी मृत्यु शाश्वत है। जिस प्रकार एक शिशु के जन्म के 9 महीने पहले ही मां के गर्भ से कुछ संकेत मिलने लगते हैं, ठीक उसी प्रकार मृत्यु भी अपने आने से पहले कुछ संकेत देती है। 
अजब गजब घटनाएं 
जब इंसान के जीवन में जब कुछ विचित्र घटनाएं होने लगें तो समझ लीजिए कि यह मृत्यु का संकेत है। हालांकि, ये संकेत इतने सूक्ष्म होते हैं कि इंसान उन पर ध्यान ही नहीं दे पाते हैं। हर इंसान के जीवन में ऐसे काम जरूर होते हैं जो इंसान मृत्यु से पहले करना चाहते हैं। मगर कई बार ऐसा होता है कि मृत्यु जब एकदम नजदीक आ जाती है तब पता चलता है कि बहुत देर हो चुकी है। ऐसी स्थिति में अंतिम क्षण में मन परेशान होने लगता है और मृत्यु के समय कष्ट की अनुभूति होती है। शास्त्रों के अनुसार अगर मृत्यु के समय मन शांत और इच्छाओं से मुक्त हो तो बिना कष्ट से प्राण शरीर त्याग देता है और ऐसे इंसान की आत्मा को शांती मिलती है। 
 हिंदू धर्म के कुछ ग्रंथों में इस बारे में विस्तार से बताया गया है। पुराणों में मृत्यु से पूर्व के संकेत बताएं गए हैं। शिवमहापुरण में मृत्यु से पूर्व के संकेत बताएं गए हैं।
नाभि चक्र में गतिविधि 
ज्योतिषाचार्यों और पुराणों के अनुसार मृत्यु का समय करीब आने पर सबसे पहले नाभि चक्र में गतिविधियां शुरु हो जाती हैं। नाभि चक्र यानी मणिपुर ध्यान चक्र टूटने लगता है। नाभि शरीर का केन्द्र स्थान माना जाता है जहां से जन्मकाल में शरीर की रचना शुरू होती है। सबसे पहले प्राण इसी स्थान से शरीर से अलग होना शुरू होता है, इसलिए मृत्यु के करीब आने की पहली आहट को नाभि चक्र के पास महसूस होता है।
 पथरा जाती हैं पंच ज्ञानेंद्रियां 
शिव पुराण के अनुसार मृत्यु के कुछ महीने पहले अगर आंखे, मुंह, जीभ, कान और नाक पत्थर के जैसा महसूस होने लगे, तो यह तो यह मौत के नजदीक आने का संकेत होता है। 
शरीर नीला या पीला पड़ना 
शिवपुराण में भगवान शिव के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति का शरीर नीला या पीला पड़ जाए या फिर उसके शरीर पर ढेर सारे लाल निशान दिखाई देने लगें तो यह इस ओर इशारा करता है कि व्यक्ति की मौत नजदीक है। 
परछाई देखने की शक्ति क्षीण 
आपने अक्सर सुना होगा कि मृत्यु से पहले इंसान के शरीर की परछाई नहीं दिखती है। जैसा की हम जानते हैं कि मनुष्य की परछाई हमेशा साथ चलती है। मगर समुद्रशास्त्र और सूर्य अरुण संवाद के अनुसार जब व्यक्ति की आत्मा उसे छोड़कर जाने की तैयारी करने लगती है तो इंसान की परछाई भी साथ छोड़ देती है। अब ऐसा नहीं है कि उस समय व्यक्ति की परछाई नहीं बनती है। दरअसल, परछाई तो उस समय भी बनती है लेकिन व्यक्ति की दृष्टि अपनी परछाई को देख नहीं पाती है क्योंकि आंखों में परछाई देखने की ताकत कम हो जाती है।
दैवी शक्तियों को देखने में असमर्थ होना
जब कोई व्यक्ति चंद्रमा, सूर्य और अग्नि के प्रकाश को देखने में असमर्थता महसूस करने लगे तो ये संकेत है कि जीवन के उसके पास कुछ क्षण ही शेष हैं। कहते हैं मृत्यु से कुछ समय पूर्व पहले व्यक्ति को ध्रुव तारा या सूर्य दिखना बंद हो जाता है साथ ही रात में इंद्रधनुष दिखाई देने लगता है।

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