Friday, May 24, 2024

मतदाताओं की कठिन परीक्षा की घड़ी आ गई

जेठ मास के तपते दिन की तरह जिले का सियासी पारा थर्मामीटर तोड़कर बाहर आने को बेताब है। जिले की सियासत की नई पटकथा लिखने के लिए 19 लाख मतदाता तैयार होकर सुबह होने के इंतजार में हैं। कई वजहों से इस चुनाव में आम लोगों की दिलचस्पी कुछ ज्यादा ही देखी जा रही है। इसलिए उम्मीद की जा सकती है कि मतदान प्रतिशत पिछली बार से ज्यादा रहेगा। इस चुनाव में सबसे खास बात यह देखी गई कि मतदाता के पास ज्यादा विकल्प नहीं है । वर्ग विशेष के बटते मत से किसी भी पक्ष की बाजी पलट सकती है।
        जमीन से जुड़े सभी दल दो भागों में बटकर लड़ाई को और भी जटिल बना दिया था। यहां सीधे अपनाने या नकारने का ही ऑप्शन था। सबके मंच पर चौंकाने वाले चेहरों की भरमार रही। परिणाम पर इसका असर क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। मतदाता पूरी तरह दो खेमों में बंट चुका है। इधर या उधर। सारा दारोमदार मतदान पर टिका है। जो वोट डलवाने में चूका,बाजी उसके हाथ से सरक जायेगी। एक वोट की कीमत दो के बराबर है। 
        स्थानीय रिश्तों की कठिन परीक्षा से गुजर रही दलीय राजनीति किस दिशा में जायेगी,इसकी पूरी पटकथा अगले कुछ घंटों में लिख दी जाएगी। आम जनता से विनम्र निवेदन है कि हृदय की आवाज सुनकर वोट देने जरूर जाएं। ताकि अगली सरकार में अपनी भागीदारी का एहसास बना रहे। मतदान करने जरूर जाएं।
       लोकसभा के अपने क्षेत्र से अपने प्रतिनिधि सासद को अवश्य चुनें। यह सामान्य चुनाव नहीं है यह आपके परिवार समाज राष्ट्र और अस्मिता को बनाए रखने या विदेशियों के प्रभाव से खुद को समाप्त होने के बीच अपनी और भविष्य की रक्षा करने का सुनहरा अवसर भी है। विदेशी प्रभाव का अंधानुकरण और सनातन मूल्यों की रक्षा करने का विकल्प भी है। निहत्थे कार सेवकों पर गोलियां चलाने और अपने संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए आत्मोत्सर्ग का अवसर चयन का अवसर भी है।500 साल तक अपने आराध्य श्री राम जी की मुक्ति का जश्न भी है।काल्पनिक और मनुवादी कहकर गाली खाने के प्रतिकार का अवसर भी है। अवसर की सामान्य और जाति काबिलाई आरक्षण से मुक्ति का अवसर भी है। विश्व गुरु बनने सम्मान पाने अथवा पाकिस्तान चीन का पिछलग्गू बनने की भुक्ति मुक्ति का अवसर भी है। अपनी अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने या कटोरा लेकर भीख मांगने की चुनौती भी है। पढ़े लिखे अनुभवी राजनीति विषारद के अनुभवों को आत्मसात करने या खानदानी युवराजों से मुक्ति भुक्ती के तलाश का सुअवसर भी है। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए सत्तानाशीनों से परिवारियों से मुक्ति का अवसर भी है। सर्व धर्म समभाव या तुष्टिकरण को चुनने की चुनौती भी है।और भी बहुत कुछ पाने या खोने का अवसर भी है। जितना भी उद्धृत किया जा रहा है उससे कई गुना छिपा रहस्य जानने समझने की ललक भी है।

भारतीय लोकसभा चुनाव का इतिहास :-

भारत के गणतंत्र बनने के बाद 1950 में उत्तर प्रदेश की स्थापना हुई। यह संयुक्त प्रांत का उत्तराधिकारी है , जिसे 1935 में आगरा और अवध के संयुक्त प्रांतों का नाम बदलकर स्थापित किया गया था, जो बदले में 1902 में उत्तर-पश्चिमी प्रांतों और अवध प्रांत से स्थापित हुआ था ।
बस्ती सन् 1801 में बस्ती तहसील मुख्यालय बना और उसके बाद 1865 में जिला मुख्यालय के रूप में स्थापित हुआ।
     भारत में पहले चुनावों का आयोजन एक कठिन कार्य था और इसे पूरा होने में लगभग चार महीने लगे: 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक। हालांकि उस समय भारत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी थी, फिर भी विपक्षी दलों के लिए भी चुनावों में भाग लेने के लिए अनुकूल माहौल बनाया गया था। विपक्षी दलों की सूची में जनसंघ और सीपीआई शामिल थे।

         1951 52 प्रथम लोक सभा क्षेत्र में गोरखपुर गोंडा बस्ती की जनता को चार सीटों पर मतदान करने का अवसर मिला था। तीन क्षेत्रों से चार सांसद चुने गए थे। इनमें पहली सीट गोंडा ईस्ट-बस्ती वेस्ट, दूसरी सीट बस्ती नार्थ और तीसरी सीट बस्ती सेंट्रल कम गोरखपुर वेस्ट थी। तीसरी क्षेत्र बस्ती सेंट्रल से दो सांसदों का चुनाव हुआ था। इन चारो सीटों पर बस्ती के लोगों ने मतदान किया था, बाद में इनका परिसीमन हो गया था। चारो सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों का बोलबाला था।
लोकसभा क्षेत्र 56 गोंडा ईस्ट कम बस्ती वेस्ट से पांच उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। तीन 37 हजार 344 वोटों में से 117305 वोट पड़े थे। 34.77 प्रतिशत वोटों में 58.41 प्रतिशत वोट हासिल कर कांग्रेस के केशव देव मालवीय को जीत मिली। हिन्दू महासंघ के विश्वनाथ प्रसाद अग्रवाल 24.94 प्रतिशत वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे।

बस्ती उत्तरी क्षेत्र से एक सांसद का चुनाव हुआ था। पहले चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष रहे कांग्रेस के उदयशंकर दुबे को जीत मिली। कुल 374224 वोटरों में से 46.14 प्रतिशत ने मतदान किया। 172752 वोटों में से सर्वाधिक 74.28 प्रतिशत वोट उदयशंकर दुबे को मिले। उनके निकटतम प्रतिद्वंदी अंबिका प्रताप नारायण को महज 22802 वोट मिले थे। पहले चुनाव में सबसे अधिक मतों के अंतर से जीत का बना रिकॉर्ड आज तक कायम है।
पहली 1951 52 बार में (बस्ती-गोरखपुर) लोकसभा के तीन सीटों पर चार सदस्य चुने गए थे।
1951 52 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राम शंकर लाल चुने गए थे।
गोंडा जिला (पूर्व) सह बस्ती जिला (पश्चिम) केशो देव मालवीय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चुने गए थे।
बस्ती जिला (उत्तर) उदय शंकर दुबे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सांसद चुने गए थे। बस्ती जिला मध्य (पूर्व) सह गोरखपुर जिला (पश्चिम) सोहन लाल धुसिया भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से सांसद चुने गए थे।


2024: में भाजपा के श्री हरीश द्विवेदी को पुनःनिर्वाचित होने  की संभावना मुझे ज्यादा लग रही है। पिछले चुनावों के परिणाम  इस प्रकार रहे हैं --


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