रामनरेश पाण्डेय "पद्मेश" एक उत्कृष्ट छन्दकार कवि/बस्ती के छंदकार भाग 3 (कड़ी 5)/लेखक डा मुनि लाल उपाध्याय 'सरस'/ संपादक आचार्य डॉ राधेश्याम द्विवेदी
परिचय
राम नरेश पाण्डेय पद्मेश जी का जन्म सं० 1979 वि० में वस्ती मंडल के सन्त कबीर नगर जिले के आगापुर नामक ग्राम में हुआ। आगापुर उर्फ गुलरिहा धनघटा से 4 किमी. और जिला मुख्यालय खलीलाबाद सन्त कबीर नगर से 36 किमी. पर स्थित है। हिन्दी की शिक्षा- दीक्षा प्राप्त करने के बाद राम नरेश पाण्डेय पद्मेश नेशनल इण्टर कालेज, हजरतगंज, लखनऊ के शिक्षक नियुक्त हुये। इनके साहित्य पर कलाधर जी का प्रभाव है। लखनऊ चले जाने से इनका बस्ती से सम्पर्क प्राय: कम ही हो गया। खड़ी बोली के मजे - मजाये कवि के रूप में ही नहीं वरन अपने प्रवन्ध काव्यों और घनाक्षरी सवैया छन्दो के रूप में ये जनपदीय कवियाँ के मुख से बहुचर्चित रहते हैं। इनसे ना तो मिलने का सौभाग्य मिया और न ही इनके ग्रंथों को देखने का अवसर। इनके बारे में जो कुछ लिखा जा रहा है वर "पूर्वांचला तथा उपहार के साथ रामदेव सिह कलाधार और पण्डित मातादीन त्रिपाठी दीन को सूचना के अनुसार है।
सरिता शीर्षक से एक छंद द्रष्टव्य है -
प्रणयाग्नि की वेदना से हो विलूंठित,
मूक किये निज बानी चली।
घनश्याम की मानस पीड़ा स्वरूपिणी,
हो करुणाद्र कहानी चली ।
घनीभूत हो भूमि के तप्त कणों पर,
होकर देवी हिमानी कली
जिस रूप में रूप मिलाने निमित्त,
बनाकर जीवन प्राणी कली ।।
- (उपहार, पृष्ठ 42)
रामनरेश पाण्डेय "पद्मेश" आगापुर गांव के निवासी “रश्मिरेखा” काव्य संकलन के कवि हैं। जो उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुरस्कृत है। गीतों के साथ खड़ी बोली को धनाक्षरियाँ लिखने में दक्ष है। संप्रति आप लखनऊ में अध्यापक है।"
"आप पुरानी और नई दोनों शैलियों मे सुन्दर रचना करते हैं। - (पूर्वांचला पृष्ठ 135 )
पद्मेश जी एक उत्कृष्ट छन्दकार के रूप में वस्ती जनपद (अब बस्ती मण्डल) से बाहर रहकर सेवा में लगे हुये हैं।- (उपहार, पृष्ठ 42)
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