मेरी धर्मपत्नी श्रीमती कमला द्विवेदी जी का स्वास्थ्य 2023 के अगस्त माह में अस्थिर हो गया था । वह विगत एक पखवारे से वायरल बुखार , रक्त शर्करा, अस्थमा - खांसी और श्वास - प्रश्वास की दशा बिगड़ने से वह परेशान हो गई थी। अपने हॉस्पिटल से चिकित्सीय इलाज से लाभ ना मिलने पर जनपद के एक वरिष्ठ फिसियन के देखरेख में एक अन्य हॉस्पिटल में आशातीत सुधार देखा गया। उसी समय हमारे पौत्र को भी बुखार और कुछ बाधाएं आईं।परिवार में सुख शांति और निरोगता के लिए एक भविष्य दृष्टा का सलाह लिया गया। मारकेश के दशा से ग्रस्त होने की जानकारी मिली।
महा मृत्युंजय ( त्रयंबक) महादेव
महामृत्युञ्जय मन्त्र या महामृत्युंजय मन्त्र ("मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र") जिसे त्रयम्बकम मन्त्र भी कहा जाता है, यजुर्वेद के रूद्र अध्याय में, भगवान शिव की स्तुति हेतु की गयी एक वन्दना है। इस मन्त्र में शिव को 'मृत्यु को जीतने वाला' बताया गया है। यह गायत्री मन्त्र के समकक्ष सनातन धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मन्त्र है।इस मन्त्र के कई नाम और रूप हैं। इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मन्त्र कहा जाता है; शिव के तीन आँखों की ओर इशारा करते हुए त्रयंबकम मन्त्र और इसे कभी कभी मृत-संजीवनी मन्त्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई "जीवन बहाल" करने वाली विद्या का एक घटक है।
ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मन्त्र को वेद का ह्रदय कहा है। चिन्तन और ध्यान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक मन्त्रों में गायत्री मन्त्र के साथ इस मन्त्र का सर्वोच्च स्थान है।
मन्त्र इस प्रकार है -
ॐ मृत्युंजय महादेव त्राहिमां शरणागतम जन्म मृत्यु जरा व्याधि पीड़ितं कर्म बंधनः||
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।
बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् 'यह त्रयम्बक "त्रिनेत्रों वाला", रुद्र का विशेषण जिसे बाद में शिव के साथ जोड़ा गया, को सम्बोधित है।
सप्त दिवसीय महामृत्युंजय मंत्र का जप:-
स्वास्थ्य सुधार को स्थाई करने के लिए काशी के सप्त सदस्यीय विद्वत मण्डली से महामृत्युंजय जप और पूजा का सप्त दिवसीय आयोजन बस्ती शहर स्थित कमला सदन नामक मेरे आवास पर विगत 25 अगस्त 2023 से 31 अगस्त 2023 तक चला है। प्रतिदिन विधि पूर्वक सुबह शाम न्यास सहित रूद्राभिषेक और महा मृत्युंजय मंत्र का जप चला है। साथ ही प्रति दिन आचमन ,संकल्प, गौरी पूजन ,गणेश पूजन,वरुण कलश का पूजन, षोडश मातृकाओ का पूजन ,कुल देवता कुल देवी का पूजन, सप्त घृत मात्रिका पूजन, चतुर्थ षष्टी 64 योगिनियो का पूजन ,महा काली ,महा लक्ष्मी और महा सरस्वती का पूजन ,क्षेत्रपालो का पूजन,दिगपाल रूपी नौ ग्रह का पूजन, नौ ग्रह/नौ अधि देवता/ नौ प्रत्यय देवता का पूजन, पंच लोक का पूजन, वास्तु देव पूजन, असंख्य रुद्र कलश का पूजन और लिंगतो भद्रोतमंडल का पूजन शास्त्रीय विधि से सप्त दिनों तक सप्त ब्राह्मण मण्डल के दिशा निर्देश में परिवारी और कुछ आत्मीय जनों द्वारा सम्पन्न कराया गया। हर दिन दूध दही घृत जल मधु कुश आदि किसी न किसी द्रव से स्फटीकेश्वर महादेव का रूद्राभिषेक और सप्त मंडलों में विराजित महादेव जी सहित विविध देव वा देवी स्वरूपों का पूजन वंदन भोग आरती आदि अनुष्ठान सम्पन्न हुए।
प्रथम दिवस, द्वितीय दिवस और तृतीय दिवस दुग्धजल द्वारा स्फटीकेश्वर महादेव जी के रूद्राभिषेक किया गया। चतुर्थ दिवस कुश जल द्वारा रोग विनाशिनी स्फटीकेश्वर महादेव जी के रूद्राभिषेक किया गया । पंचम दिवस मधु स्नान द्वारा स्थूलेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक किया गया। छठे दिवस भी स्थूलेश्वर महादेव का दुग्ध दही से रुद्राभिषेक किया गया। सातवे दिवस दुग्धाभिषेक स्नान द्वारा स्थूलेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक और हवन किया गया। इस प्रकार इस पूजन और यज्ञ की पूर्णाहुति दिनाक 31 अगस्त 2023 को सम्पन्न हुआ ।
रुद्राभिषेक पूजन विधि
भगवान शिव की पूजा और आराधना करने के लिए रुद्राभिषेक को सबसे फलदायी माना गया है | रुद्राभिषेक पूजन के द्वारा भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है |
भगवान के रुद्राभिषेक के लिए शुद्ध जल में गंगाजल, भांग, दूध, गन्ने का रस आदि मिला लें |
रुद्राभिषेक के दौरान आचार्य रुद्री का पाठ करते है |
अब आप श्रृंगी के द्वारा धीरे शिवलिंग पर जल चढ़ाएं |
जल चढाने के दौरान आप रुद्रास्टाध्यायी का पाठ करें या फिर ॐ नमः शिवायः का जाप करें |
रुद्राभिषेक पूरा होने के बाद सभी एकत्रित भक्तजन भगवान शिव की आरती गायें |
रुद्राभिषेक के जल को पुरे घर में छिड़कें |
भगवान शिव को शुद्धता से घर में बनाएं व्यंजनों का भोग लगाएं |
सभी ब्राह्मण मंडल के सदस्यों को प्रति दिन सुमधुर व्यंजनों से आतिथ्य की गया। आखिरी दिन अपने सामर्थ्य के अनुकूल दक्षिणा देकर आशीर्वाद और मंगल कामना की गई। हमारे नोवा हॉस्पिटल और एपेक्स डायग्नोस्टिक्स के स्टाफ का व्यवस्थापन में पूर्ण सहयोग भी सराहनीय रहा है।
No comments:
Post a Comment