Thursday, October 3, 2024

स्वामीनारायण छपिया का प्रसादी की छतरी / महुआ वृक्ष की महिमा ::आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी


छपिया मुख्य मंदिर के सामने नारायण सरोवर स्थित है उसके किनारे एक महुआ 
का वृक्ष हुआ करता था।एक बार इस पेड़ के नीचे घनश्याम महराज विराजमान थे। उसी समय वहां नव योगेश्वर संत आकर प्रभु की स्तुति किए थे। उस दिन एकादसी का दिन था। बाल प्रभु अपने बड़े भाई के साथ नारायण सरोवर स्नान के लिए गए थे। स्नान के बाद महुआ के पेड़ के नीचे घनश्याम महराज बैठ गए थे। उसी समय वहां नव योगेश्वर संत आकर प्रभु की स्तुति करने लगे थे।भाई के पूछने पर उत्तर मिला कि इनकी प्रभु से पुरानी जान पहचान है । भाई ने उन सब से घर आने का आग्रह किया। सभी लोग घर आए। धर्म देव तुरन्त पहचान गए कि ये लोग नव योगेश्वर संत हैं। धर्म देव ने इन नवों अतरिक्ष,हरि, कवि, प्रबुद्ध, पिप्पलायन, आविरहोत्र क्रुमिल , चमस और करभाजन आदि की पूजा की। योगेश्वरों को लोग वेद के मंत्रों से पूजा किए थे। घनश्याम महाराज ने भी उनकी सेवा याचना किए थे और बोले थे,”आप लोग कुछ साल बाद गुजरात में आ जाना। वहां पर आप लोगों को सन्त बना कर अपने पास रखूंगा। अभी यहां भोजन कर प्रस्थान कीजिए।”
घनश्याम महाराज के आमंत्रण को कोई भी व्यक्ति नही छोड़ता है। योगेश्वर प्रसन्न हुए। देखते ही देखते ने भोजन खिलाकर उन सबको खुश कर दिया। वे आकाश मार्ग से लुप्त हो गए।

       आचार्य डॉ. राधेश्याम द्विवेदी 

लेखक परिचय:-

(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए सम सामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं।)

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