Tuesday, February 21, 2023

सत्ता ताड़न के अधिकारी ✍️ डॉ. राधे श्याम द्विवेदी

सत्ता ताडने के लिए नाटक:-
बार बार जनता द्वारा सांप के  कुचले हुए फन का राजनैतिक जहर खिसकी हुई सत्ता की जमीन को ताड़ने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। ताड़ने में माहिर एक दल बदलू नेता की अपनी कोई जमीन है ही नहीं जो बैसाखियों के सहारे विभिन्न दलों में जूठनपान को ताड़ते रहते हैं। विद्वेष मानसिकता की चासनी में डूबे हुए इस तथाकथित नेता द्वारा श्री रामचरित मानस पर बैन लगाने का जहर बार बार उगला जा रहा है। बसपा और फिर भाजपा पार्टी में सत्ता का राजसुख भोगते हुए इस टूटपुजिए की अक्ल मार गई थी जो अपनी बेटी को दूसरी ओर अपने को दूसरी पार्टी में रह कर केवल और केवल अपना उल्लू सीधा करने को ताड़ रहा है। उसके इस जहर से अपनी अमरता ढूँढ़ने वाले टुटपुंजियों ने उ.प्र. के लखनऊ में पवित्र रामचरित मानस के पन्ने फाड़कर जला दिए।  यूपी सरकार ने उन विधर्मियों पर प्राथमिकी दर्ज कर अपनी ओर से कार्यवाही शुरू कर दी है।  लेकिन फिर भी अभी तक उसका जहरीला फन कुचला नही जा सका है। यह छुट्टा सांड की तरह घूम रहा है और कोई इसे नाथ नही पा रहा है।
जहर की दवा जरूरी:-
बाबा गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखी गई श्री रामचरित मानस को लेकर हर दिन जहर उगलने वाले विधर्मियों की संख्या में दिनोदिन बढ़ती जा रही है। असल में इनके इस जघन्य से जघन्यतम अपराध के लिए कानून व्यवस्था को ऐसा दण्ड देना चाहिए जिससे इनकी कई पीढ़ियाँ इस सबक को याद रखें। संविधान जहर फैलाने की ना तो इजाजत देता है और ना ही सनातन समाज। सरकार की मजबूरी हो सकती है क्योंकि उन्हें उसी कीचड़ में से मोती निकालना होता है और इन्हीं जहर से जहर की दवा इजाद करनी होती है।
परिवारवादी पार्टी का कारनामा:-
 ऐसा कुकृत्य करने वालों के इस काम पर कोई आश्चर्य की बात नहीं होती है।  ऐसा करने वाले राष्ट्र के शत्रु होने के साथ साथ समाज के सबसे बड़े अपराधी भी होते हैं। जो अपने राजनैतिक मंसूबों को पाने के लिए इस स्तर तक गिर जाते हैं। इस सिरफिरे का श्री रामचरितमानस को लेकर विवादास्पद निन्दनीय बयान देना,फिर उसके समर्थकों द्वारा रामचरित मानस के पन्ने फाड़कर जलाना। तदुपरान्त एक परिवारवादी पार्टी के  राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा उस नेता को महासचिव का राजनैतिक प्रमोशन देना और उसके बाद जानबूझकर श्रीरामचरितमानस को लेकर अपमानजनक बयानबाजी करवाना। सबकुछ सुनियोजित ढंग से अपनाए जा रहे किसी बड़े षड्यंत्र की शातिर चालें नज़र आ रही हैं। इस पार्टी का अतीत सब को पता है। चाहे वह गेस्ट हाउस कांड हो या अयोध्या में राम भक्तों पर गोली चलवाने का मामला हो। प्रदेश और देश की जनता की स्मृतियों में सब कुछ ताजा का ताजा भरा है। राम जन्म भूमि मंदिर की पूर्णता और बार बार अपना बचा कुचा गवाने के कारण इनका मत भ्रम हो गया है और वे अपने पैर में ही कुल्हाडी मार रहे हैं।
अगड़ा- पिछड़ा' का राग :-
असल में यह गिरोह अगड़ा- पिछड़ा' का राग अलापकर अपनी खोई हुई राजनैतिक जमीन तलाश रहा है। इन सबने एक लम्बे काल खण्ड में समाज को 'अगड़ा- पिछड़ा'  इत्यादि के नाम पर तोड़ा है। तो कभी 'भीम-मीम' के सियासी एंगल को लेकर सत्तासीन हुए। कभी एम वाई फैक्टर से, देश की राजनीति में वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी युग के उदय के साथ ही इनकी राजनीति का अवसान प्रारम्भ हो गया। इनकी देश  व समाज को कुनबों में बाँटने वाली सियासी रोटियां सिंकनी बन्द हो गई। इन सभी के तमाम विभाजनकारी शिगूफों के बावजूद भी दूसरी बार उ.प्र. में योगी आदित्यनाथ सरकार बन गई। इन नेताओं व सियासी दलों ने जिस हिन्दू समाज को लम्बे समय तक 'अगड़ा- पिछड़ा',दलित- सवर्ण' के नाम पर बाँटा, विद्वेष फैलाया और राज किया। वे समस्त जाति, वर्ग अपनी एक पहचान 'हिन्दू और हिन्दुत्व' के नाम पर उठ खड़े हुए। और एक नहीं बल्कि बारम्बार इन नेताओं के  मुँह पर तमाचा मारते हुए इनके मुखौटे नोंचकर फेंक दिए। अतएव खोई हुई सत्ता की जमीन तलाशने के लिए इन तथाकथित नेताओं ने फिर से समाज को तोड़ना प्रारम्भ कर दिया है।
मानस राष्ट्र का  पवित्र संजीवनी:-
श्रीरामचरितमानस तो वह महान पवित्र ग्रन्थ है जिसने इस्लामिक आक्रमण व दासता के कालखंड में समूचे राष्ट्र को सञ्जीवनी दी। और जो भारत वर्ष ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व के कोने कोने में बसने वाले सनातनी हिन्दू समाज व प्राणि मात्र में चैतन्य की झंकार उत्पन्न कर रहा है।
प्रसंग और अर्थ का ज्ञान नहीं:-
रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड की चौपाई को  लेकर यह पूरा विषवमन किया जा रहा है। 
प्रभु भल कीन्ह मोहिं सिख दीन्हीं,
मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं।
ढोल गवाँर सूद्र पशु नारी ,
सकल ताड़ना के अधिकारी ।। 
यह चौपाई तो प्रभु श्री राम द्वारा समुद्र से रास्ता माँगने व समुद्र की हठधर्मिता पर प्रभु श्री रामके  के कुपित होने के व समुद्र द्वारा क्षमायाचना के प्रसंग पर आधारित है। चौपाई की उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ यह है कि - हे! प्रभु आपने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी । किन्तु जीवों का स्वभाव ( मर्यादा) भी आपकी ही बनाई हुई है। ढोल, गवाँर, शूद्र , पशु और स्त्री ये सब शिक्षा, स्नेह दृष्टि के अधिकारी हैं।
इस चौपाई के  'ताड़ना' शब्द का अर्थ न तो अपमान से है, और न ही प्रताड़ित करने के किसी भाव से है। रामचरित मानस मूलतः 'अवधी' में लिखी गई है जिसमें ताड़ना का अर्थ - शिक्षा, रख रखाव, देखभाल या स्नेहपूर्ण दृष्टि से माना जाता है। 
तुलसीदास को अपमानित करने का महापाप:-
इस चौपाई के आधार पर श्री रामचरितमानस व बाबा तुलसीदास को अपमानित करने के महापाप किए जा रहे हैं। इस चौपाई के आधार पर कभी भी देश- समाज में ऐसी कोई घटना या उदाहरण देखने को नहीं मिला है । जिससे उस चौपाई के 'अर्थ से अनर्थ' का बोध हुआ हो‌ । तीसरा क्या इन तथाकथित अवसर वादी नेताओं को श्रीरामचरित मानस से जीवन दर्शन सीखने को नहीं मिला है । यह भी सुनिश्चित है कि इन्होंने कभी भी श्रीरामचरित मानस न तो पढ़ी है। और न ही कभी धार्मिक रहे हैं। अन्यथा ऐसा घोर पाप करने का दुस्साहस कभी भी नहीं कर सकते। बाबा गोस्वामी तुलसीदास  ऐसे महर्षि हैं जिन्होंने बर्बर आक्रान्ता अकबर को भी खरी- खरी सुनाई है। वे अकबर द्वारा कई बार बुलाए जाने के बाद भी कभी भी उसके दरबार में नहीं गए। बल्कि उन्होंने अकबर को सन्देश भेजा था  —
हम चाकर रघुवीर के, पटौ लिखौ दरबार;
अब तुलसी का होहिंगे नर के मनसबदार।
अकबर द्वारा फतेहपुर सीकरी में तुलसी बाबा को बन्द किए जाने पर बाबा के बंदरों ने राजधानी को तहस नहस कर दिया था और हनुमान चालीसा की रचना हो गई थी। बाबा का यह  संदेश अपने आप में बाबा गोस्वामी तुलसीदास की धर्मनिष्ठता और अभूतपूर्व साहस को दिखलाता है। अतएव समूचे हिन्दू समाज को न तो इन अवसर वादी नेताओं से कोई सर्टिफिकेट लेना है। और न ही बाबा गोस्वामी तुलसीदास व श्रीरामचरित मानस की दिव्यता - भव्यता में कोई आँच आनी है। प्रभु श्री राम और रामचरितमानस भारतवर्ष के रोम- रोम में बस चुके हैं। और राष्ट्र को सतत् जीवनादर्शों की राह दिखला रहे हैं। 
सनातन धर्म को तोड़ने की साजिश:-
 इन अराजक- राजनैतिक विधर्मियों द्वारा सनातन हिन्दू धर्म समाज की आस्था पर प्रहार किया जा रहा है।
एक सोची समझी सुनियोजित हमला इनकी रणनीति है। इनके ये कुकृत्य कोई नए नहीं है। इन्होंने अपने 'राजनैतिक और आर्थिक स्वार्थों' साधने के लिए हिन्दू समाज को तोड़ने की सुपारी ले रखी  है। आश्चर्य नहीं ये किसी 'मिशनरी - मौलाना' या विदेशी शक्ति की हाथों की कठपुतली भी हो सकती हैं। जो उनके इशारों पर नाचते हुए हिन्दू धर्म समाज की आस्था के मानबिन्दुओं पर लगातार हमला बोल रहे हैं और अपमानित कर रहे हैं। क्योंकि ये उस अभियान की फ़िराक में हैं कि - कब हिन्दू समाज आपस में लड़े । देश को वर्ग संघर्ष की आग में झोंक दिया जाए।   हिन्दू के रूप में जो समाज उठ खड़ा हुआ है वह एक बार फिर टूट जाए। 
चादर - फादर' व विदेशी साजिश:-
ये अचानक से उभार में दिखने वाली नई नई जहरीले फसलें यूं ही नहीं दिख रही हैं। ये सब  'चादर - फादर' व विदेशी कठपुतलियों के स्नाइपर और शार्प शूटर बनकर आए हैं। ये लोक आस्था एवं भारत के आधार स्तम्भ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम और श्री रामचरित मानस पर अनर्गल - अपमानजनक बयानबाजी कर‌ रहे हैं। इनके बयान और कुकृत्य हर उस जगह दिख जाएंगे, जहां राष्ट्र व समाज को तोड़ने की बात आती है।
कन्वर्टेड हिन्दू की करतूत:-
हो सकता है ये सब 'चादर- फादर' में कन्वर्टेड भी हो गए हों, और इनका नाम बस हिन्दू रह गया हो।  जैसे ही चुनावों की आमद होगी  ये 'कालनेमि' का स्वांग रचकर मंदिरों व प्रभु की शरण में दिखने लगेंगे। सत्ता के लिए प्रभु श्री राम  व रामचरितमानस , समस्त हिन्दू समाज से इनकी यह शत्रुता कोई नई नहीं है। मुस्लिम वोटों को साधने के लिए ऐसा ही काम सन् 1990 में तत्कालीन मुख्य मंत्री ने रामभक्त कारसेवकों पर गोली चलवाकर किया था। ये सब समाज को तोड़कर सत्ता पाने वाले कुण्ठित लोग हैं।
विषधर को प्रमोशन:-
ऊपर से एक और पूर्व मुख्य मंत्री ने जिस अवसरवादी को श्री रामचरितमानस ' को अपमानित करने के बाद प्रमोशन दिया है। वह उनकी हिन्दू विरोधी मानसिकता का परिचायक है‌। उन्होंने इसे परिवार पार्टी - घर पार्टी ' में बदल दिया। वे सनातन हिन्दू धर्म समाज की आस्था पर चोट पहुंचाने वाले शार्प शूटरों को इनाम देना कैसे भूल सकते थे?
विष दंत तोड़ना जरूरी:-
 श्रीरामचरितमानस के पन्ने फाड़कर जलाने वाले ये टुटपुँजिए विधर्मी लोग हैं। इन सबको देशभर का हिन्दू समाज ऐसा सबक सिखाएगा कि - ये न तो कभी राजनीति में  आ पाएंगे और न ही समाज में कोई इन्हें इज्जत देगा। ये जिस जाति या वर्ग के नाम पर राजनैतिक ध्रुवीकरण व सामाजिक सौहार्द को तोड़ने का अभियान चला रहे हैं वह समाज इन सभी के नापाक इरादों को भांप चुका है। इन्हें जवाब देने के लिए तैयार बैठा है। इनकी ठेकेदारी पर अब पूर्णविराम लगने वाला है।  समाज अपनी आस्था एवं संस्कृति पर प्रहार करने वालों को अच्छी तरह से सबक सिखाना जानता है । हिन्दू समाज के सभी वर्ग इन ठेकेदारों की चूलें हिला देने का माद्दा रखता है । यह सनद रहे कि - देश का हिन्दू समाज सहिष्णु जरूर है लेकिन कायर और भीरू बिल्कुल भी नहीं है‌। ये वो धर्मनिष्ठ - राष्ट्रनिष्ठ हिन्दू समाज है जो - जहरीले नेताओं का जहर उतारना अच्छी तरह से जानता है । देर सबेर विष व्यालों के विषदन्त अवश्य ही टूटेंगे। देखना है कि योगिराज श्रीकृष्ण द्वारा ये कालीडह के नाग कब नाथे जा सकेंगे और समाज इनके विष प्रभाव से मुक्त हो सकेगा।

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